श्रीगोवर्धनमठ पुरी में त्रिदिवसीय सांगठनिक संगोष्ठी 2 अगस्त से
भुवन वर्मा बिलासपुर 1 अगस्त 2020
अरविंद तिवारी की रिपोर्ट
जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरी में वर्तमान 145 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग के पावन सानिध्य में चातुर्मास अवधि एवं कोरोना महामारी के संक्रमण काल में आधुनिक यांत्रिक विधा का उपयोग करते हुये धर्म एवं राष्ट्र जागरण हेतु निरंतर संगोष्ठियांँ आयोजित की जा रही है। सर्वप्रथम 14 से 18 जून तक विज्ञान संगोष्ठी आयोजित हुई। इसका सार यह रहा कि वेदों में सन्निहित लुप्त ज्ञान विज्ञान को जोकि सूत्रात्मक रूप में है , आधुनिक संदर्भ में परिभाषित करते हुए प्रकट किया गया जिससे कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ महानुभाव वेदविहित सिद्धान्तों को आधुनिक अन्वेषण का आधार बनायें तथा विज्ञान के विद्यार्थियों में वेदविहित विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न हो सके। संगोष्ठियों के इसी क्रम में गुरुपूर्णिमा के पूर्व दिवसों में 02 से 04 जुलाई तक अर्थ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई जिसका निष्कर्ष यह निकला कि चोरी , हिंसा , झूठ , दम्भ, काम, क्रोध, गर्व, अहंकार,भेदबुद्धि , वैर, अविश्वास, स्पर्धा, लम्पटता, जुआ और शराब इन पन्द्रह विकारों से मुक्त अर्थ के विनियोग से ही विकास सम्भव है अन्यथा वह विनाश ही सिद्ध होगा। गोवंश आधारित कृषि व्यवस्था ही ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बना सकती है , इससे ही समृद्ध भारत की संकल्पना साकार हो सकती है। जन्म से ही आरक्षित जीविकोपार्जन पद्धति , परंपरागत कुटीर उद्योग ही सर्वजन को आर्थिक स्वावलंबन दे सकती है। धर्मसम्राट स्वामी श्रीकरपात्री जी महाराज के प्राकट्य दिवस के पूर्व 19 जुलाई से 21 जुलाई तक आयोजित राजनीति विषय पर संगोष्ठी का समेकित आशय यह दृष्टिगत हुआ कि व्यासपीठ नियन्त्रित राजसत्ता ही सनातन धर्मानुकूल रामराज्य की स्थापना में समर्थ हो सकता है। जैसे कि आदिशंकराचार्य जी ने राजा सुधन्वा का , चाणक्य ने चन्द्रगुप्त का , समर्थ रामदास जी ने वीर शिवाजी का मार्गदर्शन किया था तभी वे आदर्श देशभक्त राजा के रूप में उद्भासित हुये हैं। जब हम वेदादि शास्त्रसम्मत राजनीति को परिभाषित करते हैं तो इसका अर्थ होता है सुसंस्कृत , सुशिक्षित , सुरक्षित , सम्पन्न , सेवापरायण , स्वस्थ एवं सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना हो , ठीक इसी प्रकार धर्मनियन्त्रित , पक्षपातविहीन, शोषणविनिर्मुक्त , सर्वहितप्रद सनातन शासनतन्त्र ही रामराज्य स्थापना की आधारशिला हो सकती है। इसी श्रंखला में पुरी शंकराचार्य जी केपावन सान्निध्य में श्रीगोवर्द्धनमठ में कल 02 अगस्त रविवार से 04 अगस्त मंगलवार पर्यन्त – तीन दिवसीय वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। जिसमें संगोष्ठी के प्रथम दिवस पूज्य महाराजश्री द्वारा स्थापित धर्मसंघ, पीठपरिषद के तत्वावधान में आज सायं 06:00 से रात्रि 08:30 बजे तक “भव्य भारतकी संरचना” विषय पर संगोष्ठी होगी। इसी तरह आदित्यवाहिनी एवं आनन्दवाहिनी के तत्वावधानमें 03 अगस्त को सायं 06:00 से रात्रि 08:30 बजे पर्यन्त “चयन, प्रशिक्षण, नियोजन” , नभोमार्ग में सद्भाव पूर्ण संवाद , भूमार्गमें सेवा तथा भूगर्भ मार्गमें सेनाके स्वरूप और क्रियान्वयन विषय पर चर्चा होगी। संगोष्ठी के तृतीय एवं अन्तिम दिवस सनातन सन्त-समाज, हिन्दूराष्ट्रसंघ एवं राष्ट्रोत्कर्ष अभियानके तत्वावधान में 04 अगस्त को सायं 06:00 से रात्रि 08:30 बजे पर्यन्त “सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, सम्पन्न, सेवा-परायण, स्वस्थ और सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना की स्वस्थ विधा” पर विशिष्ट पदाधिकारी एवं सदस्य अपने-अपने भाव रखेंगे। इन सभी कार्यक्रमों का प्रसारण फेसबुक के माध्यम से सर्वत्र प्रसारित किया जायेगा। इस त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आधुनिक यांत्रिक विधि के द्वारा फेसबुक , यूट्यूब की सहायता से जनसामान्य के लिये सीधा प्रसारण सुलभ रहेगा।
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