गंगासागर मेला विश्वस्तर का तीर्थ बनना चाहिये – पुरी शंकराचार्य

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गंगासागर मेला विश्वस्तर का तीर्थ बनना चाहिये – पुरी शंकराचार्य

भुवन वर्मा बिलासपुर 14 जनवरी 2022

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

गंगासागर – भारत में भी समीक्षा करने पर यह सिद्ध होता है कि भारत ने क्रांति और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मेधा शक्ति, रक्षा शक्ति व वाणिज्य शक्ति का सही इस्तेमाल नहीं किया है। भारत के खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देने पर पंद्रह राष्ट्र एक साल के अंदर यही कदम उठायेंगे।
उक्त बातें मकर संक्रांति पर गंगासागर में शाही स्नान करने पहुंचे ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रेस कांफ्रेंस में कही। उन्होंने कहा कि ‘मेरी 52 देशों के उच्च प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत हुई है। बातचीत में मारीशस , नेपाल , भूटान समेत पंद्रह देशों के प्रतिनिधियों ने इच्छा जताते हुये कहा कि भारत अगर खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देगा तो इससे प्रेरणा लेकर वे भी अपने राष्ट्र को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की दिशा में कदम उठायेंगे। बांग्लादेश में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़े जाने पर शंकराचार्य ने नाराजगी जाहिर करते हुये कहा- ‘जब भारत में अल्पसंख्यक आराम से रह सकते हैं तो बांग्लादेश में हिंदू सुरक्षित क्यों नहीं रह सकते ? बांग्लादेश भारत से ही तो टूटकर बना है। सनातन धर्म संस्कृति को उच्च स्थान पर रखकर यदि सरकार राष्ट्रहित और जगत कल्याण में यह निर्णय लेगी, तो सम्पूर्ण मानव जगत का उद्धार होगा।हिंदू देवी-देवताओं का विश्व में कहीं भी अपमान को सहन नहीं किया जा सकता। शंकराचार्य जी ने कहा- नेपाल चीन के अधीन हो गया है और वह उसके हाथों का यंत्र बनता जा रहा है। इस मामले में हमारी विदेश नीति कमजोर साबित हुई है। कोरोना के साये में गंगासागर मेले के आयोजन पर शंकराचार्य ने कहा- ‘कोरोना के दौर में ही विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव हुये थे और आगे भी होने जा रहे हैं। जब कोई राजनीतिक कार्यक्रम होता है तो राजनेताओं को कोरोना के दर्शन नहीं होते लेकिन धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होने पर कोरोना की बात उठने लगती है। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थलों में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिये। तपोभूमि को भोग भूमि का रूप देना सही नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुंभ की तरह गंगासागर मेले में भी आना चाहिये ? इसका परोक्ष तौर पर जवाब देते हुये शंकराचार्य ने कहा- ‘ प्रधानमंत्री चाहे तो मेरा अनुसरण कर सकते हैं। बता दें कि शंकराचार्य पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से लगातार मकर संक्रांति पर गंगासागर आ रहे हैं। शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से साथ मिलकर गंगासागर मेले को विश्वस्तर का तीर्थ स्थल घोषित करने का आह्वान किया। गंगासागर मेले को अब तक राष्ट्रीय मेला घोषित नहीं किये जाने पर शंकराचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय मेला ना सही , यह राष्ट्रीय पर्व तो है। पुरी के शंकराचार्य स्वामी जगद्गुरु निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज मकर संक्रांति के अवसर पर अपने सैकड़ों अनुयायियों के साथ सागर तट पर पहुंचखर शाही स्नान किया। गंगासागर में स्नान और आरती के पश्चात पुरी शंकराचार्य जी कलकत्ता होते हुये जगन्नाथपुरी के लिये रवाना हो गये। उल्लेखनीय है कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष देने के लिये मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं और यही सागर तट पर मौजूद कपिल मुनि आश्रम के पास राजा सगर के पुत्रों के अवशेषों को छूती हुई सागर में समाहित हो गई थीं, जिसके बाद राजा सगर के सभी पुत्रों को मोक्ष मिला था. उसके बाद से ही सागर तट पर हर साल मकर संक्रांति के उसी शुभ मुहूर्त में देश-दुनियां से लाखो पुण्यार्थी मोक्ष की चाह में पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में स्थित मशहूर गंगासागर में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।

सत्रह जनवरी को होगा महोदधि आरती

श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी द्वारा 17 जनवरी को महोदधि आरती वार्षिकोत्सव के अवसर पर भव्य महोदधि आरती पूज्यपाद पुरी शंकराचार्य जी के सानिध्य में आयोजित की जा रही है। गौरतलब है कि पुरी मठ के द्वारा प्रतिदिन महोदधि आरती की व्यवस्था की जाती है तथा पौष पूर्णिमा के अवसर भी भव्य समारोह में वार्षिकोत्सव का आयोजन होता रहा है।

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