रिकॉर्ड सातवीं बार मुख्यमंत्री बनें नीतीश कुमार:दो उप मुख्यमंत्री भी

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रिकॉर्ड सातवीं बार मुख्यमंत्री बनें नीतीश कुमार:दो उप मुख्यमंत्री भी

भुवन वर्मा बिलासपुर 16 नवम्बर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

पटना — बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती के बावजूद सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की है। महामहिम राज्यपाल से नई सरकार की न्यौता मिलने के बाद कभी सात दिन के लिये सीएम रहे नीतीश कुमार आज बिहार के सातवीं बार मुख्यमंत्री बनें। इस शपथ के साथ ही उनके नाम फिर एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वे देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हुये जिन्होंने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें राजभवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। उन्होंने कैबिनेट में जातीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा है। सीएम नीतीश कुमार के शपथग्रहण के बाद भाजपा से दरभंगा की जाले विधानसभा सीट से जीवेश मिश्रा (भूमिहार), मुजफ्फरपुर की औराई सीट से विधायक रामसूरत राय (यादव), मुधबनी जिले की राजनगर सीट से विधायक रामप्रीत पासवान (दुसाध), आरा विधानसभा सीट से विधायक अमरेंद्र प्रताप (क्षत्रिय), बेतिया से विधायक रेणु देवी (नोनिया), कटिहार विधान सभा से विधायक तारकिशोर प्रसाद (बनिया) और विधान पार्षद से मंगल पांडे (ब्राह्मण) ने मंत्री पद की शपथ ली। वहीं जनता दल यूनाइटेड से विजय चौधरी , अशोक चौधरी , मेवालाल चौधरी, विजेंद्र यादव, शीला कुमारी। इसी तरह हम पार्टी से जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन और वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इस तरह मुख्यमंत्री के साथ भाजपा के सात , जनता दल यूनाइटेड के छह , हम पार्टी से एक और व्हीआईई से भी एक विधायक ने मंत्री पद का शपथ लिया। इस अवसर पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा , गृहमंत्री अमित शाह सहित कई सांसद विधायक मौजूद रहे। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने शपथ ग्रहण का बहिष्कार कर दिया। गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले चार दशक से बिहार की राजनीति का केंद्र बने हुये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साथ रहकर राजनीति की शुरुआत करने वाले नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रहते हुये बिहार में शराबबंदी जैसा बड़ा निर्णय लिया। वे वर्ष 2009 से भाजपा के साथ हैं ,वर्ष 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं. हालांकि डेढ़ साल के अंदर ही उनका मोह भंग हो गया और वे फिर से भाजपा के साथ आये। बिहार के बख्तियारपुर जिले में जन्मे नीतीश की पढ़ाई बख्तियारपुर के श्री गणेश हाईस्कूल से हुई। बाद में उन्होंने पटना के कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान वे राजनीति में सक्रिय हो गये। वर्ष 1970 के दशक में देश में राजनीतिक रूप से भारी उठापटक हुई। देश भर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद होने लगे और इंदिरा के खिलाफ आंदोलन का मजबूत गढ़ बिहार बना। 18 मार्च 1974 को पटना में छात्रों और युवकों द्वारा शुरू किये गये आंदोलन में जेपी के नेतृत्व ने जान फूंँक दी और ये आंदोलन पूरे देश में ऐसा फैल गया और देखते ही देखते राजनीति का चेहरा ही पूरी तरह बदल गया। नीतीश कुमार भी इस आंदोलन के हिस्सा थे।
इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में बिहार में विधानसभा के चुनाव हुये और नीतीश ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। वो नालंदा के हरनौत विधानसभा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गये। वर्ष 1980 में उन लोकदल के प्रत्याशी के रूप में इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन दूसरी बार भी उन्हें हार झेलनी पड़ी। वर्ष 1985 में लोकदल के टिकट पर नीतीश हरनौत से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये। वर्ष 1987 में नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बना दिये गये और 1989 में उन्हें जनता दल का महासचिव बना दिया गया। वर्ष 1989 नीतीश के राजनीतिक कैरियर के लिये काफी महत्वपूर्ण था। इस साल नीतीश नौंवी लोकसभा के लिये चुने गये। इसके बाद वर्ष 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक केंद्र में वीपी सिंह की सरकार में कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। वर्ष 1991 में लोकसभा के चुनाव हुए, नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंँचे। लगभग कुछ साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समिति का चेयरमैन बनाया गया। इस बीच वर्ष 1994 में वे जनता पार्टी से अलग हो गये और जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी का गठन किया। लेकिन 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में समता पार्टी को हार झेलनी पड़ी। इस हार के बाद जेपी के आंदोलन और मंडल उभार से निकले नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन की गांँठ बांँध ली। वर्ष 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में नीतीश फिर से संसद पहुंचे। फिर 1998-99 तक वे केंद्रीय रेलमंत्री भी रहे। वर्ष 2000 नीतीश के राजनीतिक कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था। इस साल नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।

कब-कब मुख्यमंत्री बने ?

वर्ष 1985 में पहली बार विधायक चुने गये नीतीश कुमार अब तक छह बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, यह उनका सातवांँ कार्यकाल होगा। पहली बार सन 2000 में 03 मार्च से 10 मार्च तक वह सात दिनों के लिये ही मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे , तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक राज्य की बागडोर संभाली। चौथी बार 22 फरवरी 2015 से 19 नवंबर 2015 तक उनकी सरकार रही , पांँचवी बार 20 नवम्बर 2015 से  26 जुलाई 2017 तक और 27 जुलाई 2017 से अब तक उनका कार्यकाल रहा। इसी कड़ी में वे अब सातवीं बार उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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