मेरी स्मृति में 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: बांग्लादेश के जन्म की पटकथा – अजित विलियम

बिलासपुर – सन 1971—भारत के इतिहास का वह वर्ष जिसने एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के जन्म की पटकथा लिखी और भारतीय सैन्य-पराक्रम की एक अमिट छवि विश्व पटल पर अंकित की। यही वह समय था जब मैं मात्र सात वर्ष का था, किंतु उस युद्ध के भय और साहस का गहरा प्रभाव आज तक स्मृति-पटल पर उकेरा हुआ है।
मेरे पिता उस समय भिलाई सिविक सेंटर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। भिलाई, तब पूरे एशिया का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र होने के कारण सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर था। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने भिलाई में मॉक ड्रिल प्रारंभ कर दी थी। यह उस दौर की सबसे बड़ी नागरिक तैयारियों में से एक थी।
जब सायरन की आवाज़ से सिहर उठता था शहर
शाम होते ही सायरन बजते, और वह आवाज़ पूरे शहर को भयभीत कर देती। सायरन बजते ही पूरा भिलाई अंधेरे की चादर ओढ़ लेता। बिजली गुल कर दी जाती, और घरों की खिड़कियाँ, दरवाज़े, काँच—सब पर कागज़ चिपका दिए जाते थे। घर के आईने तक कपड़ों से ढक दिए जाते, ताकि कोई भी रोशनी या प्रतिबिंब शत्रु विमान को लक्ष्य न बना सके। हम पांचों भाई- बहन डर कर पलंग के नीचे छुप जाते।
कुछ देर बाद आकाश में फाइटर जेट्स की गरजती आवाजें सुनाई देती थीं। कभी-कभी लगता मानो आकाश फट जाएगा। मेरे जैसे नन्हे बच्चों के लिए यह कोई खेल नहीं, बल्कि भय और विस्मय से भरा अनुभव था। हमें माचिस या मोमबत्ती जलाने की सख्त मनाही थी। मम्मी-डैडी सावधानीपूर्वक हर नियम का पालन करते थे, और पूरे मोहल्ले में एक अदृश्य भय व्याप्त रहता था।
एक बाल मन का युद्ध से सामना
बचपन की यह स्मृति एक ऐसा मौन युद्ध था, जो मेरे भीतर लंबे समय तक चलता रहा। टेलीविजन तब तक आम नहीं हुआ था, रेडियो ही समाचार का एकमात्र माध्यम था। युद्ध की खबरें, हवाई हमलों की सूचना, और पाकिस्तान की हरकतें घर के हर सदस्य को असहज कर देती थीं।
मैंने पहली बार महसूस किया कि शांति कितनी मूल्यवान होती है, और युद्ध केवल सैनिकों का ही नहीं, आम नागरिकों का भी होता है—खासकर उन बच्चों का, जो युद्ध को नहीं समझते, परंतु उसका भय झेलते हैं।
54 वर्षों बाद: कितना बदला देश, कितना नहीं
इन 54 वर्षों में भारत ने विकास की लंबी यात्रा तय की है। भिलाई इस्पात संयंत्र अब भी गर्व का प्रतीक है, और देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है—अर्थव्यवस्था से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक। किंतु जो नहीं बदला, वह है पाकिस्तान का विद्वेषपूर्ण रवैया। समय बदलता है, सरकारें बदलती हैं, लेकिन पड़ोसी देश की रणनीतियाँ और सोच आज भी 1971 की ही भांति घृणा से भरी हुई प्रतीत होती हैं।
1971 का युद्ध इतिहास का हिस्सा है, किंतु मेरे लिए वह स्मृति का हिस्सा भी है। यह युद्ध मुझे सुरक्षा, अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी का पहला पाठ पढ़ा गया। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो पाता हूँ कि एक बच्चे की आंखों से देखा गया वह भय, आज देशभक्ति में तब्दील हो चुका है।
आलेख –
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर
About The Author

Everything about this feels right.
You’re so awesome! I don’t believe I have read a single thing like that before. So great to find someone with some original thoughts on this topic. Really.. thank you for starting this up. This website is something that is needed on the internet, someone with a little originality!
This is my first time pay a quick visit at here and i am really happy to read everthing at one place
Siz de bilgiye bir adım daha yaklaşmak için aşağıdaki bağlantıyı ziyaret edebilirsiniz:
Makine işleme ve CNC işleme konularında gerçekten başarılı bir firma. Yüksek kaliteli işler yapıyorlar.
You’re so awesome! I don’t believe I have read a single thing like that before. So great to find someone with some original thoughts on this topic. Really.. thank you for starting this up. This website is something that is needed on the internet, someone with a little originality!
For the reason that the admin of this site is working, no uncertainty very quickly it will be renowned, due to its quality contents.
prices cialis: Tadal Access – cialis 10mg reviews