की-मैन चिल्लाता रहा- डेंजर है…गाड़ी पटरी से उतर सकती है:किसी ने नहीं सुना; डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस 30 की जगह 70 की स्पीड में दौड़ाई
ऑडियो 1: हादसे से एक दिन पहले 17 जुलाई को की-मैन का अपने अधिकारी को कॉल
की-मैन: हैलो…कह रहे हैं कि मिलान पर लाइन गड़बड़ लग रही है।
जेई रंजन: मिलान पर?
की-मैन: हां…मिलान पर बिल्डिंग से पश्चिम।
जेई रंजन: बताए तो थे इंचार्ज को। हम देखे थे एक दिन जाकर के। गड़बड़ तो है ही।
की-मैन: गड़बड़ नहीं…बहुत गड़बड़ लग रही है लाइन। वही बिल्डिंग से लेकर पश्चिम तरफ है। टेढ़ी-मेढ़ी हो गई है।
जेई रंजन: आगे का फिटिंग-विटिंग देख लो। सब सही है ना?
की-मैन: हां…सब ठोंक कर आए हैं।
जेई रंजन: बढ़िया से सब तार-वार लगाकर बाहर एकदम चकाचक कर देना।
की-मैन: हां…सब टाइट करके आए हैं।
जेई रंजन: भले दूसरी तरफ मेहनत कम करना। लेकिन जिस एरिया में जहां पर लग रहा है, उस एरिया में जाकर बढ़िया से एकदम ठोक-ठाक देना। कुछ गिरा ना रहे। लाइनर के साथ।
की-मैन: ठीक है।
ऑडियो 2: हादसे से आधे घंटे पहले की-मैन का अधिकारी को कॉल
की-मैन: कॉशन लगा है कि नहीं 38/5 में?
जेई रंजन: कॉशन लगा है?
की-मैन: पूछ रहे हैं आपसे…कॉशन लगा है कि नहीं
जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है।
की-मैन: बहुत डेंजर इस समय हो गया है।
जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है।
की-मैन: हां तो बहुत डेंजर हो गया है। बकलिंग (मुड़ने) होने की संभावना है।
जेई रंजन: क्या बताए अब! (ढीली आवाज में)
की-मैन: सर, बहुत डेंजर हो गया है। सुबह से देखे तभी से बहुत डेंजर लग रहा है। कहीं पहिया उतरने की संभावना ना हो जाए। कोई ठिकाना नहीं है।
जेई रंजन: अभी इंचार्ज फुट प्लेट करके आए हैं। कॉशन लग रहा है। (ढीली आवाज में)
की-मैन: हां…कॉशन लगवा दीजिए। कोई बात हो जाएगी तो दिक्कत हो जाएगी।
जेई रंजन: कॉशन लग रहा है। वहां प्लेट-व्लेट लग चुका है। 30 (किमी प्रति घंटे की स्पीड) लगने वाला है।
की-मैन: ठीक है सर
जेई रंजन: 30 का लगेगा कॉशन।