उत्तर प्रदेश चुनाव के तारीखों का ऐलान पांच जनवरी के बाद : मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने लखनऊ में की प्रेस कांफ्रेंस

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उत्तर प्रदेश चुनाव के तारीखों का ऐलान पांच जनवरी के बाद : मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने लखनऊ में की प्रेस कांफ्रेंस

भुवन वर्मा बिलासपुर 30 दिसंबर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

लखनऊ – अगले वर्ष 2022 की शुरुआत में ही में देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये जारी सियासी सरगर्मियों के बीच आज मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें उन्होंने सख्त नियमों के साथ विधानसभा चुनाव कराने की बात कहते हुये राजनीतिक पार्टियों की तरफ से सुझावों की जानकारी दी और कोविड संक्रमण को देखते हुये लिये गये कुछ अहम फैसलों का जिक्र भी किया। माना जा रहा था कि चुनाव आयोग आज ही तारीखों का ऐलान कर सकता है , हालांकि ऐसा नहीं हुआ। चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव को लेकर उन्होंने सभी दलों का रुख जाना , जिसमें सभी राजनीतिक दलों ने कहा है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुये निश्चित समय पर ही चुनाव संपन्न कराये जाये। इसके पहले आयोग ने उत्तरप्रदेश , पंजाब , गोवा , उत्तराखंड और मणिपुर पांचों राज्यों में जाकर चुनाव की तैयारियों का जायजा ले लिया है , वहीं दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ आयोग की बैठक भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मतदान वाले राज्यों में कोविड -19 टीकाकरण में तेजी लाना आवश्यक है। चुनाव आयुक्त चंद्रा ने बताया चुनाव आयोग का मकसद स्वतंत्र , निष्पक्ष , सुरक्षित , प्रलोभन मुक्त एवं कालाधन मुक्त चुनाव कराना है।उन्होंने कहा कि पांच जनवरी तक फाइनल मतदाता सूची जारी होगी लेकिन नामांकन के आखिरी दिन तक भी अतिरिक्त सूची बन सकेगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने राजनीतिक दलों के सुझावों के आधार पर कुछ बदलाव किये जाने की जानकारी देते हुये बताया कि एक ओर जहां बुजुर्गों , दिव्यांगों और कोरोना संक्रमितों को घर से वोट की सुविधा भी दी जायेगी। पहली बार ये सुविधा दी जा रही है , वहीं भीड़ से बचने के लिये पोलिंग बूथ और वोटिंग टाईम को भी बढ़ाया जायेगा। वोटर कार्ड के अलावा अन्य आईडी कार्ड से भी वोट डालने की सुविधा रहेगी। मतदान का वक्त बढ़ाकर सुबह 08:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक किया जायेगा। सभी बूथ पर ईवीएम लगायी जायेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुये यूपी में पोलिंग बूथ की संख्या को 11 हजार तक बढ़ाया जायेगा , प्रदेश में कुल 01लाख 74 हजार 391 बूथ होंगे। पहले एक बूथ पर 1500 वोट होते थे , जिन्हें घटाकर 1200 किया गया है। राज्य में 4030 मॉडल पोलिंग बूथ होंगे , प्रति विधानसभा में 10 मॉडल बूथ होंगे। उत्तरप्रदेश में 800 महिला पोलिंग बूथ बनाये जायेंगे। सभी बूथों पर ईवीपी में वीवीपैट लगायी जायेगी। चुनाव में उन्हीं कर्मचारियों का ड्यूटी लगाया जायेगा जो कोरोने के दोनों टीके ले चुके हैं। चुनाव प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर्स का दर्जा दिया जायेगा। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये लगभग एक लाख मतदान केंद्रों पर लाईव वेबकास्टिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं राजनीतिक पार्टियों ने रैलियों में नफरती भाषण व रैलियों में हो रही भीड़ पर भी चिंता जताने के अलावा पोलिंग बूथ पर पर्याप्त संख्या में महिला बूथकर्मी की भी मांग की है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि 18 से 19 साल के नये मतदाताओं की तादाद पिछले चुनाव से तीन गुना ज्यादा है। इसमें हजार पुरुष मतदाताओं में 839 महिलाओं का अनुपात अब 868 हो गया है यानि पांच लाख महिला मतदाता बढ़ी हैं। राज्य में अब तक मतदाताओं की कुल संख्या 15 करोड़ से अधिक है। अब तक 52.8 लाख नये मतदाताओं को सम्मिलित किया गया है , इसमें 23.92 लाख पुरूष और 28.86 लाख महिला मतदाता हैं। जिसमें 18-19 आयु वर्ग के 19.89 लाख मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि पांच राज्यों के चुनावों में उत्तरप्रदेश की चर्चा सबसे ज्यादा है , 403 विधानसभा सीट वाले इस प्रदेश में चुनावी हलचलें तेज हैं। राजनीतिक बयानबाजी से नेता एक – दूसरे पर निशाना साध रहे हैं , वहीं चुनावी वादों की बौछारों के साथ धरना प्रदर्शन भी लगातार जारी है। चुनाव आयुक्त ने यूपी में कम मतदान को लेकर चिंता जताते हुये कहा कि वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में लगभग 61 फीसदी मतदान हुआ था , जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 59 फीसदी ही मतदान हो सका था। यह चिंता का विषय है कि जिस राज्य में लोगों में राजनीतिक जागरूकता अधिक है , वहां मतदान प्रतिशत कम क्यों है ? गौरतलब है कि कोरोनावायरस के नये ओमिक्रॉन वेरिएंट को देखते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग से अपील की थी कि उत्तरप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को टालने के साथ ही राज्य में होने वाली रैलियों पर तुरंत रोक लगा दी जाये। वहीं चुनाव आयोग ने कहा था कि हालात का जायजा लेने के बाद इस दिशा में ठोस निर्णय लिया जायेगा। हालांकि इसके बाद से ही चुनाव के टलने की चर्चा शुरू होने लगी थी , लेकिन आज चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधानसभा चुनाव पर निर्णय स्पष्ट कर दिया। बताते चलें गोवा , पंजाब , उत्तराखंड और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल मार्च में समाप्त हो रहा है , जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त होगा।
 

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