महामृत्युंजय आराधना महोत्सव में आज हवन कल पूर्णाहुति

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महामृत्युंजय आराधना महोत्सव में आज हवन कल पूर्णाहुति

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 जनवरी 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर – पूर्वाभ्यास गोवर्धन मठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग द्वारा स्थापित श्री सुदर्शन संस्थानम् मे आयोजित सर्वजनहित कल्याणकारी साम्बसदा शिव रुद्राभिषेक समारोह एवं शिव सहस्त्रार्चन महोत्सव कार्यक्रम के प्रधान यज्ञाचार्य पं. झम्मन शास्त्री जी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों के सुमधुर वाणी मे सम्बोधित करते हुये कहा कि भगवान शिव जी के नाम स्वभाव और प्रभाव तीनो रूपों का चिन्तन करते हुये पूज्यपाद् जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज कहते है कि शिव शंकर प्रलयंकर , शिव जी प्राणी मात्र को विश्राम प्रदान करने वाले सुखनिधान मंगल के धाम है , उनका नाम लेने से जीव मात्र का कल्याण संभव है। महाप्रलय के समय तीसरा नेत्र खोल देते है तो प्रलयंकर भी है ,ध्यान रहे शिव जी तमोगुणी व्यक्तियो के लिये त्रिशूल भी रखते है। शिव जी भोले हैं तो हाथ में भाला भी रखते है इसलिये शिव जी उपासक भक्त तेजस्वी ओजस्वी होते है। अन्याय अधर्म अनीति के विरोध में संघर्ष करने की प्रेरणा भगवान शिव जी से लेने की आवश्यकता है।

एकादश रूद्रावतार हनुमान जी इसलिए अपने लीला मे सेवा , सत्संग और संकीर्तन का आलम्बन लेकर ज्ञानियों मे अग्रगण्य तथा बुद्धिमानों में वरिष्ठ होते हुये धर्म संस्कृति एवं आदर्श परम्परा तथा राम राज्य की स्थापना के लिये असुरों के संहार भी करते है तथा भक्तो के उद्धार के लिये सदैव राम नाम जपते जपते प्रभु को अपने वश में भी कर लेते हैं। भजन ऐसा हो जैसे काम रहित तो प्रभु शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। राम मंत्र तारक भी है मारक भी है । मंत्र , देवता, यज्ञ , विधि सम्मत सम्पादन करने पर भगवत्प्राप्ति के लिये, मोक्ष पाने के लिये परम साधन है , वहीं शास्त्र विपरीत परम्परा से मंत्र प्रयोग यज्ञ करने पर मारक भी सिद्ध होता है , इसलिये ध्यान देना चाहिये कि सनातन शास्त्र सम्मत वैदिक विधा का अवलम्बन लेकर ही उपासना यज्ञादि सत्कर्म करें। आचार्य श्री ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने भी यज्ञ कराया शिव जी को अपमानित करने के उद्देश्य से , तब भगवान ने विध्वंस करा दिया । ठीक इसी प्रकार रावण ने भी यज्ञ किया तामस यज्ञ , परिणामस्वरूप यज्ञ ने उसे भी विध्वंस करा दिया । यज्ञ में विधि द्रव्य और उद्देश्य तीनों शुद्ध हो तो भगवान यज्ञ पूर्ण करने स्वयं पहुॅंच जाते है ।

भगवान राम जंगलों मे ऋषि मुनियों की यज्ञ रक्षा के लिये अवतार लेते हैं , सात्विक यज्ञ से स्वयं प्रकट होकर लीला करते हैं । भगवान आद्य शंकराचार्य साक्षात शिव के अवतार थे , आज से 2528 वर्ष पूर्व जब सनातन परम्परा पर चारों तरफ से आक्रमण हो रहा था तो धर्म संस्कृति यज्ञ पूजा भजन कथा मठ मंदिर तीर्थ धाम की पुनः स्थापना के लिये देश की एकता एवं अखण्डता के लिये उन्होंने आध्यात्मिक क्रांति के द्वारा शासन तंत्र एवं व्यास पीठ दोनों का शोधन कर सनातन शासन तंत्र की स्थापना की, इसलिये कलयुग में सार्वभौम धर्म गुरू शंकराचार्य मान्य हैं , ध्यान रहे राम राज्य धर्म राज्य की स्थापना मनु के सिद्धांत पर आधारित था, उस समय कोई दीन दुखी दरिद्र नहीं थे सब परस्पर प्रेम करते थे। उस व्यस्था का नाम ही वर्णाश्रम धर्म था जिसके पालन से शिक्षा रक्षा वाणिज्य और सेवायें ये चार प्रकल्प समाज में सदा संतुलित रहे। इसलिये इस आदर्श परम्परा के पालन से ही राष्ट्र का एवं सम्पूर्ण विश्व का सर्वविध उत्कर्ष संभव है।

श्रीसुदर्शन संस्थानम् में आयोजित महायज्ञ आराधना महोत्सव में पूर्णाहुति कल 23 जनवरी को दोपहर 12:00 बजे सम्पन्न होगा , आज 22 जनवरी को संध्या 06:00 बजे से 08.30 तक हवन यज्ञ का आयोजन है, सभी श्रद्धालु भक्तजनों को इस पावन अवसर पर संस्थानम् में पधारकर सम्मिलित होने के लिये धर्म संघ पीठपरिषद ,आदित्य वाहिनी आनन्द वाहिनी छत्तीसगढ़ इकाई ने आह्वान किया है ।

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