पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण हेतु गठित आयोग डेढ़ साल से कोमा में : प्रशासनिक आतंक का जीवंत उदाहरण

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पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण हेतु गठित आयोग डेढ़ साल से कोमा में : प्रशासनिक आतंक का जीवंत उदाहरण

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 जनवरी 2021

रायपुर |मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सकारात्मक सोच के साथ छत्तीसगढ़ के जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर क्वांटिफाईबल डाटा एकत्रित करने हेतु आयोग का गठन 11 सितंबर 2019 को किया गया । उक्त आयोग में छविलाल पटेल सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन जज बिलासपुर को अध्यक्ष नियुक्त किया गया ।

आदेश के अनुसार आयोग द्वारा निर्धारित कार्य को 6 माह की अवधि में संपादित कर शासन को प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था ।उक्त आदेश को जारी किए हुए आज डेढ़ वर्ष होने को है अब तक आयोग के अध्यक्ष कार्य प्रारंभ नहीं किए हैं ।

डॉ कमलप्रीत सिंह सचिव छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश अनुसार जारी प्रपत्र में आदेश के बाद काम तिल भर आगे नही गया । कार्यालय भी प्रारंभ अब तक नहीं हुई है । इस आयोग के गठन में प्रशासनिक आतंक का स्पष्ट नमूना देखा जा सकता है । शासन-प्रशासन कितनी गंभीर है ओबीसी सर्वेक्षण के प्रति अंदाज लगाया जा सकता है ।
वही पिछड़ा वर्ग जनसंख्या एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की सर्वेक्षण रिपोर्ट हेतु आज तक आयोग के अध्यक्ष को न कर्मचारी की उपलब्धता एवं अनुकूल ऑफिस का शुरू ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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