लेह लद्दाख जैसा मैंने देखा : लद्दाखियों की दशकों पुरानी मांग हुई पूर्ण – बना केंद्र शासित प्रदेश मिली एक अलग पहचान, आज देश के पर्यटन पर एक विशिष्ट पहचान के साथ प्रमुख आकर्षण का केंद्र

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लेह लद्दाख जैसा मैंने देखा : लद्दाखियों की दशकों पुरानी मांग हुई पूर्ण – बना केंद्र शासित प्रदेश मिली एक अलग पहचान, आज देश के पर्यटन पर एक विशिष्ट पहचान के साथ प्रमुख आकर्षण का केंद्र

भुवन वर्मा लेह लद्दाख से 2 अप्रैल 2023 तापमान माईनस 7 डिग्री से

लेह लद्दाख । 1 अप्रैल को हमारी अस्मिता और स्वाभिमान सांस्कृतिक अध्ययन टीम लेह लद्दाख के सुदूर वादियों में पहुंचे हैं। समुद्री सतह से लगभग 14 हजार फीट ऊपर ऊंची ऊंची पहाड़ो के बीच बर्फ की चादर से ढकी पर्वत श्रृंखला सुई की नोक की तरह चुभाती ठंडी हवा दिन में 0 से 2 डिग्री और रात में -7 से- 8 डिग्री के तापमान देने वाली लेह आज भी अपनी अनुपम पर्वत श्रंखला के नाम से जानी जाती है । यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय पर्यटन व्यवसाय ही है लोगों के लिए आवास व्यवस्था एवं हॉटल कारोबार लेह लद्दाख की अपनी एक विशेष व्यवसाय है । अभी अप्रैल से जुलाई तक लद्दाख के किसान सब्जी बाड़ी की खेती करेंगे जिससे उनकी अपनी रोजगार की आवक के साधन बन पाएगा । वही हाट बाजार में महिला एवं बड़े बुजुर्ग के ड्राई फ्रूट्स काजू बादाम किशमिश अखरोट की बाजार इनका मुख्य व्यवसाय का आधार है । यहॉ के एक मात्र पॉपुलर पाम पेड़ बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है । फिलहाल बिना पत्तियों के ढूंढ की तरह खड़ी पौधे मई-जून में हरियाली लेकर लोगों को आकर्षित करती है । वही यहां के लोगों की इमारती लकड़ी के रूप में भी काम आती है । पूरी लद्दाख में किसी अन्य प्रजाति के पौधों का रोपण यह विकास नहीं हो पाता है । क्योकि यहां पर्यावरण अन्य पेड़ पौधों के अनुकूल नहीं है । वही लेह के शांति स्तूपा, पत्थर साहिब गुरुद्वारा, मैग्नेटिक हिल ,पैनगैंग झील, लेह पैलेश, माल रोड प्रमुख आकर्षण के केंद्र है ।

एक चर्चा पर लेह के आमजनों ने बताया कि हमे पिछले लगभग 4 साल से लद्दाख को अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से आजादी मिली है ।इस साल 5 अगस्त 2023 को लद्दाख अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से आजादी मिलने की चौथी सालगिरह मनाने जा रहा है । लगभग 4 साल पहले यानि 5 अगस्त 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाखियों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करने की घोषणा भी की थी. उसी के बाद से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में एक अलग पहचान मिल गई थी. अपनी इस अलग पहचान के साथ लद्दाख एक बेहतर भविष्य की राह पर आगे बढ़ने लगा है ।

लद्दाख पर पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की गिद्ध नज़र हमेशा बनी रही….

आइये जाने कुछ इतिहास लद्दाख की 1979 में दो जिलों कारगिल और लेह में बांटा गया था. खासतौर पर इनमें से लद्दाख का कारगिल क्षेत्र 1948 से लेकर 1965, 1971 और उसके बाद 1999 के कारगिल युद्ध तक हमेशा फोकस में रहा । वही 1989 में इस क्षेत्र में बौद्धों और मुस्लिमों की आबादी के बीच पैदा हुए तनाव के कारण यहां पहली बार सांप्रदायिक दंगे छिड़ गए. और तब लद्दाख में कश्मीर से अलग होकर केंद्रशासित राज्य का दर्जा पाने की मांग और मजबूत होती चली गई.

इसी बीच लद्दाख में बुद्धिस्ट एसोसिएशन का गठन….

केंद्र शासित प्रदेश की इसी मांग को लेकर साल 1989 में लद्दाख में बुद्धिस्ट एसोसिएशन का गठन किया गया. एसोसिएशन ने अपने गठन के साथ ही इस मांग को लेकर एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया. यूनियन टेरिटरी की मांग को लेकर लेह और कारगिल जिलों में राजनीतिक पार्टियों के साथ लोग भी एकजुट हो गए. साल 2002 में लद्दाख यूनियन टेरिटरी फ्रंट के गठन के साथ इस मांग को लेकर सियासत और तेज हो गई. साल 2005 में लद्दाख यूनियन टेरिटरी फ्रंट ने लेह हिल डेवेलपमेंट काउंसिल की बैठक हुआ । इसके बाद से लद्दाख ने इस मांग को लेकर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इसी मुद्दे को लेकर साल 2004, 2014 और 2019 में लद्दाख ने सांसद जिताकर दिल्ली भेजे थे ।

लेकिन आखिरकार लद्दाखियों को उनकी मंजिल मिली 5 अगस्त 2019 को जब धारा 370 हटाने के साथ भारत सरकार ने लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करके एक अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया. लद्दाख आज उसी सपने के मुकम्मल होने का जश्न मना रहा है । साथ ही चहुमुखी विकास की ओर अग्रसर हो रहा है । सुव्यवस्थित घाटियो व घाटियो के बीच से गुजरती हुई पहुंच मार्ग, पर्यटन स्थल व प्रमुख धार्मिक स्थल लोगों को आकर्षित करती है ।

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