ज्ञानवापी में शिवलिंग ही है आदि विशेश्वर : ज्ञानवापी परिसर जल्द से जल्द हिन्दुओं को सौंपी जाये – पुरी शंकराचार्य

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ज्ञानवापी में शिवलिंग ही है आदि विशेश्वर : ज्ञानवापी परिसर जल्द से जल्द हिन्दुओं को सौंपी जाये – पुरी शंकराचार्य

भुवन वर्मा बिलासपुर 02 जून 2022

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

वाराणसी – ज्ञानवापी में शिवलिंग ही है , वो आदि विशेश्वर हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार पूरी काशी ही शिवलिंग है , इसमें किसी को भी किसी भी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिये। ज्ञानवापी परिसर को जल्द से जल्द हिन्दूओं को सौंप देना चाहिये। अब हम सभी स्वतंत्र भारत में हैं और हमें अपने पूर्व मानवाधिकारों को स्थापित करने का अधिकार है। मानवाधिकार की सीमा में कार्य करने से विश्व की कोई भी शक्ति हमें इससे वंचित नहीं कर सकती।
उक्त बातें चार दिवसीय प्रवास पर काशी पहुंचे पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने अस्सी स्थित दक्षिणामूर्ति मठ में हिन्दू राष्ट्र संगोष्ठी के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने यह भी कहा कि आगरा में ताजमहल नहीं तेजोमहल और मक्का में मक्केश्वर महादेव हैं , इन्हें भी हिंदुओं को सौंप देना चाहिये। महाराजश्री ने कहा मैं जो कह रहा हूं वह एक अभियान है। इस पर सनातन धर्मियों को कोई संदेह नहीं होना चाहिये। ज्ञानवापी से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्वामी निश्च्छलानंद सरस्वती ने मुस्लिम समुदाय से अपील के साथ सलाह देते हुये कहा कि वे अपने पूर्वजों के मानवाधिकार हनन के लिये उठाये कदम को आदर्श ना मानें। मुस्लिम समाज को अपने पूर्वजों की गलतियों को मानकर सहिष्णुता – मानवता का परिचय देते हुये सबके साथ- साथ चलना चाहिये।पुरी शंकराचार्य नेकहा कि मोहम्मद साहब और ईसा मसीह के पूर्वज कौन थे ? यह बात सिद्ध है कि सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिन्दू थे। हिन्दुओं को काफिर कहने का अर्थ अपने पूर्वजों को ही काफिर कहना होता है। भगवान शिव ने ही जगत बनाया। उस समय खुदा , ईसा मसीह और गॉड का भी कोई नाम नहीं था। अतः अपने पूर्वजों के मार्ग पर चलने का प्रयास करें। ज्ञानवापी का जो पूर्व स्वरूप था उसे एक बार फिर इस स्वरूप में लाना चाहिये। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि मुसलमानों को न्याय सहिष्णु होना चाहिये। उन्हें आक्रांताओं की थाती (कोई चीज) सम्हालकर नहीं रखनी चाहिये। परातंत्र में मुगलवंश के कुछ शासकों ने मानवाधिकार को कुचल कर मंदिरों पर कब्जा किया और मस्जिदें बनवा दीं। लेकिन अब लोकतंत्र है , हिंदुओं को उनके धर्म स्थल लौटा देने चाहिये। इसमें ज्ञानवापी भी है जहां विश्वेश्वर महादेव विराजमान हैं। उन्होंने कहा वे पहले से कह रहे हैं कि ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग ही आदि विश्वेश्वर हैं , जो आज सच साबित हुआ है। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि कोई भी देश कितने भी वर्षो तक परतंत्र क्यों ना रहा हो , मानवाधिकार की सीमा में उसे स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त रहता है। बिल्कुल इसी प्रकार हमारे मानवाधिकार का अतिक्रमण कर के जिन तत्वों ने इसे ध्वस्त किया। अब हमारा दायित्व बनता है कि हम इसे पुनः इसके स्वरूप में स्थापित करें। जगन्नाथ मन्दिर को लेकर कोई केस चल रहा था उसमें कोई पार्टी नहीं थी। मगर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मेरे पास सूचना भेजी कि आपका इस पर दृष्टिकोण क्या है ? मैंने तब 31 बिंदुओं में लिखित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया , वही न्याय बन गया – वही निर्णय बन गया।
स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि ढाई दशक पहले उनके समक्ष एक प्रस्ताव आया था जिसमें श्रीराम मंदिर के समीप ही अयोध्या में मस्जिद बनाने का प्रस्ताव बना था। जिस पर कई धर्माचार्य सहमत हो गये लेकिन स्वामी निश्चलानंद के असहमत होने से नहीं बन सका , ऐसे ही राम सेतु भी नहीं टूटा। पुरी पीठाधीश्वर ने कहा
बुद्धि हमेशा सत्य का परिचय देती हैं , इसलिये ज्ञानवापी मस्जिद में मिले स्वयम्भू शिवलिंग को फव्वारा कहने वाले लोग कब तक सत्य को छिपायेंगे ? उन्होंने ऐसे धर्माचार्यों के वजूद को कटघरे में खड़ा किया जो शिवलिंग होने पर आशंका कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को किसने धर्माचार्य बनाया जिनको धर्म और आध्यात्म के बारे में जानकारी ही नहीं। उन्होंने कहा कि काशी प्रवास पर हूं इसलिये ऐसे धर्माचार्य उनके साथ विचार रख सकते हैं , जिसके बाद उनकी आशंकाओं को बिंदुवार दूर कर देंगे। स्वामी निश्च्छलानंद सरस्वती ने एलान किया कि मंदिरों को संरक्षित करने के लिये काशी में तमाम शंकराचार्यों , प्रमुख पीठों के महंत एवं धर्माचार्यों का सम्मेलन भी आयोजित करेंगे , जल्द ही तारीख की घोषणा की जायेगी।

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