खाद्य विभाग का बेमेल कारनामे : मामले को इतने हल्के तरह से पेश किया गया कि मिलावट करने वाले दुकानदारों में किसी को भी सजा नहीं- फिक्सिंग का खेल जबरदस्त

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खाद्य विभाग का बेमेल कारनामे : मामले को इतने हल्के तरह से पेश किया गया कि मिलावट करने वाले दुकानदारों में किसी को भी सजा नहीं- फिक्सिंग का खेल जबरदस्त

भुवन वर्मा बिलासपुर 26 मार्च 2022

बिलासपुर । खाद्य विभाग में खासकर दिपावाली और होली के समय तत्पर दिखते हैं, लेकिन कार्यवाही में उनके टीम पूरा फिक्स हो जाता है। खाद्य सामग्री के अलावा फलों में भी गड़बड़ी की शिकायतें होती आई हैं। पानी पाउच भी स्तरहीन मिला था। जर्दा वालों पर भी खूब कार्रवाई हुई है, लेकिन मामले को इतने हल्के तरह से पेश किया गया है कि मिलावट करने वाले दुकानदारों में किसी को भी सजा नहीं हो पाई। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी मिलावट करने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई को लेकर कितने गंभीर हैं, इसे चार साल में लिए गए सैंपल की रिपोर्ट को देखकर समझा जा सकता है। खाने-पीने के सामान की जांच के लिए जितने सैंपल सालभर में लेने थे, उसे इकट्ठा करने में अधिकारियों को चार साल लग गए। चार साल में 480 सैंपल लिए गए, जिसमें से लगभग 120 सामान की जांच रिपोर्ट अमानक मिली। जिनके खिलाफ एडीएम कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने जुर्माना किया, सजा एक भी मामले में नहीं दी गई। लेकिन मामले को इतने हल्के तरह से पेश किया गया है कि मिलावट करने वाले दुकानदारों में किसी को भी सजा नहीं हो पाई।

गजब का नपातुला जवाब होता है प्रशासनिक अधिकारियों का……

खाद विभाग सहित लगभग सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का एक ही जवाब रहता है- मुझे जानकारी नहीं है फाइल देखकर बताऊंगा ,,शीघ्र कार्रवाई की जाएगी ,,दोषी बख्शे नहीं जाएंगे….

दो साल पहले शिकायत हुई थी कि कारोबारी दुकानों में मशीन लगाकर फलों को पकाने का धंधा कर रहे हैं। इनमें कई तरह के ऐसे कैमिकल का इस्तेमाल चल रहा है, जिसका जनता की ह सेहत पर बुरा असर पड़ रहा। शिकायत के बाद फूड डिपार्टमेंट की टीम ने तिफरा फल सब्जी मंडी और 3 शनिचरी सहित कई बाजारों में पहुंचकर केला, अंगूर, अनार और ह सेब के सैंपल उठाए। इसे जांच के लिए रायपुर स्थित लैब में भेजा। वहां से मिली रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट में साफ तौर पर यहां के फलों को असुरक्षित माना गया। विभाग के अधिकारियों ने 20 कारोबारियों को नोटिस भेजा, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि ऐसे मामलों में अधिकारियों को गंभीरता से कार्रवाई करनी थी। इसके बावजूद इस उस तरह से नहीं लिया गया।

मिलावट के कैटेगिरी निम्नानुसार…

नियमानुसार मिलावट को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। पहला असुरक्षा, अमानक और मिसब्रांड। किसी भी खाद्य पदार्थ जिसका सीधा वास्ता इंसान के शरीर से होता और इसमें मिलावट मिलती है राजनीतिक तो इसे असुरक्षा की श्रेणी में रखा गई। यह मामला सीधे सीजीएम कोर्ट में लगता और वहां से संबंधित व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जुर्माने या सजा का प्रावधान है। 5 लाख तक जुर्माना लग सकता है।अमानक और मिस ब्रांड का मामला एडीएम कोर्ट में लगता है। अमानक यानी कोई प्रोडक्ट खराब व मिसब्रांड यानी प्रोडक्ट के रैपर में दावों के अनुरूप नियमों का पालन नहीं करना है

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