इतिहास गवाह है छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में : कुलपतियों के चयन में हमेशा से ठगा गया है छत्तीसगढ़ियों को – अभी भी चयन में महामहिम द्वारा वही राग अलापा जा रहा

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इतिहास गवाह है छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में: कुलपतियों के चयन में हमेशा से ठगा गया है छत्तीसगढ़ियों को – अभी भी चयन में महामहिम द्वारा वही राग अलापा जा रहा

भुवन वर्मा बिलासपुर 23 फरवरी 2022

रायपुर । कुलपति चयन का विषय राजभवन एवं छत्तीसगढ़ शासन की आमने सामने के अलावा अब मूल छत्तीसगढ़ियों को भी इस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है । हमारे अपने शिक्षाविदों को कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसींन होना चाहिए । मापदंड के अनुरूप अगर हमें योग्य कुलपति के उम्मीदवार छत्तीसगढ़ से मिल रहे हैं तो क्यों ना छत्तीसगढ़ के ही कैंडिडेट को कुलपति का दायित्व दिया जाए । इतिहास गवाह है पिछले रिकॉर्ड देखे तो अब तक केवल छत्तीसगढ़ का शिक्षा प्रशासनिक अधिकारी या अन्य तरह की भर्तियों में हमेशा से अन्याय ही हुआ है । छत्तीसगढ़ीयों का भला होता कभी नही दिखा है । प्रदेश के एकमात्र सबसे पुराना विश्वविद्यालय पंडित रविशंकर शुक्ला में भी लोकल छत्तीसगढ़ी कि वरिष्ठ प्रशासनिक पद में नियुक्ति नहीं के बराबर रही है ।


रविशंकर विश्वविद्यालय की स्थापना 1964 से अब तक 21 कुलपतियों ने अपना पद दायित्व निर्वहन किया है जिसमें से गिनते के आठ कुलपति ही छत्तीसगढ़ के शिक्षाविद को अवसर मिल पाया है । इसी तरह ही संस्कारधानी बिलासपुर के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय जो वर्तमान में केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया हैं । यहां भी कुलपतियों की चयन में हमेशा से उत्तर भारतीयों का ही कब्जा रहा है । कुलपतियों की नियुक्ति में सदैव से छत्तीसगढ़ की अवहेलना होती रही है
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 1987 में हुई यहां भी तब से लेकर अब तक कुलपतियों के चयन में छत्तीसगढ़ के किसी भी शिक्षाविद को अवसर प्राप्त नहीं हुआ है स्थापना से अब तक कुलपतियों के नाम निम्नानुसार है:-
डी के शर्मा,व्ही पी शुक्ला,डॉ कीर्ति सिंह
डॉ अनवर आलम,डॉ व्ही के पाटिल
डॉ सी आर हाजरा,डॉ एम पी पाण्डे
डॉ एस के पाटिल,डॉ एस एस सेंगर
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स्वामी विवेकानंद टेक्निकल विश्वविद्यालय दुर्ग का स्थापना 2005 में हुआ जहां अब तक पांच कुलपतियों ने अपनी सेवाएं दिए हैं चार बाहरी रहे हैं । वर्तमान कुलपति डॉक्टर एम के वर्मा मूल छत्तीसगढ़ से हैं जो सफलतापूर्वक कुलपति का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं । छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालय को मिलाकर छत्तीसगढ़ में कुल 15 विश्वविद्यालय की स्थापना हो चुकी है । लगभग सभी विश्वविद्यालयों में भी ज्यादातर पैराशूट कुलपति ही छत्तीसगढ़ के भाग्य में है ।

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग अब तक के कुल पतियों की सूची निम्नानुसार है जिसमें मात्र एक कुलपति जो वर्तमान में कार्यरत हैं छत्तीसगढ़ से हैं

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