पुरी शंकराचार्य जी का हिन्दु राष्ट्र संघ सन्देश

0

पुरी शंकराचार्य जी का हिन्दु राष्ट्र संघ सन्देश

भुवन वर्मा बिलासपुर 16 अक्टूबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग हिन्दु राष्ट्र संघ की अवधारणा प्रकल्प अभियान के तहत हिन्दुओं के विभिन्न विशेषताओं को रेखांकित करते हुये हिन्दु राष्ट्र संघ सन्देश शीर्षक से संकेत करते हैं कि जो देहात्मवादी होने पर भी मानवोचित शील और संयम के पक्षधर तथा प्राणिमात्र के प्रति अपनत्व सम्पन्न एवं गोवंश , गङ्गा, सती आदि सनातन मानबिन्दुओं के प्रति आस्थान्वित हैं , वे प्राथमिक कोटि के हिन्दु हैं। जो देह के नाश से जीवात्मा का नाश नहीं मानते तथा सनातन वेदादि – शास्त्रों को निज धर्मग्रन्थों का उद्गमस्थान मानते हैं एवं सबके हित का ध्यान रखते हुये निज लौकिक उत्कर्ष और पारलौकिक उत्कर्ष में तत्पर तथा परमात्मप्राप्ति के पक्षधर हैं ; वे मध्यम कोटि के हिन्दु हैं।

पूर्वोक्त आस्था सम्पन्न जो प्रकृतिप्रदत्त भूत तथा भौतिक सकल प्रभेद को प्रयोजन साधक समझते हुए वेदादि — सनातन शास्त्रसम्मत विधा से भेदभूमियों के सदुपयोग की तथा सकल भेदभूमियों से अतिक्रांत निर्भेद परमात्मा की प्राप्ति के लिये ; तद्वत् शिक्षा – रक्षा – अर्थ – सेवा के प्रकल्प को सन्तुलित रखने की भावना से सनातन वर्णाश्रम व्यवस्था में आस्थान्वित रहते हुये जीवन – यापन के पक्षधर हैं ; वे उत्तम कोटि के हिन्दु मान्य हैं। जो वेदान्तवेद्य परमात्मा को स्वरूपत: निर्गुण – निराकार मानते हुए , स्वरूपभूता अचिन्त्य शक्ति के योग से सगुण – निराकार भूमि में उसे जगत् बनने वाला तथा बनाने वाला दोनों मानते हैं और उसका सगुण – साकार पञ्चदेवों के रुप में अवतार मानते हुये श्रीमन्नारायणादि सनातन गुरुओं की परम्परा में आस्थान्वित हैं वे उत्तमोत्तम हिन्दु हैं।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *