उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना के 6 बड़ी प्रोजेक्ट का प्रधानमंत्री मोदी ने किया शिलान्यास

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उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना के 6 प्रोजेक्ट का प्रधानमंत्री मोदी ने किया शिलान्यास

भुवन वर्मा बिलासपुर 29 सितंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उत्तराखंड में नमामि गंगे के तहत 06 प्रोजेक्ट का शिलान्यास के साथ साथ हरिद्वार के जगजीतपुर, सराई में सीवी ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन और जगजीतपुर में सीवेज प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। हरिद्वार-ऋषिकेश क्षेत्र से लगभग 80 प्रतिशत जल गंगा में जाता है। ऐसे में इन परियोजनाओं की गंगा को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रधानमंत्री मोदी गंगा नदी में किये गये पोषक तत्वों, जैव विविधता और कायाकल्प गतिविधियों को प्रदर्शित करने के लिये गंगा के पहले संग्रहालय ‘गंगा अवलोचन’ का भी उद्घाटन किये। यह संग्रहालय दर्शनघाट, हरिद्वार में स्थित है। मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव जनसंस्थान की ओर से प्रकाशित पुस्तक रोविंग डाउन द गंगा का विमोचन एवं जल जीवन मिशन का लोगो भी लॉन्च किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है, उसमें विस्तार से बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत का बहुत बड़ा प्रतीक है। आज मां गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने वाली 06 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया। इसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ और मुनि की रेती में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और म्यूजियम जैसे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, इनके लिये मैं उत्तराखंड के सभी लोगों को बहुत बधाई देता हूंँ। आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है उसमें विस्तार से बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव , आस्था और विरासत का बहुत बड़ा प्रतीक है।उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक मांँ गंगा देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं , इसलिये गंगा की निर्मलता और अविरलता आवश्यक है। बीते दशकों में गंगा जल की स्वच्छता को लेकर बड़े बड़े अभियान शुरू हुये थे, लेकिन उन अभियानों में ना तो जन भागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता। अगर पुराने तौर-तरीके अपनाये जाते, तो आज भी हालात उतनी ही बुरी रहती, लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े। हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया। सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिये सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया। दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाये जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें। तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे 100 बड़े शहरों और 5,000 गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना। चौथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिये पूरी ताकत लगाया। आज सरकार के चौतरफा काम का परिणाम हम सब देख रहे हैं। आज नमामि गंगे परियोजना के तहत 30 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है या पूरा हो चुका है। उत्तराखंड में स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से अधिक नाले गंगा जी मे गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है। प्रयागराज कुंभ में गंगा की निर्मलता को दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने अनुभव किया था। अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनियाँ को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है। इसमें ऋषिकेश से सटे मुनि की रेती का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगा जी के दर्शन के लिये आने वाले और राफ्टिंग करने वाले साथियों को बहुत परेशानी होती थी। अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जायेगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिये गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है। आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो चुका है। हरिद्वार में भी ऐसे 20 से अधिक नालों को बंद किया जा चुका है। नमामि गंगे अभियान को अब नये स्तर पर ले जाया जा रहा है। गंगा के स्वच्छता के अलावा अब गंगा से सटे क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के विकास पर भी फोकस है। सरकार द्वारा उत्तराखंड के साथ ही सभी राज्य के लोगों को जैविक खेती से जोड़ने की योजना बनायी गयी है।आजादी के वर्षों बाद भी 15 करोड़ से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी नहीं पहुंचता था। देश में पानी से जुड़ी सभी चुनौतियों से निपटने के लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया। पानी से जुड़ी चुनौतियों के साथ ये मंत्रालय आज हर घर पानी पहुंचाने के मिशन में जुटा हुआ है। आज जलजीवन मिशन के तहत हर दिन करीब एक लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल की सुविधा से जोड़ा जा रहा है। सिर्फ एक साल में ही देश के 2 करोड़ परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है। आज पैसा ना पानी की तरह बहता है, ना पानी में बहता है। पैसे की पाई-पाई पानी पर लगायी जाती है। हमारे यहां तो हालत ये थी कि पानी जैसा महत्वपूर्ण विषय, अनेकों मंत्रालयों और विभागों में बंटा हुआ था। इन मंत्रालयों में, विभागों में ना कोई तालमेल था और ना ही समान लक्ष्य के लिये काम करने का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश। नतीजा ये हुआ कि देश में सिंचाई हो या फिर पीने के पानी से जुड़ी समस्या, ये निरंतर विकराल होती गयी। कार्यक्रम के दौरान विपक्ष पर निशाना साधते हुये पीएम मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार के हर कार्यों पर टाँग अड़ाना इनका काम है , चाहे वह कृषि बिल हो या सर्जिकल स्ट्राइक। जिन उपकरणों की किसान पूजा करता है उन्हें आग लगाकर ये लोग किसानों का अपमान कर रहे हैं। इसके पहले ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांँग रहे थे। ये लोग ना किसान के साथ हैं, ना नौजवानों के साथ और ना वीर जवानों के साथ।

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