सोनपापड़ी के सामने सब फीकी, काजू बर्फी को पछाड़कर मसूर पाक निकला आगे : रक्षाबंधन पूर्व मिठाई खरीदी में इस बार ज्यादा दिन टिकने वाली मिठाइयों को मिली प्राथमिकता
भुवन वर्मा बिलासपुर 1 अगस्त 2020
रायपुर- सोन पापड़ी, मसूर पाक और काजू बर्फी ही ऐसी मिठाईयां रही जिसने लॉक डाउन की अवधि में पड़ रहे रक्षाबंधन के त्यौहार में बिक्री के अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। वजह सिर्फ यही रही कि मिठाइयों की कई किस्मों के बीच केवल यही तीन ऐसी मिठाईयां है जिनकी सेल्फ लाइफ सबसे ज्यादा रहती है। लिहाजा दूसरी किस्में ना तो ज्यादा मात्रा में बनाई गई ना खरीदी को लेकर उत्साह नजर आया।
रक्षाबंधन भी कोरोना की भेंट चढ़ चुका है। भले ही लॉक डाउन की अवधि में दी गई सीमित अवधि में कारोबार की छूट से राहत मिली हो लेकिन अब संभल कर खरीदी और जरूरी बातों को पालन में लिया जा रहा है। धीरे-धीरे ही सही दैनिक जीवन में भी ऐसे क्रियाकलाप हिस्सा बन चुके हैं। त्योहारों की जो औपचारिकता मिठाई की खरीदी में दिखाई गई वह इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी है कि अब उन्हीं चीजों की खरीदी को अहमियत दी जा रही है जो तत्काल में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मिठाइयां भी ऐसी ही चीजों में से एक है।
कहीं चहल-पहल कहीं सूनापन
रक्षाबंधन के लिए इस बार मिठाई बाजार में चहल-पहल नजर तो आई लेकिन यह उन्हीं संस्थानों में रही जहां ड्राई फ्रूट्स के साथ सोन पापड़ी, मसूर पाक और काजू बर्फी पैक में बेची जाती है। वजह साफ थी कि इस बार मिठाइयों की खरीदी मैं उन मिठाइयों को वरीयता मिली जिनकी सेल्फ लाइफ ज्यादा दिन की मानी गई है। ऐसे में परंपरागत मिठाई दुकानों में सूनापन नजर आया। यहां केवल कलाकंद ,बर्फी पेड़े की बिक्री ज्यादा रही। दूसरी मिठाइयों को खरीदी की सूची में जगह नहीं मिली। मिठाई बाजार दो दिन पहले मांग की स्थिति को देखकर संभावित कम बिक्री से सतर्क था इसलिए निर्माण की मात्रा उतनी ही रखी गई जितनी की बिक्री की संभावना थी।
सोन पापड़ी ने छू लिया आसमान
पैक्ड मिठाइयों में सोन पापड़ी हमेशा से शिखर पर रही है उसने अपनी यह जगह कोरोना काल में भी बनाए रखी। नागपुर, रायपुर और भिलाई की सीमित इकाइयों नें सीमित कारीगरों की उपलब्धता के बीच में अपनी सप्लाई बरकरार रखी। स्थिति थोड़ी तब बिगड़ी जब पहले के 2 दिन की छूट देने की घोषणा की गई। इसलिए देखते ही देखते यह तीनों मिठाइयां बाजार से खत्म हो गई। बाद में और 2 दिन की छूट में इसकी उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता दिखाई दिया याने चाही गई मात्रा नहीं मिल पाई।
सोन पापड़ी के बाद यह दो मिठाई
सोन पापड़ी की उपलब्धता नहीं होने के बाद मांग का प्रवाह तेजी से मसूर पाक और काजू बर्फी की ओर बढ़ता हुआ नजर आया। भरपूर उपलब्धता की वजह से छूट की अवधि के आखिरी दिन अंतिम समय तक मसूर पाक और काजू बर्फी की बिक्री होती रही। इसके अलावा थोड़ी हिस्सेदारी कलाकंद ने भी निभाई। जिसे कम मात्रा में बनाया गया था। इसके साथ पेड़ा को सबसे पीछे की जगह मिली। कुल मिलाकर इस बार सोनपापड़ी परंपरागत मिठाइयों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने में सफल रही।
कीमत और बिक्री
प्रदेश में इस बार सोनपापड़ी की कुल बिक्री का आंकड़ा 200 क्विंटल को पार कर जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यह आंकड़ा इसलिए ज्यादा जा रहा है क्योंकि इसमें 100 से 300 रुपए किलो तक की कीमत वाली सोन पापड़ी है। 150 क्विंटल की बिक्री के आ रहे आंकड़ों के साथ मसूर पाक दूसरे नंबर पर है। खुले और पैक में आने वाली इस मिठाई की बिक्री की कुल मात्रा में लोकल हिस्सेदारी लगभग 60 फ़ीसदी की है। तीसरे नंबर पर 100 क्विंटल के साथ काजू बर्फी को जगह मिलती दिखाई दे रही है क्योंकि यह उच्च मध्यम वर्ग के उपभोक्ता की पसंद में अब भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। इसमें सबसे कम कीमत 400 रुपए और अधिकतम कीमत 700 रुपए किलो वाली मुख्य है।
वर्जन
मिठाइयों में सोनपापड़ी, मसूर पाक और काजू बर्फी ही ऐसी मिठाईयां है जिनकी सेल्फ लाइफ क्रमशः 6 माह, 5 माह और 15 दिन मानी गई है। लॉकडाउन के दिनों में बाजार नहीं खुलने की वजह से इन्हीं मिठाइयों का सेवन किया जा सकता है क्योंकि यह ज्यादा दिनों तक रखी जा सकती है।
- डॉ बी के गोयल, प्रोफेसर एंड हेड, कॉलेज आफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी, रायपुर
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