भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ होंगी आईएमएफ की प्रथम डिप्टी मैनेंजिग डायरेक्टर
भुवन वर्मा बिलासपुर 03 दिसम्बर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
वाशिंगटन – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्ट के तौर पर इस बार भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ (49 वर्षीया) को चुना गया है। वे ज्यॉफ़्रे ओकामोटो की जगह लेंगी। ओकामोटो के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद पर भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ 21 जनवरी से उनका पदभार सम्हालेंगी। यह आईएमएफ में दूसरे नंबर का पद है , भारतीय मूल का कोई व्यक्ति पहली बार आईएमएफ में इस पद पर पहुंचा है।इससे पहले पूर्व गवर्नर रघुराम राजन आईएमएफ की चीफ बनने वाले पहले भारतीय थे। अपनी नई जिम्मेदारी के तहत वे आईएमएफ की तरफ से नीतियों और शोध कार्यों पर निगरानी रखेंगी ताकि संगठन की रिपोर्ट और अन्य प्रकाशित सामग्रियों की गुणवत्ता उच्च बनी रहे। गीता तीन वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में बतौर चीफ इकोनॉमिस्ट के पद पर कार्यरत थी।
गीता एक बार फिर जनवरी 2022 से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में फिर से शैक्षणिक कार्य शुरू करने वालीं थीं , लेकिन उन्हें पदोन्नति देकर फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया है। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मैनेजिंग डायरेक्टर जियोग्रेविया ने कहा कि गीता गोपीनाथ पहली महिला चीफ इकोनॉमिस्ट थीं , हमें इस बात की खुशी है कि वह अपनी सेवायें जारी रखेंगी और अब फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम करेंगी। गीता गोपीनाथ का भारत से काफी करीबी नाता रहा है। उनका जन्म केरल (भारत) में हुआ , इनकी नागरिकता अमेरिका और भारत दोनों की है। इन्होंने वर्ष 1992 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की पढ़ाई की थी। इसके बाद में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की पढ़ाई की थी। इसके बाद में वर्ष 1994 में वह वाशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं और वर्ष 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की। पोस्टग्रेजुएशन के दौरान उनकी मुलाकात इकबाल से हुई। दोनों ने बाद में शादी कर ली। इस दंपति का 18 साल का एक बेटा है जिसका नाम राहिल है। गीता गोपीनाथ वर्ष 2001 से 2005 तक शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं, जिसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जॉइन किया। अगले पांच वर्षों में यानि वर्ष 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं। व्यापार एवं निवेश , अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट , मुद्रा नीतियां , कर्ज और उभरते बाजारों की समस्याओं पर उन्होंने लगभग 40 शोध-पत्र भी लिखे हैं। गीता को अंतर्राष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी अपने शोध के लिये जाना जाता है। उनके शोध कई इकनॉमिक्स जर्नल्स में प्रकाशित हुये हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान दिया था जो प्रवासी भारतीयों और भारतवंशियों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है।