भोले भंडारी जो सबके भंडार भरते हैं और मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में सबको अन्न देकर तृप्त करती हैं, और सावन का माह पूरे जीव जगत चर अचर को जीवन देते हैं- संत राम बालक दास

0

भोले भंडारी जो सबके भंडार भरते हैं और मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में सबको अन्न देकर तृप्त करती हैं, और सावन का माह पूरे जीव जगत चर अचर को जीवन देते हैं- संत राम बालक दास

भुवन वर्मा बिलासपुर 11 अगस्त2021


पाटेश्वरधाम । प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा विभिन्न वाट्सएप ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं
ऑनलाइन सत्संग में आज बाबा जी ऋचा बहन के मीठी मोती के भाव को व्यक्त करते हुए बोले कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में यह बताया है कि संसार में ऐसी कोई चीज नहीं जिसे हम बदल नहीं सकते यदि हम अपने शुभ कर्मों अपने मेहनत अपनी लगन और पूर्ण निष्ठा के साथ अपने व्यवहार के साथ किसी कर्म को बदलने में लग जाए तो हमारा भाग्य भी हम बदल सकते हैं इस सुंदर जगत में आकर प्रभु का सुमिरन एवं सुंदर व्यवहार के साथ हम अपने जीवन को भी सुंदर कर सकते हैं अगर हम ऐसा नहीं करते तो हम केवल और केवल इस जीवन को व्यर्थ कर रहे हैं
आज सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की
श्रावण मास को सबसे शुभ, पवित्र, श्रेष्ठ एवं विशिष्ट महिना क्यों माना गया है। इस माह की क्या महिमा है बाबा जी कृपया बताने की कृपा करेंगे।, बाबा जी ने बताया कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती साक्षात भोले भंडारी और मां भगवती अन्नपूर्णा का रूप धारण कीये हुए है भोले भंडारी जो सबके भंडार भरते हैं और मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में सबको अन्न देकर तृप्त करती हैं, और सावन का माह पूरे जीव जगत चर अचर को जीवन प्रदान करने वाला माह है जहां चारों तरफ हरियाली एवं जीवन का संचार होता है इसीलिए इस सावन के महीने में सबका कल्याण करने वाले भोले भंडारी एवं सब के अन्न एवं धन से भरने वाली मां अन्नपूर्णा पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है
आज के ऑनलाइन सत्संग में बाबा जी ने गौ माता की महिमा के विषय में एक कथा बताते हुए बताया कि एक समय त्रिदेव ने सृष्टि के निर्माण के लिए एक सभा बुलाई जिसमें देव दानव मानव मनुष्य जीव जगत सभी सम्मिलित हुए, एवं विषय आया कि किस तरह से सृष्टि का भरण पोषण किया जाए मनुष्य जो कि आगे चलकर अन्य जीवो को भी पालन पोषण करेगा तो उसे आत्मनिर्भर बनाना अत्यधिक आवश्यक है सभी देवो ने अपनी अपनी शक्ति के अनुसार पृथ्वी का भरण पोषण करने का निर्णय लिया तब मनुष्य ने कहा कि मुझे इस सृष्टि में अन्न पैदा करने के लिए ऐसे साथी की आवश्यकता होगी जो कि निस्वार्थ भाव से मेरा साथ दे तब सभी की ओर से प्रस्ताव आया के इसके लिए पशु जगत का चयन किया जाए, ब्रह्मा जी ने पशुओं जिसमें शेर से लेकर के गौमाता तक सम्मिलित हुए को बुलाया एवं यह विषय रखा तब सर्वप्रथम हाथी ने कहा कि मैं जीव जगत निर्माण के लिए अपना पूर्ण योगदान देने में समर्थ हूँ क्योंकि मेरे पास अपार शक्ति है तब ब्रह्माजी ने कहा कि तुम क्या हल चला सकते हो और तुम हल चलाओगे तो तुम खाओगे क्या
तो हाथी ने कहा कि जो मैं बोउंगा वह मैं खा लूंगा ब्रम्हा जी ने कहा कि सब तो तुम ही खा लोगे तो यह दायित्व तुम कैसे निभा पाओगे तब फिर जंगल का राजा शेर उपस्थित हुआ शेर ने कहा कि मैं सृष्टि के निर्माण के लिए अपना सर्वस्व दे सकता हूं, तो फिर ब्रह्मा जी ने पूछा कि तुम फिर खाओगे क्या तो उसने कहा जो किसान है मैं उसे ही खा लूंगा तो फिर उन्होंने कहा जब तुम किसान को ही खा लोगे तो फिर बचा क्या
तब गौ माता ने कहा कि में अपने बछड़ों को इस कार्य के लिए आपको प्रदान कर सकती हूं जो मनुष्य की निस्वार्थ भाव से साथ देंगे यह अपनी लगन एवं मेहनत से पूरी सृष्टि का हल भी जोतेंगे एवं हमारे खाने की भी कोई समस्या नहीं होगी जो भी मनुष्य का बचा खुचा होगा वह हम खा लेंगे यदि कुछ नहीं भी बचा तो हम घास और पैरा खाकर भी जीवन जी लेंगे और इसके बदले हम इन्हें दूध भी देंगे और बैल और हमारे बछड़े गोबर प्रदान करेंगे जिससे खाद बनेगा इस तरह से निर्णय हुआ कि मनुष्य का निस्वार्थ भाव से साथी केवल और केवल गौ माता होगी इस तरह से सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी ने मनुष्य का परम साथी गाय को लिया,इसीलिए गौमाता सर्वश्रेष्ठ है
इस प्रकार ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *