आनन्द मार्ग ने आशा के संचार, साहस और शांति हेतु वेबिनार द्वारा संपन्न किया 100 धंटे का “बाबा नाम केवलम्” अखण्ड कीर्तन
भुवन वर्मा बिलासपुर ,25 मई 2021

बिलासपुर । कोरोना काल में बेहाल मानव के क्रंदन ने रातों की नींद उड़ा दी है । चारों तरफ हताशा, निराशा, घबराहट एवं बेचैनी पसरी पड़ी है। संशय और भय ने वातावरण को असहनीय बना दिया है। असमय अपनों के खोने का गम परिस्थितियों को विषम बना रहा है। ऐसे हालात से त्राण के लिए आनंद मार्ग के द्वारा विश्वस्तरीय 100 घंटे के अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया। बिलासपुर व उसके आसपास स्थित आनंद मार्ग की इकाइयों के सकड़ों आनंद मार्गी परिवारों ने वेबिनार के द्वारा कीर्तन में हिस्सा लिया।

आनंद मार्ग के केंद्रीय कार्यालय आनंदनगर स्थित बाबा क्वार्टर में रात्रि 2:00 बजे अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र “बाबा नाम केवलम्”का कीर्तन प्रारम्भ हुआ। यह कीर्तन छत्तीसगढ़ सहित भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य एवं दुनिया के १६० देशों में १०० घंटे तक निरंतर चला।
कीर्तन की महिमा बताते हुए आचार्य सवितानन्द अवधूत ने कहा कि बहिर्मुखी और जड़ाभिमुखी चिन्तन ही वैश्विक महामारी रूपी ज्वालामुखी का मूल कारण है। मनुष्य के हिंसक प्रवृति के कारण वातावरण में भय और चित्कार का तरंग बह रहा है। संयमित जीवन सात्विक आहार, विचार और व्यवहार से महामारी को हराया जा सकता है। कीर्तन मानवीय संवेदना को मानसाध्यात्मिक स्तर में ले जाकर परम-शांति का रसपान कराता है। भाव विह्वल होकर जब मनुष्य परम पुरुष को पुकारता है तो उसके अंदर आशा का संचार होता है। कीर्तन करने से उसका आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति बहुत मजबूत हो जाता है। सामूहिक कीर्तन प्राकृतिक विपदा से तत्क्षण त्राण देता है। ललित नृत्य के साथ कीर्तन करने से वातरोग का शमन होता है । कीर्तन करने से बाधाएं समाप्त हो जाती हैं ।चिंता भी दूर होती है। कीर्तन साधना सहायक और आनंददायक है।