छत्तीसगढ़ी भाषा विकास के लिये गीता शर्मा का समर्पित कार्य

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छत्तीसगढ़ी भाषा विकास के लिये गीता शर्मा का समर्पित कार्य

भुवन वर्मा बिलासपुर 20 फ़रवरी 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — छत्तीसगढ़ी भाषा प्रचार प्रसार हेतु गीता शर्मा इन दिनों बिलासपुर , जांजगीर-चांपा , पामगढ़ में विभिन्न महाविद्यालयों तथा विशिष्ट व्यक्तियों से व्यक्तिगत मुलाकात कर छत्तीसगढ़ी को अपनी बोलचाल में ज्यादा से ज्यादा शामिल करने का अभियान चला रही हैं। विदित हो कि छत्तीसगढ़ी भाषा में उनके द्वारा शिव महापुराण , ईशादी नौ उपनिषदों को अनुवादित किया है और मात्र इन ग्रंथो का अनुवाद ही नहीं किया बल्कि इसमेंं निहित विचारों को जनमानस में प्रसारित भी कर रही हैं। अभी हाल में ही उनकी कृति मुसुवा के बिहाव का विमोचन प्रयाग में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के कर कमलों से सम्पन्न हुआ है। श्रीमति शर्मा द्वारा बिलासपुर में व्याख्याता श्रीमती पूर्णिमा तिवारी , मुकुल शर्मा और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता पूर्व सांसद लोकसभा एवं राज्य सभा गोंविंदराम मिरी , संजीव तिवारी , पामगढ़ में चैतन्य महाविद्यालय के संचालक वीरेन्द्र तिवारी , बारगांव में सुरेन्द तिवारी , चन्द्रभूषण तिवारी , जांजगीर में विजय राठौर , ईश्वरी यादव , कोरबा में डाॅ. नवरंग इन सबसे मिलकर किस तरह छत्तीसगढी भाषा को सम्माननीय स्थान दिलाने में स्थानीय स्तर पर प्रयास होना चाहिये और किस तरह से तकनीकी रुप से हम अपने महाविद्यालय स्तर पर भी छत्तीसगढ़ी भाषा विस्तार के लिये प्रचार प्रसार कर सकते है इन सभी बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

शासकीय महाविद्यालय चाम्पा में भी प्राध्यापक डा० बी०डी० दीवान और संस्था के प्राचार्य डाॅ० एच० पी० खैरवार से मिलकर निवेदन किया कि आप सभी सम्मलित रुप से विश्वविद्यालय , विश्वविद्यालय अनुदान आयोग , नीति आयोग से पत्राचार कर स्थानीय स्तर पर छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार प्रसार के लिये निर्देश जारी करने का अनुरोध करें, साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर इस हेतु सेमीनार , संगोष्ठी , वर्कशॉप आयोजित करने की भी आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ राज भवन में स्थापना दिवस में सभी उपस्थित सोलह निजी विश्वविद्यालयों ने राज्य में छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध बनाने में हर स्तर पर कार्य करने का संकल्प लिया। इसी संकल्प एवं भावना के साथ गीता शर्मा पूरे छत्तीसगढ़ में विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपनी बात रखते हुये आह्वान करती हैं कि हम सब संगठित होकर हमारी भाषा के विकास के लिये कार्य करें तो यह राज्य के लिये बड़ी उपलब्धि होगी । प्रत्येक राज्य में भाषा के विकास के लिये इस प्रकार यदि कार्य किया जाये तो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना साकार हो सकेगी।

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