“इतनी शक्ति हमें देना दाता” के गीतकार नही रहे

0

“इतनी शक्ति हमें देना दाता” के गीतकार नही रहे

भुवन वर्मा बिलासपुर 28 सितंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

मुम्बई — दिग्गज गीतकार अभिलाष (74 वर्षीय) ने मुम्बई में दुनियाँ को अलविदा कह दिया। रेगाँव पूर्व के शिव धाम में इनका अंतिम संस्कार किया गया। इनका जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। इनका वास्तविक नाम ओमप्रकाश कटारिया था , इनके परिवार में एक पुत्र भी है।दिल्ली में अभिलाष के पिता का व्यवसाय था , वे चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाये लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। छात्र जीवन में बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कवितायें लिखनी शुरू कर दी थीं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गये। उन्होंने अपना तख़ल्लुस ‘अज़ीज़’ रख लिया। ओमप्रकाश’ अज़ीज़’ के नाम से उनकी ग़ज़लें, नज़्में और कहानियांँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। ‘अज़ीज़’ देहलवी नाम से उन्होंने मुशायरों में शिरकत की। मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मान लिया। दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी पधारे। नौजवान शायर ‘अज़ीज़’ देहलवी ने उनसे मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। साहिर साहब को कुछ नज़्में सुनाईयी। साहिर ने कहा- मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हारे मुंँह से अपनी नज़्में सुन रहा हूंँ , तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी ग़ज़लें और नज़्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े , साहिर का मशविरा मानकर वे अपने रंग में ढल गये। ओमप्रकाश’ अज़ीज़’ सिने जगत में बतौर गीतकार दाख़िल हुये तो उन्होंने अपना नाम अभिलाष रख लिया। इनके मुख्य गीतों में ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’, ‘संसार है एक नदिया’ और ‘आज की रात न जा’ “चाँद जैसे मुखड़े पे” सहित अन्य शामिल  हैं। वे चालीस वर्षों तक फिल्मी जगत में सक्रिय रहे। उन्होंने 28 फिल्मों और लगभग पचास धारावाहिकों में गीत लिखा है। वे लिवर कैंसर से पीड़ित थे और पिछले दस महीने से बिस्तर पर थे। उनका एक ऑपरेशन भी हुआ था , उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिये बेहतर ईलाज नही करा सके। बीते दिनों अभिलाष की पत्नी ने आर्थिक मदद की गुजारिश की थी।बीते दिन ही वे लिवर कैंसर से पीड़ित पाये गये थे , जिसके बाद उनके लिवर ट्रांसप्लांट की तैयारी की जा रही थी लेकिन उनकी हालत बिगड़ने के बाद मुंबई में ही निधन हो गया। अभिलाष के करियर के लिये वर्ष 1985 में आयी‘अंकुश’ फिल्म का गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ एक बड़ा मोड़ साबित हुआ था। इस गाने को लिखने में उन्हें दो महीने का वक्त लगा था। इसके अलावा उन्हें अपना लिखा फिल्म ‘रफ्तार’ का गीत ‘संसार है एक नदिया’ भी बहुत पसंद था। अभिलाष का मानना था कि इस गाने को लिखने के बाद उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिली थी। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवॉर्ड से सम्मानित अभिलाष का गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ आज भी काफी मशहूर है , ये गाना आज देश की कई स्कूलों की प्रार्थना का हिस्सा है।उल्लेखनीय है कि गाने का दुनियाँ भर में आठ भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। फिल्मों में गाने लिखने के अलावा अभिलाष रेडियो के लिये भी लिखते थे। उनके निधन से सिनेमा जगत एवं उनके चहेतों में शोक की लहर छा गयी। सोशल मीडिया पर सितारों सहित उनके चाहने वालों ने उन्हें याद करते हुये श्रद्धांजलि दिया है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *