बनाएं पनीर के अलावा खोवा और घी : बंद डेयरियों को पशु चिकित्सा विभाग और डेयरी कॉलेज की सलाह

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बनाएं पनीर के अलावा खोवा और घी : बंद डेयरियों को पशु चिकित्सा विभाग और डेयरी कॉलेज की सलाह

भुवन वर्मा बिलासपुर 25 सितंबर 2020

रायपुर / भाटापारा- । बनाइए पनीर , खोवा और घी। इनकी सेल्फ लाइफ ज्यादा दिनों की होती है। आगत त्योहार सीजन की तैयारी भी लॉक डाउन की अवधि में की जा सकती है। यह सलाह जारी की है पशु चिकित्सा विभाग ने डेयरी कारोबारियों के लिए जो लॉक डाउन की अवधि में बिकने से बच जा रहे दूध के प्रबंधन की समस्या का सामना कर रहे हैं।

औसतन प्रतिदिन 30 से 32 हजार लीटर दूध उत्पादन करने वाला भाटापारा ब्लॉक लॉकडाउन के इस दौर में सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना कर रहा है क्योंकि अन्य जिलों के लिए निकलने वाली सीमाएं बंद की जा चुकी है तो शहर क्षेत्र में घर पहुंचा कर दूध दिए जाने के आदेश जारी हो चुके हैं। होम डिलीवरी के तुलना में ओपन मिल्क काउंटर और संस्थानों से दूध व इससे बने अन्य उत्पादों की बिक्री ज्यादा होती है। ऐसे में होम डिलीवरी के लिए हर उपभोक्ता की पहचान कुछ मुश्किल भरा काम साबित हो रहा है। इसलिए विकल्प के तौर पर पनीर बनाकर बेचा जा रहा है लेकिन इसके भी ग्राहक नहीं है। कीमत कम करके देखा। इसमें भी सफलता नहीं मिली। स्थितियों की जानकारी पहुंचने के बाद जिला मुख्यालय ने समाधान निकालते हुए पनीर के साथ साथ खोवा और घी बनाकर रखने की सलाह जारी की है।

यह खरीदार भी निकले हाथ से

ब्लॉक मुख्यालय में अमूल और नर्मदा मिल्क के अलावा वचन तथा सारडा मिल्क कंपनियों के कलेक्शन सेंटर है जो ब्लॉक में उत्पादित दूध की एक बड़ी मात्रा की खरीदी करती है लेकिन लॉकडाउन के बाद इन सभी ने कलेक्शन का काम नहीं करने की सूचना दूध उत्पादकों तक पहुंचा दी है। बता दें कि यह चारों मिलकर लगभग 5 हजार लीटर दूध का कलेक्शन किया करती रही है जिस पर फिलहाल ब्रेक लग चुका है।

अंतर जिला कारोबार भी बंद

जिले का यह ब्लॉक स्थानीय आपूर्ति के अलावा रायपुर बिलासपुर को भी दूध की आपूर्ति करता है लेकिन लॉकडाउन की इस घड़ी में संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बाद जिलों को जोड़ने वाली सीमाएं बंद कर दी गई है। लिहाजा रायपुर और बिलासपुर के लिए जाने वाली मात्रा पर भी रोक लग चुकी है। ऐसे में यह मात्रा भी उचित प्रबंधन की राह देख रहा है। बता दें कि रेल सेवा चालू होने के पहले इन जिलों को ग्रामीण क्षेत्र से बाइक के माध्यम से दूध की आपूर्ति की जाती रही है।

यह बनाइए, सेल्फ लाइफ है ज्यादा

पशु चिकित्सा विभाग के साथ-साथ कॉलेज आफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी ने दूध उत्पादकों को सलाह दी है कि वह बच रही दूध की मात्रा से पनीर के साथ साथ खोवा और घी भी बनाएं क्योंकि इनकी सेल्फ लाइफ कम से कम तीन से चार माह की होती है और बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है। करीब आ रही दीपावली के लिए अभी से इसकी तैयारी चालू करें ताकि तत्काल में हो रहे नुकसान की भरपाई त्यौहार की मांग से पूरी की जा सके।
वर्जन

दूध उत्पादक बच रहे दूध का उपयोग पनीर बनाने के अलावा खोवा और घी बनाकर कर सकते हैं। दीपावली पर मांग निकलने के दौरान इसका विक्रय किया जा सकता है।

  • डॉ सी के पांडे, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं बलौदा बाजार
    वर्जन
    पनीर खोवा और घी बना कर दूध का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकता है। अच्छी बात यह है कि इन तीनों उत्पादन की सेल्फ लाइफ ज्यादा दिनों की होती है। इसलिए इसे रखने में दिक्कत नहीं होगी।
  • डॉ बी के गोयल, प्रोफेसर एंड हेड, कॉलेज आफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी रायपुर

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