एक शिक्षक ही होता है, जो ना केवल आपके करियर को संँवारता है : बल्कि आपको सिखाता है जिंदगी जीने का गुर भी

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एक शिक्षक ही होता है, जो ना केवल आपके करियर को संँवारता है : बल्कि आपको सिखाता है जिंदगी जीने का गुर भी

भुवन वर्मा बिलासपुर 5 सितंबर 2020

आज शिक्षक दिवस विशेष — अरविन्द तिवारी की कलम से

रायपुर — किसी की जिंदगी में शिक्षक की एक अहम भूमिका होती है। वह एक शिक्षक ही होता है, जो ना केवल आपके करियर को संँवारता है बल्कि आपको जिंदगी जीने का गुर भी सिखाता है। ऐसे ही अध्यापक के प्रति सम्मान और प्यार जाहिर करने के लिये हर साल पाँच सितंबर को देश भर में बड़ी धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला ‘शिक्षक दिवस’ एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। कहा जाता है कि किसी भी पेशे की तुलना अध्यापन से नहीं की जा सकती। ये दुनियाँ का सबसे नेक कार्य है। हर साल आज के दिन पर शिक्षकों के सम्मान में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। वहीं इस बार देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के मद्देनजर स्कूल-कॉलेज बंद होने से कोई कार्यक्रम नहीं हो पायेंगे। भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर इस दिन को मनाया जाता है।
भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 05 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी राजस्व विभाग में काम करते थे. इनकी मांँ का नाम सीतम्मा था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा लूनर्थ मिशनरी स्कूल, तिरुपति और वेल्लूर में हुई. इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की। वर्ष 1903 में युवती सिवाकामू के साथ उनका विवाह हुआ। वे 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे इसके बाद 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर रहे और 1939 से 1948 तक वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे। वर्ष 1952 में उन्हें भारत का प्रथम उपराष्ट्रपति बनाया गया और भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बनने से पहले 1953 से 1962 तक वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति थे। इसी बीच 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया। डॉ. राधाकृष्णन को ब्रिटिश शासनकाल में ‘सर’ की उपाधि भी दी गयी थी। इसके अलावा 1961 में इन्हें जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन द्वारा ‘विश्व शांति पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था। कहा जाता है कि वे 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिये भी नामित हुये थे। डा० राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से आज तक हर वर्ष देश भर के विभिन्न कॅालेज, संस्थान, या स्कूलों में 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षाविद और महान दार्शनिक के अलावा महान शिक्षक भी थे जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिया है। वो विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। डॉ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है , उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिये।

कब कहाँ मनाया जाता है शिक्षक दिवस ??

वैसे तो विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन पाँच अक्टूबर को होता है लेकिन इसके अलावा विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया में यह अक्टूबर के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है। भूटान में दो मई को तो ब्राजील में 15 अक्टूबर को , कनाडा में पाँच अक्टूबर, यूनान में 30 जनवरी, मेक्सिको में 15 मई, पराग्वे में 30 अप्रैल और श्रीलंका में छह अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। चीन में शिक्षक दिवस 10 सितंबर को मनाया जाता है. वहीं अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस सेलिब्रेट किया जाता है. वहीं, थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। अपने महान कार्यों से देश की लंबे समय तक सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को इनका निधन हो गया।

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