छत्तीसगढ़ शासकीय कर्मचारियों के लिए दुर्भाग्य की बात : आज 20 साल बाद भी पेंशन मुख्यालय भोपाल में है रायपुर में नहीं
भुवन वर्मा बिलासपुर 7 अगस्त 2020
प्रदेश शासकीय कर्मचारी पेंशन स्वीकृति के लिए रहते हैं भोपाल के भरोसे
रायपुर। राज्य गठन के 20 साल बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार राज्य विघटन विधेयक की धारा 49 को नहीं हटाने के कारण प्रदेश के सेवा निवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों को पेंशन के निराकरण के लिए मध्यप्रदेश के भरोसे रहना पड़ता है । प्रदेश के पेंशनर संघ के पदाधिकारी आज भी प्रश्न करते है छत्तीसगढ़ राज्य पूर्ण रूप से अस्तित्व में न आकर 98 प्रतिशत ही राज्य का दर्जा प्राप्त कर पाया है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने तत्काल रायपुर में पेंशन मुख्यालय बनाए जाने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश से की है। प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा, जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खान ने बताया है कि प्रदेश के 28 जिलों के कोषालय अधिकारी आज भी सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय कर्मियों के पेंशन प्रकरण भोपाल मुख्यालय में स्वीकृति के लिए भेजने मजबूर हैं । जहां इनकी स्वीकृति में 3-4 माह कभी-कभी 6 से 8 माह तक का समय लगता है ।
इससे शासकीय कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद आर्थिक परेशानी से सेवक व उनके परिजनों को संघर्ष करना पड़ता है।
इसका मुख्य कारण छत्तीसगढ़ राज्य के बंटवारे के बाद राज्य का स्वयं का पेंशन मुख्यालय स्थापित नहीं हो पाया है। इसलिए पूरे प्रदेश के जिला कोषालय रायपुर को नोडल अधिकारी बना दिया गया है। यहां रायपुर के अलावा 27 जिलों का अतिरिक्त पेंशन कार्य का दबाव अधिक होने के कारण अधिकारी कर्मचारी और परेशान होते है।