हिंदू धर्म के पुर्न संस्थापक आदि शंकराचार्य भगवान

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आदि गुरु शंकराचार्य भगवान के 2532 वें प्राकट्य महोत्सव के पावन अवसर पर मारवाड़ी कुंवा शिवमंदिर प्रांगण में रुद्राभिषेक पूजन आराधना एवं सत्संग का भव्य कार्यक्रम आनंदमय वातावरण में संपन्न हुआ इस पुनीत पर्व में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य पंडित झम्मन शास्त्री जी ने शंकराचार्य जी के जीवन दर्शन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए बताया आदि शंकराचार्य जी का आविर्भाव ऐसी विषम परिस्थिति में हुआ हिंदू धर्म को विच्छेद करने विदेशी षड्यंत्रकारो द्वारा आक्रमण हो रहा था अनेकों पंथ कापालिक बौद्ध पाखंडवाद नास्तिकवाद का तांडव नृत्य चल रहा था।

मठ, मंदिर ,तीर्थ, धाम ,पूजा, यज्ञ ,पाठ ,भजन कथा, सत्संग लुप्तप्राय हो चुका था इस संकट काल में भगवान शिव केरल के काल्टी ग्राम में प्रकट होकर 8 वर्ष की आयु में सन्यास ग्रहण कर देश के कोने-कोने में भ्रमण करते हुए शास्त्रार्थ के द्वारा सभी मत मतान्तरो को पराजित कर राजा सुधन्वा को अपने वश में कर धर्म नियंत्रित शासन तंत्र की स्थापना की। पंचदेव उपासना की आदर्श परंपरा को उन्होंने प्रतिष्ठित किया चारों धाम एवं विभिन्न ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठों को पुर्नवासित कर सनातन वैदिक सिद्धांत की स्थापना की।भगवान आदि गुरु शंकराचार्य जी ने शासन तंत्र एवं व्यासपीठ का शोधन कर राजतंत्र में दिशाहीनता ना आवे सनातन संस्कृति का संरक्षण हो इस भावना से चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर सनातन धर्म की ध्वजा को फहराया वह आज भी शाश्वत है पूरे हिंदुओं की आस्था के महान केंद्र हैं।

भगवान शंकराचार्य जी ने गुरु परंपरा के माध्यम से देश में भ्रमण करते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण का दायित्व प्रदान किया । आज भी उसी परंपरा की अधिक आवश्यकता है जिससे हमारा पर्यावरण नदी, पर्वतमाला ,सागर ,शिक्षण संस्थान,आश्रम व्यवस्था उसी परंपरा में सुदृढ़ रूप से स्थापित हो सके। इस परंपरा में गोवर्धन मठ पुरी पीठ के 145 वे जगतगुरु शंकराचार्य महाभाग द्वारा प्रस्तुत राष्ट्र उत्कर्ष अभियान यात्रा के माध्यम से भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवा पारायण ,सर्वहितकारी व्यक्ति तथा समाज की संरचना विकास तथा राजनीति की परिभाषा हो,इस संकल्प के साथ पूरे देश में धर्म सभा एवं संगोष्ठी का प्रकल्प निश्चित है इस पावन महायज्ञ में आप सभी जुड़कर जीवन को धन्य बनावे तथा भगवान शंकराचार्य जी के जीवन दर्शन को पाठ्य पुस्तक में शिक्षा प्रणाली में स्थान प्राप्त हो उसकी अधिक आवश्यकता है ।

इस पावन कार्यक्रम में श्री वीरेंद्र शर्मा प्रेमचंद भूषणिया दीपक राय नरेश शर्मा विजय शर्मा सत्यनारायण जोशी राजेंद्र शर्मा महेश गुप्ता पंडित अविनाश पंडित प्रकाश तिवारी राकेश चौबे राजेंद्र ओझा रवि गुप्ता गोविंद जी नरेश चौबे एकांश गुप्ता अंश शर्मा शिवांश बावला पंडित सुनील शर्मा प्रतिमा गुप्ता रेखा शर्मा उषा मिश्रा आशा शर्मा सरिता शर्मा संगीता चौरसिया ज्योति मल चीत्तु साहू आदि श्रद्धालु भक्तजन एवं पीठ परिषद आदित्य वाहिनी आनंद वाहिनी के सदस्य उपस्थित थे।

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