पुरी शंकराचार्य जी के शिष्य ने की सपरिवार एकादशी पर्व पर पूजन आराधना

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भुवन वर्मा बिलासपुर 1 जुलाई 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

चाम्पा — सनातन धर्म में व्रत का विशेष महत्व होता है , उसमें भी एकादशी व्रत का विशिष्ट महात्म्य है। माह में दो एकादशी होता है इस तरह वर्ष में कुल 24 एकादशी का विधान है , प्रत्येक का नाम व व्रत करने का फल अलग अलग होता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि जो मनुष्य एकादशी व्रत रखकर इसके महात्म्य का श्रवण — पठन करते हैं उनको अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। श्रीमद्भगवत गीता में भगवान अर्जुन को बताते हैं कि एकादशी पापों को नष्ट करने वाली और सिद्धि प्रदान करने वाली है । विष्णु धर्म के समान संसार में कोई दूसरा धर्म नहीं है और एकादशी व्रत के बराबर कोई भी दूसरा व्रत नहीं है। आज देवशयनी एकादशी है आज के पश्चात चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ किया जाता है। आज के पश्चात चार माह के लिये शुभकार्य वर्जित माना जाता है फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी जो देव उठनी कहा जाता है ,उस दिन से विवाहादि शुभ कार्य पुनः आरंभ हो जाता है।
धार्मिक नगरी चाम्पा में पुरी शंकराचार्य द्वारा सनातन संस्कृति संरक्षणार्थ संस्थापित संगठन पीठ परिषद , आदित्य वाहिनी — आनन्द वाहिनी सनातनी परंपरा , व्रत , त्यौहार श्रद्धा के साथ के साथ मनाते हैं। इसी क्रम में आज चाम्पा आदित्य वाहिनी के सक्रिय सदस्य चंद्रशेखर पांडेय के निवास पर एकादशी व्रत , पूजन , उद्यापन आयोजित किया गया। पुरी शंकराचार्य जी के कृपापात्र शिष्य आचार्य पद्मेश शर्मा ने शास्त्रोक्त विधि से समस्त वैदिक कार्य, हवन पूर्ण कराया । इस अवसर पर श्रीमती अम्बिका पांडेय , चंद्रशेखर पांडेय , शैल पांडेय , राजेश पांडेय , अनुराधा पांडेय , सीता पांडेय , राजकुमार पांडेय , श्रीमती शांता तिवारी , रजनी जी पीठ परिषद , आदित्य वाहिनी — आनन्द वाहिनी के सदस्य उपस्थित थे।

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