एम्स भी बना रेफर सेंटर : 5 महीने में 615 मरीज आंबेडकर अस्पताल शिफ्ट
रायपुर। प्रदेश के प्रायवेट अस्पताल ही नहीं, सबसे बड़ा चिकित्सकीय संस्थान एम्स भी अब रेफर सेंटर बनने लगा है। रोजाना की ओपीडी में साढ़े तीन हजार मरीजों के लिए 987 बेड का एम्स छोटा पड़ने लगा है जिसकी वजह से मरीजों को अन्य अस्पताल भेजना पड़ रहा है। इसकी वजह से बेहतर उपचार की आस में एम्स जाने वाले मरीजों को कई बार दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं। यह आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं कि पिछले पांच महीने में 615 मरीजों को आंबेडकर अस्पताल भेजा गया है जिनमें से कुछ वेंटिलेटर वाले मरीज भी थे, जो मौत के करीब थे। सात सौ बेड के सेटअप के साथ शुरू हुआ आंबेडकर अस्पताल अब अघोषित रूप से 1400 बेड का हो चुका है। यहां नियमित ओपीडी- आईपीडी के अलावा अन्य अस्पतालों से रेफर होकर आने वाले मरीजों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।
निजी अस्पतालों द्वारा स्थिति गंभीर होने पर मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट किए जाने की शिकायत मिलती रहती है मगर अब प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सकीय संस्थान एम्स के भी रेफर सेंटर बनने चर्चा होने लगी है। यहां से हर महीने सौ से ज्यादा मरीजों को आंबेडकर अस्पताल भेजा जा रहा है सामान्य बीमारियों के साथ कई मरीज गंभीर स्थिति वाले होते हैं जिनके लिए दूसरे अस्पताल तक परिवहन जोखिम वाला होता है। आंबेडकर अस्पताल के आपात चिकित्सा विभाग आंकड़े बताते हैं कि हर महीने रेफर होकर आने वालों में सौ से अधिक मरीज एम्स से संबंधित होते हैं। इसके लिए उनके द्वारा बेड नहीं होने का हवाला दिया जाता है। वहीं एम्स से जुड़े चिकित्सको का तर्क है कि एम्स में रोजाना ओपीडी में साढ़े तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं यहां का सेटअप 987 बेड है जो आवश्यकता के हिसाब से काफी कम है। मरीज ज्यादा होने पर उन्हें आवश्यक उपचार के बाद दूसरे संस्थान भेजना मजबूरी होता है।
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