TI के लिए वसूली करने वाले आरक्षकों को फिर मिला मौक़ा…चंद दिनों में ही हुई वापसी…दिखावे के लिए किया गया था तबादला…बहाना बनाकर आ गए वापस…

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थानेदार के लिए करते है काम,लाइजनिंग के नाम से जाने जाते है आरक्षक, थाने में पहुंचे पीड़ित /आरोपी से करते है सेटिंग का काम, मनपसंद और चुनिंदा आरक्षकों से ही कराया जाता है वसूली, पुलिस कप्तान की आँखों में धूल झोंककर वापस थाना में फिर से जमे आरक्षक

बिलासपुर / जाहिर सी बात है की पुलिस विभाग में तबादला होते रहता है…और इधर से उधर होना और लाइन अटैच से लेकर निलंबित होना एकदम आम बात है…लेकिन आश्चर्य वाली बात तब हो जाती है जब एक जगह पर जमे हुए आरक्षकों का तबादला होता है…लेकिन कुछ दिन बाद उनकी फिर से वापसी हो जाती है…यह मामला एकदम समझ से परे है..खैर यह तो विभागीय मामला है तो यह सब होते रहता है…लेकिन सबसे बड़ी बात ये है की ऐसे कई आरक्षक है जो थाना को अपनी जागीर या फिर अपना आशियाना समझ बैठे है…जिनका तबादला तो होता है लेकिन चंद दिनों में वे लोग फिर से वापस आ जाते है….सूत्र बताते है की दरसल इसमें किसी और का हाथ नहीं बल्कि खुद थानेदार जिम्मेदार है जिनके कारण आरक्षकों की वापसी हो चुकी है… क्योंकि ऐसे आरक्षकों के कारण ही वसूली हो पाती है और पूरा ठिकाना इनको मालुम रहता है….इसलिए एड़ी चोटी एक करके साहब के पास निवेदन करके उनको वापस बुलवा लिए….जिसकी चर्चा जोरो से हो रही है…ज़रा आप इस लिस्ट को देखिये और गौर फरमाइए की आखिर ऐसा क्यों और किसलिए किया गया है….क्या इन वसूली करने वाले आरक्षकों के बिना टीआई का काम नहीं हो सकता या फिर राज की बात और कुछ है…

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