ग्लोकोमा जन जागरूकता कार्यक्रम में शामिल हुये नगर के अनेक सामाजिक संगठन ग्लूकोमा – कांचबिंद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण : समय-समय पर आँखों की जांच आवश्यक

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ग्लोकोमा जन जागरूकता कार्यक्रम में शामिल हुये नगर के अनेक सामाजिक संगठन ग्लूकोमा – कांचबिंद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण : समय-समय पर आँखों की जांच आवश्यक

भुवन वर्मा बिलासपुर 20 मार्च 2024

बिलासपुर। आज विश्व ग्लोकोमा (काँचबिंद) सप्ताह पर
जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया आयोजन किया गया उक्त कार्यक्रम में डॉक्टर के के सहारे डिंन डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव सीएचएमओ डॉक्टर डॉ विनोद तिवारी एल सी मढ़रिया डॉक्टर संजय मेहता डॉक्टर सौरभ लूथरा डॉ अखिलेश देवरेश डॉक्टर मोनीका महिलांग सहित अनेक चिकित्सक गण उपस्थित थे।

डॉ संदीप तिवारी वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ अध्यक्ष बिलासपुर डिविजनल आप्थाल्मालॉजिकल सोसाइटी ने बताया पूरे विश्व में 12 से 18 मार्च तक विश्व ग्लोकोमा (काँचबिंद) सप्ताह पर ग्लोकोमा के बारे में जानकारी व बचाव के उपाय व उचित निदान जानकारी दी गई । इसी परिपेक्ष में 19 मार्च को प्रातः सिम्स हॉस्पिटल से स्वामी विवेकानंद उद्यान तक जन जागरूकता अभियान रैली व कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

उक्त आयोजन में सहयोगी संस्थान के रूप में आईएमए बिलासपुर ,सक्षम, गुरुकुल ,लाफ्टर क्लब महासंघ, हरिहर ओक्सीजोन,वंदे मातरम मित्र मंडल, ऐनएसएस बिलासपुर, लायंस क्लब, लायंस क्लब हेल्थकेयर ,रोटरी क्लब सहित नगर के प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।

डॉ एल सी मढ़रिया ने बताया कि हमारे देश में मोतियाबिंद के बाद अंधत्व का मुख्य कारण काँचबिंद या ग्लोकोमा है। यह हमारे देश में अंधत्व का दूसरा कारण है। हमारे देश में लगभग 1.25 करोड़ लोगों को काँचबिंद की बीमारी है। ग्लोकोमा से होने वाली अंधत्व परमानेंट होता है। एक बार दृष्टि चली जाय तो वापस नहीं आती है। लेकिन मोतियाबिंद से गई रोशनी फेको ऑपरेशन के बाद पूर्ण रूप से वापस आ जाती है।

डॉक्टर संजय मेहता ने कहा कि ग्लोकोमा के बारे में अभी भी लोगों में जागरूकता नहीं है। इसलिये पूरे विश्व में विश्व ग्लोकोमा सप्ताह 12 से 18 मार्च तक मनाया गया। विदित हो कि विश्व ग्लोकोमा सप्ताह मनाने का उद्देश्य यह है कि ग्लोकोमा (काँचबिंद) के बारे में लोगों को जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्व में अंधत्व का दूसरा कारण है। डॉक्टर सौरभ लूथराने बताया कि पूरे विश्व में 6.5 करोड़ लोगों को काँचबिंद है और मरीज अपनी रोशनी धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं और अगर वे उचित इलाज नहीं लेंगे तो इनकी आँखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाएगी।

ग्लोकोमा (काँचबिंद) को दृष्टि का धीमे दृष्टि चोर कहा जाता है। यह धीरे- धीरे दृष्टि को खत्म कर देती है और मरीज को जब पता लगता है तब तक बहुत देरी हो गई होती है। अत: कांचबिंद के मरीज को और 40 वर्ष के उपर के मरीज को नियमित आंख जांच करवाना चाहिए। जिससे उनकी रोशनी को काँचबिंद से बचाया जा सकता है। क्योंकि कांचविंद से गई रोशनी वापस नहीं आती है। जिसके परिवार में काचबिंद का मरीज हो उनके बच्चे को कांचबिंद होने की संभावना अधिक होती है। जिनके आंख का प्रेशर ज्यादा होता है, उसे काचबिंद की संभावना अधिक होती है। वैसे कांचविंद बचपन में भी हो सकता है। लेकिन 40 वर्ष के बाद होने की संभावना अधिक होती है।

डायबिटिज व ब्लड प्रेशर – इन दोनों मरीजों को कांचबिंद होने की संभावना ज्यादा होती है । अत: डायबिटिज व ब्लड प्रेशर के मरीज को हमेशा आंख के प्रेशर की जांच करवाना चाहिए, जिससे वे कांचबिंद होने व अंधत्व से बच सकते हैं।. स्टेरॉयड दवाई लेने वाले मरीज – जो मरीज लंबे समय स्टेरॉयड गोली लेते हैं, बीमारी जैसे किडनी ट्रांसप्लाट, दमा, स्किन एलर्जी के लिये लेते हैं, उसे हमेशा आंख का प्रेशर जांच करवाना चाहिए, जिससे काचबिंद अंधत्व से बच सकें । आंख में चोट से – आंख में चोट लगने से भी कांचविंद हो जाता है।काचबिंद की सबसे खतरनाक बात यह होती कि जितनी रोशनी चली रहती वह वापस नहीं आती। इसलिये नियमित जांच से ही इस बीमारी को पकड़ा जा सकता है।

विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत आज शहर के विभिन्न संगठनों के द्वारा जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सामाजिक संगठन सक्षम बिलासपुर इकाई द्वारा नेत्रदान पर सतत कार्य किया जाता है इसी कड़ी में स्वर्गीय श्रीमती कमला शुक्ला एवं स्वर्गीय महादेव दत्तात्रेय होनप का पिछले महीने मरणोपरांत नेत्रदान संपन्न हुआ था ,इनके परिजनों का भी इस अवसर पर सक्षम एवं डिविजनल आप्थाल्मिक सोसायटी बिलासपुर द्वारा सम्मान किया गया।

अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ सयोंजक मनोज सिन्हा के नेतृत्व में ग्लूकोमा जन जागरूकता अभियान में शामिल होकर लोगों को जागरूक किया गया की कैसे हम सतर्क होकर अंधत्व से बच सकते इस अभियान में शासकीय कन्या बिलासा स्नातकोत्तर महाविद्यालय डीपी बिप्र विधि महाविद्यालय जेपी वर्मा महाविद्यालय शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर पी एन एस कॉलेज शासकीय महाविद्यालय मस्तूरी शासकीय महाविद्यालय सीपत शासकीय राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय बिलासपुर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बोइदा राजेंद्र अग्रवाल महेंद्र जैन भुवन वर्मा डॉक्टर शंकर यादव निलेश मसीह अनूप पांडे मनोज सिन्हा श्याम जी भाई पटेल संजय शर्मा शेफाली निर्मल घोष सहित सिम्स के छात्र-छात्राओं का का विशेष योगदान रहा।

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