सनातन धर्म संस्कृति एवं आस्था के सर्वोच्च शिखा-प्रभु श्रीराम : डॉ अंजू शुक्ला प्राचार्य डी पी विप्र महाविद्यालय
सनातन धर्म संस्कृति एवं आस्था के सर्वोच्च शिखा-प्रभु श्रीराम : डॉ अंजू शुक्ला प्राचार्य डी पी विप्र महाविद्यालय
भुवन वर्मा बिलासपुर 22 जनवरी 2024
बिलासपुर । चिर प्रतीक्षित कालावधि के पश्चात् वर्तमान क्षण साक्ष्य है। कालातीत, गुणातीत, निराकार, निर्गुण, ब्रम्ह विष्णु, महाविष्णु, परम ब्रम्ह परमात्मा, अकारण करूणावारूणालय दयामूर्ति, कृपा निधान, प्रभु श्रीराम अपनी पूर्ण कलाओं के साथ माॅ सरयू के गोद में बसी अयोध्या नगरी में प्रतिस्थापित होंगे। 500 साल की लम्बी संघर्ष यात्रा का समापन हुआ। 1528 को आततयी आक्रमणकारी, विधर्मी बाबर के दुष्ट सेनापति मीर बांकी के द्वारा राममंदिर को विखंडित कर भग्नावेष के ऊपर बाबरी मस्जिद का निर्माण करा दिया गया था। हजारों साधु संतो की निर्मम हत्या कर दी गई। तब से लेकर निरंन्तर राजा महाराजाओं, साधु संतो, प्रजाजनों, कार सेवकों के बलिदान से अयोध्या की गली जन्मभूमि, सरयू मैय्या का जल रक्तरंजित होते रहा। प्रभु की प्रार्थना जारी रहा, अनवरत प्रतीक्षा कर्म स्वरूप भगवान श्री राम के मंदिर की अपने पूर्ण में स्थापना वैभव स्वरूप साकार रूप ले रहा है। महाराज मनु के अनुसार धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, अपरिग्रह, शुचिता, इंद्रिय निग्रह, सत्य, अक्रोध जो धर्म के दस लक्षण है स्वयं राम में मूर्तिमान है। वर्तमान समय परात्पर ब्रम्ह मानवत आदर्श के जीवन्त मूर्तिमान भगवान राम के मंदिर की पुनः स्थापना के पहले बाबरी छत से लेकर तम्बू, तिरपाल, चंदन लकड़ी के मंदिर में लगातार प्रभु विग्रह का अर्चन वंदन हो रहा है। प्रभु ताले में रहे परन्तु श्रध्येय शंकराचार्यो, साधु, संत, महात्मा धर्माधिकारियों, जन नायकों, आम लोगांे, रामभक्तों के साधना, पूजा-पाठ, अराधना, वंदना से न्यायालय से हिंदू आस्था की जीत हो गई। धर्मस्वरूप, परम पिता परमेश्वर के मंदिर निर्माण का कार्य का श्री गणेश हुआ। आज मंदिर अपना नया भव्य दिव्य स्वरूप ले रहा है। 22 जनवरी को मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव होना तय हुआ है। समस्त संसार, अखिल ब्रम्हाण्ड नायक, जगदीश्वर, भक्तों के प्राणाचार, भगवान श्री सीता-राम के दर्शन की लालसा लिए, हर्षातिरेक से ओत-प्रोत, आह्लादित हृदय से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए व्याकुल मन, आकुल नैनों से तड़प रहे है। आज पूर्ण साज सज्जा के साथ अयोध्या नगरी, अयोध्यावासी, अयोध्या के हनुमतगढ़ी, दशरथ महल, रंगमहल, कनक भवन, तुलसी चैरा, सीता रसोई, मणि छावनी, नंदीग्राम, रामलला जन्मभूमि, सूरज कुंड, समस्त भारत वासियों को रामधुन का जयगान कर बुला रहा हैं। राम भक्तों के स्वागत के लिए सरयू मैय्या लहरा-लहराकर राम गुनगान कर रही है। आज सनातन स्वाभिमान का जागरण काल है। भारत माता विश्व गुरू के रूप में पुनः स्थापित होने के लिए प्रभु श्री राम-सीता के पुनः अवतरण का ही राह निहार रही है। नौ लाख वर्ष पहले धर्म की स्थापना अधर्म के नाश के लिए, साधुओं के परित्राण के लिए इस धराधाम में अयोध्या नगरी में प्रकट हुए थे । आज वही शुभ घड़ी पुनः आया हैं। जब कलयुग में विग्रह स्वरूप प्रभु श्रीराम पुनः विराजमान हो रहे है।
तुलसीदास जी लिखते हैं –
जब जब होई धरम की हानि, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी।
तब-तब प्रभु धरि विविध सरीरा, हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।
हम सब मानव सामज का परम पिता श्री राम एवं पराम्बा जानकी जी से हाथ जोड़ प्रार्थना है कि अभी भी इस कलिकाल में हमारी समस्त मानवीक कमजोरी को क्षमा कर साधु संत, महात्मा, सज्जनों, गाय, दीन-दुखी, भक्तजनों के रक्षा के लिए अधर्म के विनाश के लिए प्रभु अपनी करूणा एवं शक्ति पात करेंगे। आज ऐसा आत्मिक अनुभूति हो रहा है मानो चक्रवर्ती सम्राट दशरथ, शीलस्वरूपा महारानी कौशिल्या, सत्य स्वरूपा माता सुमित्रा, शक्ति स्वरूपा माता कैकेयी के सहित भक्तवत्सल भगवान श्रीराम भक्तिरूपा माता जानकी, अनन्य भक्ति सर्मपण भाव स्वरूप भैय्या भरत, सेवा स्वरूप भैय्या लक्ष्मण, मौन आज्ञा पालन तत्पर हेतु भैया शत्रुहन के साथ प्रभु साकेत धाम बैकुंठ से पुनः अयोध्या नगरी में प्रकट हो रहे है। अतुलित बलशाली ज्ञानी नाम श्रेष्ठ राम भक्त हनुमान हमुमतगढ़ी से पुकार पुकार कर सभी भक्तजनों को दर्शन के लिए बुला रहे हैं।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
श्रीराम वंदना लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥