विकास के छत्तीसगढ़ माडल की चर्चा दुनियां भर में – मुख्यमंत्री बघेल : छग के विकास मॉडल में सबसे बड़ी बात – एक दूसरे का साथ , चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में
विकास के छग माडल की चर्चा दुनियां भर में – मुख्यमंत्री बघेल : छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल में सबसे बड़ी बात है – एक दूसरे का साथ , चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में
भुवन वर्मा बिलासपुर 12 दिसंबर 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर – छत्तीसगढ़ मॉडल वास्तव में सहभागिता , समन्वय , सर्वहित , अपनी विरासत का सम्मान करते हुये , सद्भाव के साथ मिलजुलकर आगे बढ़ने के विचार से प्रेरित है। छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल में सबसे बड़ी बात है – एक दूसरे का साथ , चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में। उदाहरण के लिये जब हम गांव की बात करते हैं तो किसी एक विभाग या एक योजना की बात नहीं करते। नरवा , गरुवा , घुरुवा , बारी , गोधन न्याय योजना से शुरूआत करते हुये मल्टीयूटीलिटी सेंटर , रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और फूडपार्क तक पहुंच जाते है। इन सबका संबंध गांवों और जंगलों के संसाधनों से है। इनका संबंध खेती से भी , वनोपज से भी , परंपरागत कौशल और प्रसंस्करण की नई विधाओं से भी है। हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल समावेशी विकास का ऐसा मॉडल है , जिसके मूल में सद्भाव – करुणा तथा सबकी भागीदारी है। छत्तीसगढ़ ने तीन वर्षों में यह साबित कर दिखाया है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में नई और सही सोच के साथ काम करने वाले लोगों के रूप में पहचाना जायेगा।
उक्त बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज आकाशवाणी से प्रसारित रेडियोवार्ता लोकवाणी की 24वीं कड़ी में “नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष” विषय पर प्रदेशवासियों से चर्चा करते हुये कही। सीएम ने अपने रेडियोवार्ता बातचीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। सीएम बघेल ने कहा कि मेरी तीन साल की सबसे बड़ी सफलता तो यही है कि आप लोग अपने अधिकारों , अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं , सच होते देख रहे हैं। खुशी है कि मैं कुछ सार्थक बदलाव करने में सफल हुआ हूं। आज विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश और दुनियां में है। मुझे विश्वास है कि जब हम अपने पुरखों के रास्ते पर चलते हैं और पुराने मूल्यों से छेड़खानी किये बगैर सुधार के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। हमने तीन वर्षों में गरीबों तथा कमजोर तबकों के लिये ऐसे प्रयास किये हैं , जिनके बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया था। हाल में ही हमने छह दिसम्बर को बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया। दस दिसम्बर को अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी का बलिदान दिवस था और अठारह दिसम्बर को गुरूबाबा घासीदास जी की जयंती है। मैं इन विभूतियों को नमन करते हुये बताना चाहूंगा कि हमारी नीतियों में सभी के आदर्श हैं। विगत तीन वर्षों में हमने कमजोर तबकों को बराबरी के अवसर देकर उनके बताये रास्ते पर चलने में सफल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लोगों ने तीन साल में हुये बदलावों को ना सिर्फ करीब से देखा है , बल्कि उसे अपने जीवन में बेहतरी को महसूस कर रहे हैं। इस तरह हमने ऐसी योजनायें बनायी जो वास्तव में आदिवासी अंचल हो व मैदानी क्षेत्र सभी का भला कर सके। लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिये न्याय का आगाज हुआ। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया। हमें खुशी है कि अब तक बाईस लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आदिवासी तथा परंपरागत निवासियों को दी जा चुकी है , जो पांच लाख से अधिक परिवारों के लिये आजीविका का जरिया बन गई है। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक पच्चीस सौ रुपये से बढ़ाकर चार हजार रूपये प्रतिमानक बोरा करना ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करने से वन आश्रित परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी आयी है। तीन साल पहले सिर्फ सात वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी। लेकिन हमने बावन वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं , सत्रह लघु वनोपजों के लिये संग्रहण पारिश्रमिक दर अथवा समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोतरी भी की गई है। इस तरह लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने , प्रसंस्करण करने , इनमें महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ने और आदिवासी समाज के सशक्तीकरण में बड़ी भूमिका निभाने के लिये छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने पच्चीस पुरस्कार प्रदान किये है। इसके अलावा स्वच्छता के लिये भी तीन साल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। इस बार छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 67 नगरीय निकायों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है और एक बार फिर छत्तीसगढ़ को देश के सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में मान्यता मिली है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसान भाई उन परिस्थितियों को समझ रहे हैं , जिसमें हमें काम करना पड़ रहा है और आप लोगों को इस बात का पूरा भरोसा हुआ है कि हम किसानों से संबंधित जो काम कर रहे हैं, उसकी दिशा सही है। सीएम बघेल ने अपने संबोधन में आगे कहा कि किसान मेरी जान है , मेरे प्राण है और किसानी मेरी धड़कन है। जिस दिन मैं किसानी नही करूँगा या किसानी की बेहतरी के लिये नहीं सोचूंगा तो समझ लीजिये कि उसी क्षण वह व्यक्ति नहीं रहूंगा , जिसको आप लोग प्यार करते हैं। मैंने बचपन से जवान होते तक खेतों में काम किया है इसलिये मुझे खेती किसानी की पूरी जानकारी है। हर फसल किसान के लिये एक सीढ़ी होती है। इनपुट कास्ट कम होना और आउटपुट का दाम अच्छा मिलना ही खेती को लाभदायक बना सकता है। इसलिये हमने सबसे पहले किसानों पर जो कर्ज का बोझ था , डिफाल्टरी का कलंक था , बकायादारी की जो बाधा थी , उसे कर्ज माफी से ठीक किया। सिंचाई पंप कनेक्शन लगाने का काम सुगम किया , सिंचाई के लिये निःशुल्क या रियायती दर पर बिजली प्रदाय का इंतजाम किया। धान ही नहीं बल्कि सारी खरीफ फसलों , उद्यानिकी फसलों , मिलेट्स यानि लघु धान्य फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के दायरे में लाया। पहले साल जब हमने आपको पच्चीस सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का दाम दिया तो इसमें कुछ लोगों ने रोड़ा अटकाया और हम उस बाधा को चीर कर कैसे बाहर निकले यह कोई छिपी बात नहीं है , आगे भी ये सब सुविधायें जारी रहेगी। हमारी सरकार चट्टान की तरह किसानों के साथ खड़ी रहेगी , कोई ताकत हमें अपने रास्ते से डिगा नहीं सकती।हमने तो धान की बंपर फसल का भी स्वागत किया है। इस साल 105 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का अनुमान है। हम केन्द्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति हो। यदि यह अनुमति मिल गई तो समझिये कि फिर हमें किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाना पड़ेगा। हम ऐसी अर्थव्यवस्था बना देंगे कि किसान को अपनी उपज का मनचाहा दाम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कमजोर तबकों को सशक्त करने की बात महात्मा गांधी , नेहरू , शास्त्री , डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर , सरदार वल्लभ भाई पटेल , इंदिरा गांधी , राजीव गांधी जैसे हमारे सभी महान नेता कहते थे। हमने इसका मर्म पकड़ा और तीन सालों में अस्सी हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि इन कमजोर तबकों की जेब में डाली। इस तरह स्वावलंबन के भाव से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में एक नई ताजगी का संचार हुआ। मुख्यमंत्री ने बताया हमने अपने राज्य के संसाधनों के राज्य में ही वेल्यूएडीशन को लेकर जब ठोस ढंग से काम शुरू किया तो औद्योगिक विकास में भी रफ्तार पकड़ी। इसके वजह से तीन साल में 01 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला। सरकारी तथा अर्द्धशासकीय कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई। जहां स्थायी भर्ती का प्रावधान नहीं था , वहां भी किसी ना किसी तरह नौकरी दी गई , जिसे मिलाकर 04 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गई। मनेरगा , स्व-सहायता समूहों , वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेशन के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया , जिसके कारण पचास लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ। इस तरह हमने अपने महान संविधान द्वारा निरूपित , लोकतांत्रिक मूल्यों और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार किया। शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना हो या प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों , 07 अनुभागों तथा 05 जिलों के गठन की पहल , इन सबका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को न्याय दिलाना ही है।