शुभकामनाओ के साथ आई जी की पाती संविधान दिवस पर देशवासियों को : संविधान से ही स्वाभिमान एवम जीवन है – रतन लाल डांगी

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शुभकामनाओ के साथ आई जी की पाती संविधान दिवस पर देशवासियों को : संविधान से ही स्वाभिमान एवम जीवन है – रतन लाल डांगी

भुवन वर्मा बिलासपुर 26 नवम्बर 2021

बिलासपुर । “संविधान दिवस पर समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं मेरे प्यारे भाइयों, बहनों और प्यारे बच्चों सभी को जय भीम, जय संविधान आज का दिन हम सब भारतीयों के लिए विशेष दिन है। आज का दिन हजारों सालों की गुलामी से मुक्ति का दिन है। यह वो दिन है जब आपका अपना आईन बना है, जो आपके अपनों के द्वारा समस्त भारतीय जनता के कल्याण के लिए बिना किसी जाति, धर्म, लिंग एवं क्षेत्र का भेदभाव किए बनाया गया है । देश का संविधान हर नागरिक के लिए प्राणवायु के समान है जैसे कुछ समय के लिए प्राणवायु नहीं मिलती है तो व्यक्ति जीवित नहीं रह पाता है वैसे ही यदि संविधान एक क्षण के लिए भी उपलब्ध नहीं हो तो व्यक्ति का जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

संविधान का संधि विच्छेद होता है सम् प्लस विधान यानी वो कानून जो सबको समान समझता है संविधान वो सर्वोच्च कानून है जिसके अनुसार न केवल देश को संचालित होता है बल्कि आम नागरिक के लिए सुरक्षा कवच का भी काम करता है संविधान ही समस्त कानूनों का स्रोत है। संसद भी ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती जो संविधान का अतिक्रमण करे। यह संविधान ही है जिसके बल पर एक आम नागरिक भी सरकारों से भी लड़ जाता है। यह देश के नेतृत्व के लिए दिशा निर्देशक भी है। मैं आज इस अवसर पर संविधान सभा के समस्त सदस्यों को नमन करता हूं और कृतज्ञता प्रकट करता हूं कि उन्होंने ऐसा संविधान दिया जिसके बदौलत में आज इस पद तक पहुंचा हूं और आपसे बात कर सका हायह बाबा साहब के नेतृत्व में लिखित उस संविधान का ही कमाल है कि एक साधारण परिवार में पैदा होने वाला व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री एवम् देश का राष्ट्रपति बना है। इसी की बदौलत महिलाशक्ती भी देश की प्रधान मंत्री राष्ट्रपति एवम् न्यायाधीश बनी है। अन्यथा हमारे यहां महिलाओं के बारे में तुलसीदास जी ने भी समाज की सोच को अपने साहित्य में रेखांकित किया है। मेरे जैसे लाखों लोग मजदूर परिवार में पलने के बावजूद सर्वोच्च पदो तक पहुंच रहे है।

मेरा मानना है कि भारतीय संविधान आपकी उन्नति प्रगति का घोषणा पत्र है। आप जब तक इस दुनिया में है तब अपने इसे अपने पास रखिए और पढ़िए क्योंकि इसमें ऐसे ऐसे मंत्र है जिसको जानने समझने से आप हर प्रकार के संकटों से बच सकते है। अब सवाल आता है कि संविधान दिवस की मनाया क्यों जाता है। संविधान के जनक बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर और संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन संविधान दिवस मनाया जाता है। जिसमें लोगों को यह बताया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश की तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉक्टर अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। संविधान दिवस पर हम आने वाली पीढ़ियों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझा सके जिससे कि वे उसका सम्मान करें। साथ ही हमें वर्तमान से जोड़ने का कार्य करता है। जब लोग जनतंत्र का महत्व दिन-प्रतिदिन भूलते जा रहे हैं। तब यही एक तरीका है जिससे अपना कर हम अपने देश के संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान कर सकते हैं। संविधान दिवस के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों को अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष और इसमें योगदान देने वाले क्रांतिकारियों के विषय में बताएं ताकि वह इस बात को समझ सके कि आखिर कितनी कठिनाइयों के बाद हमारे देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई है संविधान दिवस को केवल औपचारिक रूप से नहीं मनाना चाहिए बल्कि अपने देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस दिन को पूरे जोश एवम् उत्साह के साथ मनाएं और यही हमारे देश के संविधान निर्माताओं को हमारी ओर से दी जा सकने वाली सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारा यह मात्र कर्तव्य ही नहीं बल्कि दायित्व भी है कि हम इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए। इस दिन का प्रचार प्रसार करने के लिए जागरूकता अभियान चला सकते हैं।

हमें लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने की भी आवश्यकता है। संविधान की प्रस्तावना के विषय में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी देनी चाहिए ताकि लोग संविधान का सार समझ सके। विद्यालयों में सेमिनार व्याख्यान का आयोजन करके भी हम बच्चों को संविधान के बारे में जानकारी दे सकते हैं । सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाकर संविधान दिवस के विषय में लोगों को जागरूक कर सकते हैं। संविधान का हमारे लिए क्या महत्व है ? बाबा साहब अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान सभा ने अपने समय का सबसे प्रगतिशील संविधान बनाकर गैर बराबरी आधारित सामाजिक ढांचे को नष्ट किया एवं एक समतामूलक समाज की स्थापना के स्वप्न को साकार किया। आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे जिन्हें देश के नियम कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्यकता थी जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकारों कर्तव्यों को निर्धारित किया जा सके। जिससे हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सके।

भारत में 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस

मनाया जाता है क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवंबर को ही संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अंगीकृत किया गया था । जो 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से प्रभाव में आया। यानी आज का दिन देश के गणतंत्र या कहें लोकतंत्र का बुनियादी दिन है। इस दिन देश को ऐसा कानून मिला था। जिससे आज तक देश में शासन प्रशासन चल रहा है। देश में संविधान ही सर्वोपरि है। न तो कोई सरकार, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और ना ही प्रधानमंत्री इससे ऊपर है। इस वैधान निर्माण सभा के अन्य सदस्यों के साथ साथ डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। हमारा संविधान एक हस्तलिखित दस्तावेज है। भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा एवम् लिखित संविधान माना गया है। इसमें कुल 25 भाग है जिसके अंतर्गत 448 धाराएं और 12 अनुच्छेद है संविधान की प्रस्तावना संविधान का सार है। “हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपत्र समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपने संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर 1949 ईस्वी को संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और अर्पित करते हैं।” बाबा साहब अंबेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है। यह लिखित और विस्तृत है। यहां लोकतांत्रिक सरकार है मौलिक अधिकार है, न्यायपालिका की स्वतंत्रता निबंध आने जाने, भाषण धर्म, शिक्षा एवम् व्यापार आदि की स्वतंत्रता है। भारतीय संविधान लचीला और कठोर दोनों है।

भारतीय संविधान में न केवल विश्व भर के लोकतंत्र

मानवाधिकार एवं अन्य उद्धार मूल्यों को अपनाया गया।

बल्कि भारतीय सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप उन्हें नवीन

रूप भी दिया गया है। ऐतिहासिक रूप से शोषित एवं

पिछड़े वर्गों के लिए सकारात्मक प्रावधानों के द्वारा

इतिहास की विडंबना को सुधारने का सबसे कारगर कदम

उठाया गया। संविधान ने तमाम विविधताओं और

विभिन्नताओं के बावजूद भारत को एक सक्षम राष्ट्र के रूप

में उभरने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब हम

देखते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग भारत के साथ

ही स्वतंत्र हुए राष्ट्रों को न केवल गृह युद्ध एवम् आंतरिक

अशांति से जूझना पड़ा है बल्कि विखंडन तक से भी जूझना पड़ा है। क्योंकि वो अपने यहां उपस्थित विभिन्न

सांस्कृतिक दलों को एक राष्ट्र के रूप में नहीं ढाल पाए।

संविधान ने हमें क्या दिया ? भारत का अपना संविधान
लागू होने के दिन से ही असली आजादी मानी जाती है जब
अपना कानून बना इस दिन से पूर्व तक देश की शासन
व्यवस्था अंग्रेजों के द्वारा दिए गए कानूनों से ही थी इस संविधान को देश के नागरिकों की तरफ से ही स्वीकार किया गया था ।

जय हिन्द,,,,

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