पेरिस में मिलने के वादे के साथ टोक्यो ओलंपिक का समापन

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पेरिस में मिलने के वादे के साथ टोक्यो ओलंपिक का समापन

भुवन वर्मा बिलासपुर 09 अगस्त 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

टोक्यो — वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल के बीच 23 जुलाई से 08 अगस्त तक टोक्यो में आयोजित 32 वें ओलंपिक खेलों का समापन हो चुका है। यह समापन समारोह टोक्यो के राष्ट्रीय ओलिंपिक स्टेडियम में आयोजित किया गया था। समापन समारोह के दौरान इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी के प्रेसिडेंट थॉमस बाक , जापान के क्राउन प्रिंस अकिशिनो और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी पहुंचे हुये थे। हालांकि कोरोना की वजह से पूरा स्टेडियम खाली नजर आया। समापन समारोह में फ्रांस के राष्ट्रगान की प्रस्तुति के बाद स्टेडियम में फ्रांस का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। समापन समारोह में ब्रान्ज मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले पहलवान बजरंग पूनिया भारत का ध्वज लहराते नजर आये। जबकि ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भारतीय पुरूष हाकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह और मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने भारत का ध्वज थामा था। समापन समारोह की शुरुआत स्टेडियम में आतिशबाजी के साथ हुई , जिसमें आयोजकों ने उन सभी लोगों के लिये आभार व्यक्त किया जिन्होंने ओलंपिक खेलों को समापन समारोह तक पहुंचाने में मदद की। जब उद्घाटन समारोह होता है तो सभी एथलीट अपने झंडे के साथ चलते हैं, लेकिन समापन समारोह में दुनियां भर के एथलीट एक धुन में चलते हुये मोमेंट को एंजाय करते हैं।सभी देशों के एथलीट्स एक दूसरे से मिल रहे हैं और पल का लुत्फ उठा रहे हैं। समारोह का मुख्य संदेश था कि खेल एक उज्जवल भविष्य के दरवाजे खोलेंगे। समापन समारोह में टोक्यो के गवर्नर युरिको कोइके अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थामस बाक को ओलिंपिक ध्वज सौंपा। बाक इस ध्वज को पेरिस के मेयर ऐनी हिडाल्गो को सौंपेंं जहां पर अगला वर्ष 2024 पेरिस ओलिंपिक होना है। ये लम्हा उन्हें तीन साल बाद मिलेगा , अब पेरिस में वर्ष 2024 में ओलंपिक का आयोजन किया जायेगा। भारत के नजरिये से टोक्यो ओलिंपिक देश के लिये अब तक का सबसे सफल ओलिंपिक है। इस बार टोक्यो में भारत ने सात मेडल अपने नाम किये हैं , जो कि एक ओलिंपिक खेलों में सबसे ज्यादा हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार एक गोल्ड , दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में भारत के लिये गोल्ड मेडल जीता, जबकि मीराबई चानू ने वेटलिफ्टिंग में और रवि दहिया ने कुश्ती के 57 किलो वेट में सिल्वर मेडल जीते। वहीं बैडमिंटन में पीवी सिंधु , कुश्ती में 69 किलो वेट में बजरंग पूनिया, बॉक्सिंग में लवलिना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी ने देश के लिये ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। टोक्यो से पहले भारत का सबसे सफल ओलिंपिक वर्ष 2012 लंदन ओलिंपिक रहा है। इस ओलिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल छह मेडल जीते थे , हालांकि इसमें एक भी गोल्ड मेडल नहीं था। लंदन में कुश्ती और शूटिंग में दो मेडल मिले थे , जिसमें एक-एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल था। इसके अलावा बॉक्सिंग में मेरीकॉम और बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीते थे।

पदकों की दौड़ में अमेरिका सर्वोपरि

अगर टोक्यो मेडल टैली की बात की जाये तो संयुक्त राज्य अमेरिका 113 मेडल के साथ टॉप पर काबिज है। अमेरिकी खिलाड़ियों ने 39 गोल्ड , 41 सिल्वर और 33 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। और चीन 38 गोल्ड के साथ दूसरे स्थान पर काबिज है। चीन के खिलाड़ियों ने कुल 88 मेडल जीते हैं। जिसमें 32 सिल्वर और 18 ब्रॉन्ज मेडल शामिल है। वहीं मेजबान जापान 27 गोल्ड मेडल के साथ तीसरे स्थान पर है। जापान के कुल 58 मेडल हैं। जिसमें 14 सिल्वर और 17 ब्रॉन्ज भी है। वहीं भारत एक गोल्ड के साथ 48 वें नंबर पर है। भारतीय खिलाड़ी कुल सात मेडल जीतने में सफल हुये हैं। एक गोल्ड के अलावा दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल भारतीय खिलाड़ियों ने जीते हैं।

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