आराधना महोत्सव कार्यक्रम सत्संग सभा भवन में : मंगल के धाम हैं भगवान शिव – झम्मन शास्त्री
आराधना महोत्सव कार्यक्रम सत्संग सभा भवन में : मंगल के धाम हैं भगवान शिव – झम्मन शास्त्री
भुवन वर्मा बिलासपुर 7 अगस्त 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर – भगवान के नाम रूप लीला और धाम का आश्रय लेना कल्याणकारी है। भगवान शिव मंगल के धाम है उनकी उपासना निश्छल मन से करने पर वो शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है। भगवान शिवजी के नाम , स्वभाव और प्रभाव तीनों रूपों का चिन्तन करते हुये पुज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने कहा है शिवशंकर प्रलयकर , शिवजी प्राणी मात्र को विश्राम प्रदान करने वाले सुखनिधान मंगल के धाम है उनका नाम लेने से जीव मात्र का कल्याण संभव है।
उक्त बातें पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य महाभाग द्वारा संस्थापित राधाकृष्ण भवन धमतरी में आयोजित सप्तदिवसीय आराधना महोत्सव कार्यक्रम को सत्संग सभा भवन में संबोधित करते हुये प्रधान यज्ञाचार्य पं० झम्मन प्रसाद शास्त्री ने कही।आचार्यश्री ने कहा कि वर्तमान समय में समाज व्यक्तिगत स्वार्थ तक संकुचित सीमा में बंधते जा रहा है। परिवार और समाज में धर्म , राष्ट्र संस्कृति के प्रति जागरूकता का अभाव निरन्तर बढ़ रहा है , ऐसे समाज में कथा ही माध्यम है। जो प्रेरणादायी एतिहासिक भगवत् लीलाओ का सतसंग के द्वारा प्रचार प्रसार कर जन चेतना का विस्तार एवं आध्यात्मिक क्रांति के प्रति अभी रूचि संम्भव है। अन्याय , अधर्म , अनीति के विरोध मे संघर्ष करने की प्रेरणा भगवान शिव जी से लेने की आवश्यकता है। एकादश रूद्रवतार हनुमान जी इसलिये अपने लीला मे सेवा , सत्संग और संकीर्तन का आलम्बन लेकर ज्ञानियों में अग्रगण्य तथा बुद्धिमानों में वरिष्ठ होते हुये धर्म संस्कृति एवं आदर्श परम्परा तथा रामराज्य की स्थापना के लिये असुरों के संहार भी करते है तथा भक्तों के उद्धर के लिये सदैव रामनाम जपते जपते प्रभु को अपने वश मे कर लिये। सनातन शास्त्र सम्मत वैदिक विधा का अवलम्बन लेकर ही उपासना यज्ञादि सत्कर्म करें। धर्म आध्यात्म वैदिक परम्परा से ही सर्वविद उत्कर्ष संभव है। सर्वहित की भावना से जो आराधना सेवा पूजा भक्ति करते हैं उससे भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।भौतिक विकास के नाम पर विधि हीन यज्ञ करने से अन्न , जल , पृथ्वी के धारक तथा यज्ञ सम्पादक सभी तत्वों का लोप हो रहा है जिसे तामस यज्ञ कहते हैं। आचार्यश्री ने बताया दक्ष प्रजापति ने भी शिवजी को अपमानित करने के उद्देश्य से यज्ञ कराया जिसे भगवान ने विध्वंस करा दिया।