प्रजातंत्र की शान चंदना : दिहाड़ी मजदूर बनी बंगाल में विधायक

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प्रजातंत्र की शान चंदना , दिहाड़ी मजदूर बनी बंगाल में विधायक

भुवन वर्मा बिलासपुर 3 मई 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

सालतोरा — पश्चिम बंगाल की सत्ता भले ही भारतीय जनता पार्टी के हाथ से निकल गई हो लेकिन उनकी एक दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिला उम्मीद्वार की जीत को लेकर चर्चा हर तरफ जोरों पर है। उनके विधानसभा पहुंचने की कहानी से हर कोई हैरान है। उनके पास संपत्ति के नाम पर कुछ हजार रुपये, तीन गाय, तीन बकरियां और एक झोपड़ी है। हालाकि बीजेपी का टिकट मिलने के बाद से ही चंदना बाउरी सुर्खियों में आ गई थीं , लेकिन अब जीत ने उनकी चर्चायें और बढ़ गयी हैं। एक झोपड़ी में रहकर गुजर करने वालीं चंदना की कहानी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। बीजेपी के टिकट पर सालतोरा सीट से चुनाव लड़ने वाली चंदना बाउरी ने टीएमसी उम्मीद्वार संतोष कुमार मंडल को 4000 वोटों से हरा दिया है , लेकिन उनकी जीत से ज्यादा चर्चा उनकी सादगी और आर्थिक स्थिति की हो रही है। इस सीट पर भाजपा, टीएसमी और सीपीएम तीनों ने पार्टियों ने अपने प्रत्याशी बदले थे। सालतोरा सीट पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के अंतर्गत आती है।बताते चलें कि साधारण परिवार से आने वाली चंदना बाउरी की उम्र भर की जमा पूंजी केवल 31985 रुपये हैं , वह झोपड़ी में रहती हैं। वे एक गरीब मज़दूर की पत्नी हैं जो अनुसूचित जाति से आती हैं और उनके पास तीध बकरियां व तीन गाय है। चंदना बाउरी ने अपना नामांकन भरते समय चुनाव आयोग को जो शपथपत्र दिया था उसमें उन्होंने खुद के बैंक खाते में सिर्फ 6335 रुपये होने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने बताया था कि उनके पति के खाते में महज 1561 रुपये जमा हैं। शपथपत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी कुल अचल संपत्ति 31985 रुपये है जबकि उनके पति श्रवण की कुल अचल संपत्ति 30311 रुपये है। उनके पति सरबन (राजमिस्त्री) के पास किसी तरह की कृषि भूमि नहीं है। वे दिहाड़ी मजदूर हैं और मजदूरी से ही अपना घर चलाते हैं। चंदना मजूदरी के दौरान अपने पति का भी हाथ बंटाती हैं। चंदना ने बारहवीं तक पढ़ाई की है जबकि उनके पति सिर्फ आठवीं पास हैं। पति पत्नी दोनों का नाम मनरेगा में पंजीकृत है। इनके तीन बच्चे हैं और ये सात आठ साल से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। पार्टी के प्रति वह इतनी ज्यादा समर्पित हैं कि प्रचार के लिये रोजाना कमल के प्रिंट वाली भगवा रंग की साड़ी पहनकर निकलती थी। उन्होंने लोगों से महिला संबंधी अपराधों, गरीबी, शिक्षा और पीने के पानी जैसे मुद्दों पर वोट मांगा। पिछले साल उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 हजार की पहली किश्त भी मिली थी , जिससे उन्होंने अपना दो कमरों वाला घर पक्का किया था। चंदना बाउरी की ये जीत ऐसी महिलाओं को प्रोरित करने वाली है जो गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। उन्होंने इस सीट पर जीत कर साबित कर दिया कि जीत के लिये किसी पार्टी के परिवार वाला , अमीर और रुतबा होना ही काफी नहीं है। उनकी ये ऐतिहासिक जीत कई महिलाओं के लिये प्रेरणा बनेगी।

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