अकाल मृत्यु से बचाती है भागवत कथा — झम्मन शास्त्री
अकाल मृत्यु से बचाती है भागवत कथा — झम्मन शास्त्री
भुवन वर्मा बिलासपुर 22 फरवरी 2021
डोंगरगढ़ — श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ का उद्देश्य केवल यश पाने के लिये किसी इच्छा के अधीन किया गया धर्म कार्य नहीं बल्कि कथा के माध्यम से अंतःकरण को शुद्ध करने का अनुष्ठान है। भगवान को पाने की इच्छा हो तो परीक्षित और शुकदेव का संवाद ही सुन ले तो जीवन धन्य हो जायेगा। अकाल मृत्यु से बचने के लिये भागवत कथा का श्रवण अवश्य करें।
उक्त बातें डोंगरगढ़ के समीप ठाकुर टोला ग्राम में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह में व्यासपीठ से पंडित झम्मन शास्त्री ने कही। महाराजश्री ने बताया कि प्रभु की लीला के बगैर ना कोई जन्म ले सकता है और ना ही किसी की मृत्यु हो सकती है। सभी कालचक्र में ईश्वर की सहमति विद्यमान रहती है। अकृतार्थ जीवात्मा को पुनर्जन्म लेना पड़ता है। इसलिये चौबीस घंटे में कम से कम सवा घंटा प्रभु की स्तुति भजन कीर्तन करना चाहिये। जीवन का उद्देश्य ईश्वर को पाना है ना कि केवल धन वैभव और जीवकोपार्जन में लगे रहना। संकीर्तन का महत्व बताते हुये उन्होंने बताया कि प्रभात फेरी के माध्यम से युवाओं में सनातन धर्म के प्रति आस्था जागृत होती है। उन्होंने कहा कि रामराज्य लाना हो तो कर्ज माफी नहीं बल्कि कोई कर्जा ना ले ऐसा वातावरण बनाना पड़ेगा। पंडित झम्मन शास्त्री जी ने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति सात्विक मन से ईश्वर को पाने की चेष्टा करता है तो सुखदेव जैसे ज्ञानी का पदार्पण होता है। श्रवण योग से आसान कोई दूसरा रास्ता परमात्मा को पाने का नहीं है। गौरव की बात है कि हम सभी सनातन धर्मी दो चार दिनों के नहीं बल्कि 31 नील 10 खरब 40 अरब पुराने है। ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना के समय 84 लाख योनियों का सृजन तो किया लेकिन विवेक शील प्राणी अर्थात मनुष्य बनाने के लिये उन्हे नारायण की शरण लेनी पडी़। मानव जीवन दुर्लभ है इसलिये इसका उपयोग जीवनधन जगदीश्वर की प्राप्ति के लिये होना चाहिये। कथा सुनने के लिये ग्राम एवं आसपास के भक्तजन बड़ी संख्या में उपस्थित हो रहे हैं ।