किसानों और सरकार के बीच आज भी समझौता नहीं
किसानों और सरकार के बीच आज भी समझौता नहीं
भुवन वर्मा बिलासपुर 4 जनवरी 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — किसानों और सरकार के बीच आज हुई वार्ता भी बेनतीजा रहा। आज दोपहर हुई बातचीत के दौरान सरकार ने दो टूक कहा है कि वह तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर सकती है। वहीं किसानों ने भी कहा कि हमें कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी मंजूर नहीं।दिल्ली में कड़ाके की ठंड के बीच पिछले सवा महीने से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का लगातार आंदोलन जारी है। बारिश , ठंड और शीतलहर प्रकोप के बीच दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की सोमवार को एक बार फिर से सरकार के साथ बैठक हुई। कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने की मांँग को लेकर सोमवार को किसानों और सरकार के बीच की हुई वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका। लगभग तीन घंटे चली वार्ता के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार कृषि सुधार कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है और उसकी मंशा कानून में संशोधन की है जबकि किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस किये जाने पर अडिग हैं। सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक आठ जनवरी को होगी। हमने बता दिया है कि कृषि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं , हमें कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी मंजूर नही है। वहीं एक अन्य किसान नेता ने बताया कि हमने पहले कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर चर्चा की और कहा कि एमएसपी पर बाद में बात करेंगे। आठ जनवरी का समय मांगते हुये सरकार ने कहा है कि आठ जनवरी को हम सोचकर आयेंगे कि ये क़ानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं , इसकी प्रक्रिया क्या हो ? इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चर्चा का माहौल अच्छा था परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया। अब आठ जनवरी को अगली बैठक होगी। जिस हिसाब से चर्चा चल रही है , किसानों की मान्यता है कि सरकार इसका रास्ता ढूंँढ़े और आंदोलन समाप्त करने का मौका दे। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिये अगली बैठक तय हुई है। सरकार देश भर के किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार जो भी निर्णय करेगी, सारे देश को ध्यान में रखकर ही करेगी। हमें उम्मीद है कि अगले बैठक में कोई ना कोई नतीजा निकलेगा।
गौरतलब है कि इसके पिछलेबातचीत में सरकार ने किसानों की दो बातें मान ली थी- बिजली संशोधन विधेयक 2020 और पराली जलाना जुर्म नहीं। लेकिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिये कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा। चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद पचास प्रतिशत समाधान हो गया है। सरकार और अन्नदाताओं के बीच कई बार हो रही महत्वपूर्ण वार्ता की सफलता और विफलता पर इस आंदोलन का भविष्य टिका हुआ है जबकि देश के किसानों का आंदोलन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।