प्रधानमंत्री ने किया राजकोट में एम्स का शिलान्यास

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प्रधानमंत्री ने किया राजकोट में एम्स का शिलान्यास

भुवन वर्मा बिलासपुर 31 दिसंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली – नया साल के दस्तक देने के साथ आज देश के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने वाली एक और कड़ी जुड़ रही है। राजकोट में एम्स के शिलान्यास से गुजरात सहित पूरे देश के स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन को बल मिलेगा। वर्ष 2020 को एक नई नेशनल हेल्थ फैसिलिटी के साथ विदाई देना, इस साल की चुनौती को भी बताता है और नये साल की प्राथमिकता को भी दर्शाता है। उक्त बातें पीएम मोदी ने राजकोट एम्स के वर्चुअल शिलान्यास के अवसर पर कही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात को पहले एम्स की सौगात देते हुये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये राजकोट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला रखी। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के अलावा गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने कहा ‘साल 2020 में संक्रमण की निराशा थी, चिंतायें थी और चारों तरफ सवालिया निशान भी थे। लेकिन 2021 इलाज की आशा लेकर आ रहा है , वैक्सीन को लेकर भारत में हर जरूरी तैयारियांँ चल रही हैं। भारत में बनी वैक्सीन तेजी से हर जरूरी व्यक्ति तक पहुंँचे, इसकी कोशिशें अंतिम समय पर है। दुनियाँ का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाने के लिये भारत की तैयारियों जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल ने हमें सिखाया कि स्वास्थ्य ही संपदा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य पर चोट से पूरा सामाजि दायरा प्रभावित होता है। देश में जल्द कोरोना वैक्सीन का टीकारण शुरू होने वाला है, लेकिन अब दवाई भी और कड़ाई भी। पीएम मोदी ने आगे कहा मुश्किल भरे इस साल ने दिखाया है कि भारत जब एकजुट होता है तो मुश्किल से मुश्किल संकट का सामना वो कितने प्रभावी तरीके से कर सकता है। भारत ने एकजुटता के साथ समय पर प्रभावी कदम उठाये , उसी का परिणाम है कि आज हम बहुत बेहतर स्थिति में हैं। जिस देश में 130 करोड़ से ज्यादा लोग हों, घनी आबादी हों. वहांँ करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी से लड़कर जीत चुके हैं। उन्होंने कहा स्वास्थ्य पर जब चोट होती है तो जीवन का हर पहलू बुरी तरह प्रभावित होता है और सिर्फ परिवार नहीं पूरा सामाजिक दायरा उसकी चपेट में आ जाता है. इसलिये साल का ये अंतिम दिन भारत के लाखों डॉक्टर्स, हेल्थ वॉरियर्स, सफाई कर्मियों, दवा दुकानों में काम करने वाले, और दूसरे फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स को याद करने का है। कर्तव्य पथ पर जिन साथियों ने अपना जीवन दे दिया है, उन्हें मैं सादर नमन करता हूँ। छह साल में ही दस नये एम्स पर होने वाले काम की चर्चा पर पीएम ने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद भी सिर्फ 06 एम्स ही बन पाये थे। वर्ष 2003 में अटल की सरकार ने 06 नए एम्स बनाने के लिये कदम उठाये थे , उन्हें बनाते बनाते 2012 आ गया था यानि 09 साल लग गये थे। बीते 6 सालों में 10 नये एम्स बनाने पर काम हो चुका है, जिनमें से कई आज पूरी तरह काम शुरू कर चुके हैं। एम्स के साथ ही देश में 20 एम्स जैसे सुपर स्पैशिलिटी हॉल्पिटल्स पर भी काम किया जा रहा है। इन छह सालों में हेल्थकेयर सेक्टरों में हुये कामों का जिक्र करते हुये पीएम मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से गरीबों के लगभग 30 हजार करोड़ रुपये ज्यादा बचे हैं। इस योजना ने गरीबों को कितनी बड़ी आर्थिक चिंता से मुक्त किया है , अनेकों गंभीर बीमारियों का इलाज गरीबों ने अच्छे अस्पतालों में मुफ्त कराया है। वर्ष 2014 से पहले हमारा हेल्थ सेक्टर अलग अलग दिशा में, अलग अलग अप्रोच के साथ काम कर रहा था। प्राइमरी हेल्थ केयर का अपना अलग सिस्टम था, गांँव में सुविधायें ना के बराबर थी। हमने हेल्थ सेक्टर में होलिस्टिक तरीके से काम शुरू किया। हमने जहांँ एक तरफ प्रिवेंटिव केयर पर बल दिया, वहीं इलाज की आधुनिक सुविधाओं को भी प्राथमिकता दी।

वर्ष 2022 तक तैयार होगा एम्स

प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार एम्स संस्थान को 201 एकड़ से अधिक जगह आवंटित की गई है और यह लगभग 1,195 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। संस्थान का निर्माण 2022 के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है। इस आधुनिक अस्पताल में 750 बिस्तर होंगे जिनमें से 30 बिस्तर आयुष ब्लॉक में होंगे। इसमें एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिये 125 और नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिये 60 सीटें होंगी। यह एम्स विशेष और सुपर स्पेशलिस्ट विभागों से सुसज्जित होगी। इस एम्स परिसर में मुख्य अस्पताल भवन के अलावा शैक्षणिक भवन , आडिटोरियम , गेस्ट हाऊस , पीजी और यूजी हास्टल , डाइनिंग हाल , नर्सिंग स्टूडेंट्स हास्टल भी होंगे। इस प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में ओपीडी से लेकर ट्रामा सेंटर तक सभी सुविधायें उपलब्ध होंगी। चिकित्सा विज्ञान के सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञ यहांँ काम करेंगे और अस्पताल गंभीर बीमारी के सभी रोगियों का इलाज करेगी। इस अस्पताल के खुलने के बाद मरीजों को किसी भी विशिष्ट अस्पताल में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

इको फ्रेंडली बनेगा एम्स

यह इमारत प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली आधारित ग्रीन बिल्डिंग के नियमानुसार ईको फ्रेंडली होगी। एम्स की इन इमारतों में बड़ी संख्या में कमरे बनाये जायेंगे, जिनमें से सभी को प्राकृतिक धूप का अधिकतम लाभ मिले तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो इस तरह तैयार किया जायेगा। पूरे भवन में पर्यावरण के अनुकूल और बिजली की बचत करने वाले उपकरणों का उपयोग किया जायेगा। भवन की दीवार और छत में सामाग्री का उपयोग किया जायेगा, जहांँ सूरज की गर्मी का प्रभाव नगण्य है। रात की रोशनी के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये ऊर्जा की बचत सीएफएल और एलईडी का उपयोग किया जायेगा। इसके अलावा, सौर-आधारित वॉटर हीटिंग सिस्टम, तेल-आधारित ट्रांसफार्म्स और कैपेसिटर बैंक का उपयोग एयर-कंडीशनिंग को कम करने के लिये किया जायेगा। इसके अलावा पानी की प्रचुर आवश्यकता को पूरा करने के लिये विशेष व्यवस्था की जायेगी, जिसमें वर्षा जल संचयन के लिये रेत और घास के फर्श सहित आधुनिक व्यवस्थायें शामिल हैं। पानी के पुन: उपयोग के लिये दूषित पानी की रीसाइक्लिंग सहित की आधुनिक व्यवस्था यहांँ उपलब्ध रहेगा।

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