लव जिहाद अध्यादेश पर लगी राज्यपाल की मुहर

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लव जिहाद अध्यादेश पर लगी राज्यपाल की मुहर

भुवन वर्मा बिलासपुर 28 नवम्बर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

लखनऊ — उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन ने विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी है। इस साथ ही अब यह कानून बन गया है जिसके तहत बलपूर्वक , असम्यक , प्रभाव , प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन करना गैर कानूनी है। इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सजा और जुर्माना दोनो का प्रावधान है। गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के दौरान महिलाओं को सुरक्षा देने के उद्देश्य से प्रदेश में लव जिहाद को लेकर एक कानून लाये जाने का ऐलान किया था। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा 24 नवंबर को ही मंत्रीमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी और बुधवार को अनुमोदन के लिये राजभवन भेजा गया था। इस मंजूरी से महज शादी के लिये अगर लड़की का धर्म बदला गया तो ऐसी शादी अमान्य घोषित कर दी जायेगी और धर्म परिवर्तन कराने वालों को दस साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। इस नये अध्यादेश के मुताबिक उत्तरप्रदेश में बलपूर्वक, झूठ बोलकर, लालच देकर या अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से अथवा विवाह के लिये धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध होगा। यह अपराध संज्ञेय श्रेणी की में होगा , इस गैर जमानती अपराध के मामले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा चलेगा। दोष सिद्ध हुआ तो दोषी को कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पाँच वर्ष की सजा भुगतनी होगी, साथ ही न्यूनतम 15,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा। अगर मामला अवयस्क महिला, अनूसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के सम्बन्ध में हुआ तो दोषी को 03 वर्ष से 10 वर्ष तक कारावास की सजा और न्यूनतम 25,000 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ेगा। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।

दो माह पहले देनी होगी सूचना

अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रोफार्मा पर दो माह पहले इसकी सूचना देनी होगी , इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है।

दोनों सदनों में कराना होगा पास

राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह अध्यादेश के रूप में यूपी में लागू हो गया है। वहीं मंजूरी मिलने के बाद अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।

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