कृषि सुधार बिल काला कानून -भूपेश बघेल

0

कृषि सुधार बिल काला कानून -भूपेश बघेल

भुवन वर्मा बिलासपुर 25 सितंबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नागपुर — छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार के कृषि सुधार बिल को काला कानून बताते हुये कहा कि इससे सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग से किसान अपने ही खेत में मजदूर हो जायेंगे। उपभोक्ताओं को भी सामान महंगा मिलेगा, वहीं राज्यों को भी मंडी शुल्क नहीं मिलने से करोड़ों रुपयों का नुकसान होगा। बिना राज्यों को विश्वास में लिये केंद्र सरकार इस कानून को लेकर आयी है। आखिर इस कानून के लिये किससे सलाह ली गयी ? उन्होंने कहा, पहले नोटबंदी लागू किया , जिससे बैंक बंद हो गये। जीएसटी लागू किया, बहुत से उद्योग बंद हो गये। अब इस कानून से कितना नुकसान होगा ? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। बघेल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि इस बिल पर हस्ताक्षर ना कर संसद को वापस भेज दें।उक्त बातें कृषि संशोधन बिल के विरोध में कांग्रेस का पक्ष रखने के लिये नागपुर पहुँचे छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकार वार्ता में कहा। उन्होंने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुये कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग किसानों के लिये पूरी तरह नुकसानदायक है , इससे मंडी की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जायेगी और भुगतान में विलंब होगा। केन्द्र सरकार ने व्यापारियों की फायदा पहुंँचाने की नियत से इसे लाया है। जिस कानून से आम लोगों का जीवन प्रभावित होगा उस पर चर्चा ही नहीं की गयी। बिल लाने से पहले किसानों व किसान संगठनों से बात करनी थी , लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून के संबंध में एआईसीसी के निर्देश पर कृषि विधेयक के विरोध में अपना पक्ष रखने का जिम्मा मिला है। मंडी बिल संशोधन के संबंध में बात रखते हुये उन्होंने कहा कि अब मंडियों में अनाज खरीदने के लिये लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी, पैन कार्ड के आधार पर खरीदी की जा सकती है। इससे यह नुकसान होगा की मंडी की व्यवस्था ध्वस्त हो जायेंगी और व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ इनका असली चेहरा सामने आयेगा। मंडी में खरीदी के दौरान विवाद होने पर अथॉरिटी के समक्ष बातें होती थी। हर राज्य के लिये अलग-अलग मंडी अधिनियम बनायी गयी है, लेकिन यदि मंडी के बाहर खरीदारी होगी तो विवाद की स्थिति में उसे सुलझाने में एक लंबा समय लगेगा। अब तक मंडी शुल्क राज्यों को मिलता था, जिससे निर्माण कार्य होते थे, लेकिन अब सभी राज्यों को सैकड़ों करोड़ों का नुकसान होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने पर समर्थन मूल्य से नीचे नहीं खरीदने का नियम डालना था, यदि कांटेक्ट फॉर्मिंग हुई तो किसान अपने खेत पर ही मजदूर हो जायेगा। अब कितने भी मात्रा में अनाज रखने की छूट मिल गयी है। पहले जमाखोरों के खिलाफ छापामार कार्रवाही की जाती थी लेकिन अब मुनाफे खोर भारत में अनाजों के मूल्यों का नियंत्रण करते हुये अनाज का कृत्रिम अभाव पैदा करेंगे, जिसके चलते दाम बढ़ेगा और इसका दुष्प्रभाव आम उपभोक्ताओं को भुगतना होगा। यह काले कानून की सच्चाई है जो किसानों के साथ साथ आम उपभोक्ताओं के लिये भी बेहद खतरनाक है। इस बिल से किसानों को नुकसान होगा , देश भर में इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है और आगे भी किया जायेगा। कृषि विधेयक संघीय ढाँचे पर प्रहार है , इसलिये सरकार तीनों कानून को वापस ले।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *