मै अमर शहीदों का चारण हूं ,उनके गुण गाया करता हूं …हिंदी साहित्य भारती के वेबीनार मे सबने एकमत से स्वीकारी ..राष्ट्रप्रेम का बिगुल फूंकना होगा
मै अमर शहीदों का चारण हूं ,उनके गुण गाया करता हूं …हिंदी साहित्य भारती के वेबीनार मे सबने एकमत से स्वीकारी ..राष्ट्रप्रेम का बिगुल फूंकना होगा ..
भुवन वर्मा बिलासपुर 3 सितंबर 2020
बिलासपुर । भारतीय क्रान्तिकारियों पर अपने साहित्य से कीर्तिमान स्थापित करने वाले महान कलमकार श्री कृष्ण सरल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर हिन्दी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ द्वारा ‘हिन्दी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना और श्री कृष्ण सरल का अवदान ‘ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्यअतिथि रहे अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष हि .सा .भा डॉ रवींद्र शुक्ल जी थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता सुविख्यात व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजशास्त्री और साहित्यकार डॉ पवन विजय जी की उपस्तिथि रही। कार्यक्रम का प्रारंभ में सोहन साहू द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया गया और डॉ .सुनीता मिश्रा द्वारा मातृ वंदना और अंशु रेखा द्वारा कल्याण मंत्र प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने कहाँ कि भारतीय राष्ट्रीयता कोरी राजनीति कभी नहीं रही। उसमें अध्यात्म, दर्शन और साहित्य के माध्यम से भी अपना नव-जागरण अभियान चलाया और देश को एक सूत्र में पिरोने के अपनी सक्रिय भूमिका दी। प्रमुख वक्ता डॉ रमा सिंह ने कहा कि जब राष्ट्र आमोद प्रमोद में मग्न हों तब राष्ट्रकवि का धर्म होता है राष्ट्र को झकझोर कर जगाना। और यह कार्य श्री कृष्ण सरल ने राष्ट्र के अमर शहीदों पर साहित्य रचकर किया है। विशिष्ट अतिथि डाॅ पवन विजय नेअपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र के अतीत का गौरव गान मात्र ही काफी नहीं है। वर्तमान की विसंगतियां प्रहार कर राष्ट्रवादी साहित्य बनता है। अध्यक्षीय उदबोधन देते वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि भारत एक ऐसा कृतज्ञ राष्ट्र है जहाँ अपने पूर्वजों को नहीं भुलाया जाता उन्होंने श्री कृष्ण सरल के साहित्यिक अवदानों चर्चा करते हुए कहा कि श्री कृष्ण सरल ने तन, मन ,धन से देश के सपूतों पर साहित्य लिखा। सरदार भगत सिंह पर रचित महाकाव्य रचना के पश्चात मुद्रण पर आई कठिनाई का भी जिक्र किया। कार्यक्रम का सफल संचालन महामंत्री डॉ सुनीता मिश्रा , स्वागत भाषण डाॅ पीसी लाल यादव यथा आभार प्रदर्शन सीताराम साहू श्याम द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम से देश भर के लगभग 125 साहित्यकार जुड़े। कार्यक्रम के संपादन में बुद्धिनाथ मिश्र,
माणिक विश्कर्मा , विजय तिवारी , शैलेंद्र गुप्ता , मयंकमणि दुबे , स्नेहलता ,अनिता मिश्रा , प्रो.राजेश चतुर्वेदी ,शिवम मिश्रा , आकाश गुप्ता , अंशु रेखा का विशेष योगदान रहा।