कृष्ण जन्माष्टमी पर अरपा नदी में दो बैराज का उपहार देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी और शहर विधायक शैलेश पांडे जी.. आप दोनों को गदगद मन से साधुवाद दे रही बिलासपुर की जनता
भुवन वर्मा बिलासपुर 13 अगस्त 2020
शहरवासियों का कई दशक पुराना सपना पूरा करने के लिए आप को ह्रदय से धन्यवाद !
(शशि कोन्हेर द्वारा)
बिलासपुर। इस बार की कृष्ण जन्माष्टमी को दो बातों के लिए बिलासपुर के लोग हमेशा याद रखेंगे। इसमें से पहली बात तो दुखद और पीड़ादायक है…वह यह कि लॉकडाउन के कारण शहर में इस बार पहली मर्तबे जन्माष्टमी पर न तो कहीं.. दही हंडी लूट और मटकी फोड़ के धमाकेदार आयोजन हुए.. और ना ही गोविंदा आला रे.. का कोई शोर ही सुनाई दिया.. वहीं दूसरी बात..सबका दिल खुश कर देने वाली है। वो यह है कि, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं शहर विधायक श्री शैलेश पांडे की विशेष अनुकंपा और प्रयासों से मिले, दो अरपा बैराज की सौगात ने इस जन्माष्टमी पर्व को बिलासपुर वासियों के लिए यादगार और खास बना दिया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा दी गई इस सौगात ने अरपा नदी में बारहों माह पानी देखने के..बिलासा दाई के मर चुके सपनों को मानों पंख से लगा दिए हैं।
बीते 15 सालों से अरपा परियोजना को लेकर दिखाए गए “टेम्स नदी” के लाली पाप से शहर की जनता आजीज आ चुकी थी। जमीन के नीचे “अपनी मौत की घोषणा” का इंतजार करती भूमिगत नाली योजना समेत न जाने कितने ही सपनों की खुदकुशी इस शहर के लोग देख चुके हैं। पूरे प्रदेश को न्याय दिलाने वाली छत्तीसगढ़ की न्यायधानी… विकास के मामले में अपने साथ हो रहे अन्याय को खून के आंसू बहा कर देखने को मजबूर थी। एक के बाद एक टूटती उम्मीदों और उपेक्षा का दंश बिलासा नगरी और यहां की जनता पता नहीं कब से झेलती चली आ रही है। हालत यह है कि इस शहर के लोगों के मन में शासन की भारी भरकम और हिमालयी योजनाओं का आतंक सा छाने लगा था। 80 के दशक में पूरे शहर को खोद कर उसी में दफन हो चुकी भूमिगत नाली योजना और उसके कई दशक बाद, बीते सालों में एक बार फिर इसी योजना के नाम से दोबारा शुरू हुई पूरे शहर की निर्मम खुदाई ने शहर को गड्ढापुर और खोदापुर बना दिया। अरपा परियोजना के नाम से शहर में कई मोहल्लों की रजिस्ट्री या रोक दी गईं.. इस फरमान ने बिलासपुर में छोटा सा आशियाना बनाने के लोगों के सपनों को दूरदराज की कालोनियों में फेंक दिया। लेकिन न अरपा परियोजना का जन्मोत्सव हुआ और न उसके पानी में डुबकियां लगाने के ख्वाब ही पूरे हुए। जन्म से पहले ही इस परियोजना का गर्भपात हो गया।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही एक बार फिर शहर की सूख चुकी उम्मीदों को खाद पानी मिलता दिखाई देने लगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिस तरह बिलासपुर के लिए विशेष स्नेह देने की बात की और शहर विधायक श्री शैलेश पांडे ने मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जो समर्पण और सक्रियता दिखाई उससे बिलासपुरवासियों के मर चुके अरमानों को उम्मीदों के पंख लगने लग गए..! और ऐन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर अरपा नदी में दो बैराज बनाने के लिए भरपूर राशि स्वीकृत कर, मुख्यमंत्री ने यह बता दिया है कि वे अरपा मैया में पानी लाने के लिए भगीरथ की भूमिका निभाने से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे। वैसे भी कृष्ण जन्माष्टमी या छत्तीसगढ़ी में कहें तो.. “आठे कन्हैया” परब भादो के महीने में आता है। …भादो माह के बारे में कहा जाता है कि…
भादो के बरसे त माता के परसे
और इसी भादो माह में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री के द्वारा बिलासपुर में दो अरपा बैराज के लिए राशि स्वीकृत कर यह बता दिया है कि अब हमारी अरपा मैया और उसके किनारे बसे हम सब बिलासपुरवासी आने वाले दिनों में बारहों माह.. जब मन पड़े तब…अरपा में डुबकियां लगा-लगा कर नहा सकते हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने “छत्तीसगढ़ महतारी” का वर्णन और पूजन-अर्चन करने वाले जिस गीत को छत्तीसगढ़ का राजकीय गीत घोषित किया है.. उसके शुरुआत की पहली लाइन ही..अरपा पैरी के धार.. से शुरू होती है। और अब दो बैराज के जरिये अरपा नदी में बारहों मास भरपूर पानी की गारंटी का बीड़ा उठाकर बिलासपुर के लिए भगीरथ साबित होने वाले मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और बिलासपुर के विधायक श्री शैलेश पांडे… बिलासपुर की जनता को गदगद करने के साथ ही..छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत की पहली पंक्ति… अरपा पैरी के धार… को भी सार्थक करने जा रहे हैं.. इसके लिए पुनश्च, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं शहर विधायक श्री शैलेश पांडे को गदगद ह्रदय से साधुवाद..!