कौन खरीदेगा नारियल…! एक-एक कर हाथ से निकल रहे पर्व और त्योहार : प्रदेश के 4 बड़े शहरों में लगभग 25 लाख नारियल का स्टॉक जाम

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भुवन वर्मा बिलासपुर 31 जुलाई 2020


रायपुर- यह 25 लाख नारियल अब छत्तीसगढ़ के नारियल कारोबारियों के लिए परेशानी और चिंता का कारण बन चुके हैं। मार्च के महीने में यह सोचकर स्टॉक रखा था कि हरेली त्यौहार से प्रदेश में त्योहारों और पर्व की मांग को पूरा किया जा सकेगा लेकिन इस पर कोरोना ने जबरदस्त चपत लगाई है। चिंता की एक वजह यह है कि भंडार गृहों में बोरों में बंद नारियलों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

कोरोना से हर वर्ग, हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में प्रभावित हो चुका है लेकिन सबसे ज्यादा तबाह हुआ है तो वह है कारोबार, उद्योग और धंधे जहां कामकाज शून्य हो चुका है। उपभोक्ता सामग्रियों की बिक्री करने वाली संस्थानों में पहले से ही ताले लगे हुए हैं तो मंदिरें वैसे भी भीड़ नहीं होने की आशंका से बंद हो चुके हैं। ऐसे में जब मंदिर ही बंद है तो उपभोक्ता सामग्रियों में सबसे कम पूछ परख हो रही है तो वह है नारियल, जिसकी बड़ी मात्रा त्योहारों के चालू हो चुके सीजन में रहती आई है लेकिन अब सभी आशाएं और संभावनाएं धूमिल हो चुकी है क्योंकि हरेली के बाद अब रक्षाबंधन और गणेश पूजन पर भी कोरोना का ग्रहण लग चुका है। सीमित अवधि में रक्षाबंधन मैं दुकानें खोलने के लिए अनुमति तो दी गई है लेकिन नारियल की बिक्री जोर नहीं पकड़ पाई।



सबसे बड़ा त्यौहार निकला हाथ से

प्रदेश में नारियल कारोबारियों के लिए हरेली सबसे अच्छा त्यौहार माना जाता है लेकिन लॉकडाउन ने जोरदार बिक्री की आशा पर जो झटका लगाया उसके बाद यह बाजार अभी संभलने को ही था कि रक्षाबंधन पर दूसरा झटका लगा। कहीं 3 घंटे के लिए तो कहीं 4 घंटे की सीमित छूट के बीच कारोबार को गति नहीं मिली ना नारियल की बिक्री जोर पकड़ पाई। अब इन दोनों पर्व के निकलने के बाद यह कारोबार हताश हो चुका है।

गणेश पूजन पर भी ग्रहण

कोरोना का काल में बढ़ते संक्रमण के मामले, पॉजिटिव मरीजों की बेलगाम गति से बढ़ती संख्या के बाद प्रदेश सरकार ने गणेश पूजन के लिए 26 शर्तों की जो सूची जारी की है उसके बाद नारियल बाजार के हाथ पैर फूल चुके हैं क्योंकि प्रसाद का चढ़ाया जाना और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस आयोजन में नारियल का चढ़ाया जाना ही सबसे ज्यादा होता रहा है। ऐसे में दूसरा बाजार भी नारियल कारोबार के हाथ से निकल चुका है। उम्मीद की किरण दुर्गोत्सव और स्थानीय त्योहारों पर है लेकिन अपनी उम्मीद पर ज्यादा भरोसा नहीं है।

यहां से भी हताशा

गणेश पूजन के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी से भी अब नारियल कारोबार को हताशा हो चुकी है। प्रदेश के हर जिले में सावन और भादो के महीनों में कुछ ना कुछ स्थानीय पर्व आते हैं इनसे भी उम्मीदों का टूटना चालू हो चुका है क्योंकि ऐसे स्थानीय पर्व का आयोजन करने वाले भी अपने यहां प्रसाद चढ़ाने और वितरण पर रोक लगाने के फैसले लेने लगे हैं। शहर या जिला स्तर पर देखें तो बलौदा बाजार जिले के भाटापारा में 1 सप्ताह के श्री अखंड राम नाम सप्ताह के आयोजन को सबसे बड़ा माना जाता है यहां पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

25 लाख नग नारियल का भारी स्टॉक

बाजार सूत्रों की माने तो फरवरी माह से नारियल के लिए आर्डर दिए जाने लगते हैं क्योंकि मार्च में सप्लाई के बाद पर्व और त्यौहार का सिलसिला चालू हो जाता है। अच्छे कारोबार की उम्मीद में प्रदेश के 4 बड़े शहरों रायपुर, बिलासपुर ,कोरबा और रायगढ़ में लगभग 50 हजार बोरा नारियल का स्टॉक ग्राहकी की उम्मीद में है। इन बोरियों में 25 लाख नारियल भरे हुए हैं। भंडार गृहों में रखने के बाद इनकी गुणवत्ता पर निश्चित ही असर पड़ेगा इससे बाजार इंकार नहीं कर रहा है लेकिन नारियल से बनने वाला खोपरा निश्चित ही खराब होने की स्थिति में पहुंच चुका है क्योंकि इसकी कालातीत अवधि मात्र 4 माह की ही है।

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