फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने जिले में होगी ऑयल पाम की खेती

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बिलासपुर, 04 जुलाई 2025/जिले में किसान अब ऑयल पाम की खेती करेगें। उद्यानिकी विभाग किसानों को नए फसलों के लिए प्रोत्साहित करते हुए पाम की खेती की शुरुआत करने जा रही है। पहले चरण में 300 हेक्टेयर में ऑयल पाम की खेती की योजना बनाई गई है। उसके लिए विभाग किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। धान की तुलना में 3 से 5 गुना तक ज्यादा कमाई और सब्सिडी जैसी सुविधाएं मिलने से किसान तैयार भी होने लगे है। यानी जल्द ही जिले में ऑयल पाम की खेती होती नजर आएगी। जिले में तखतपुर ब्लॉक के ग्राम घोघाड़ीह में मेगा ऑयल पाम प्लानटेंशन ड्राइव के तहत 01 हेक्टे. (143 पौधे) रकबे के खेत में पौधरोपण किया जा चुका है।

योजना के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर किसानों को भरपूर अनुदान, तकनीकी मार्गदर्शन और विपणन की गारंटी दे रही है। इससे किसानों की आय में स्थायी रुप से बढ़ावा मिलेगा और देश में खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता भी सशक्त बनेगी। भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आयल पॉम पौध रोपण अहम कदम है। भारत में वर्तमान में 60 से 70 प्रतिशत खाद्य तेल का आयात किया जाता है. जिसमें अकेले पाम ऑयल की हिस्सेदारी लगभग 55-60 प्रतिशत है। इस चुनौती को देखते हुए ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा देना रणनीतिक एवं आर्थिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत आवश्यक हो गया है।

ऑयल पाम एक ऐसी फसल है. जिसमें न्यूनतम मजदूर की आवश्यकता होती है। ऑयल पाम पौधे में बीमारी होने की संभावना कम होती है। इसकी विशेषता यह है कि एक बार पौधरोपण करने के बाद चौथे वर्ष से उत्पादन शुरु होकर लगातार 25-30 वर्षों तक उत्पादन लिया जा सकता है। प्रति हेक्टेयर 143 पौधे त्रिकोणीय विधि से लगाए जाते है, जिससे चौथे वर्ष में 4-6 टन और सातवें वर्ष के बाद 20-25 टन उत्पादन होने लगता है। यह फसल प्रति हेक्टेयर पारंपारिक फसलों की तुलना में 4 से 6 गुना अधिक तेल उत्पादन देती है। किसान प्रति हेक्टेयर 3 से 4 लाख तक की सालाना आय प्राप्त कर सकते है। यह धान के बदले अन्य फसलों के विकल्प के रुप में एक अच्छा फसल है। यह फसल ड्रीप के माध्यम से न्यूनतम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन का माध्यम है। पाम ऑयल की खेती न केवल फायदेमंद है, बल्कि देश की खाद्य तेलों पर आयात की निर्भरता को भी कम करेगी।
उपसंचालक उद्यान डॉ कमलेश दीवान ने बताया कि किसानों के लिए इसमें आय बढ़ाने का एक और मौका रहता है। पौधे लगाने के बाद पेड़ बनने तक यानी तीन साल किसान पौधों के बीच में ग्राफ्टेड बैंगन, टमाटर, अदरक, हल्दी जैसी फसल लगा सकते है।

ऑयल पाम क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रचलित अनुदान प्रावधान न्यूनतम राशि 1.30 लाख के अलावा राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त अनुदान (टॉप-अप) के साथ अधिकतम 2.30 लाख प्रति हेक्टेयर का प्रावधान है। इसमें प्रति हेक्टेयर उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को रोपण सामग्री, मेंटनेंस, बोरवेल, पंपसेट, फेरािग, ड्रिप के लिए सब्सिडी दी जावेगी। जिले में प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमि. कंपनी का विभाग के साथ एमओयू हुआ है। इसमें कंपनी मौके से ही किसानों की फसल खरीदेगी। किसानों को कहीं भी जाने की जरुरत नहीं होगी।

किसान योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए वरिष्ठ उद्यानिकी विभाग अधिकारी बिल्हा श्री अशोक कुमार परस्ते मो0न0 9617483390, उद्यानिकी विकास अधिकारी तखतपुर श्री जैनेन्द्र कुमार पैकरा मो0न0 6265981957, वरिष्ठ उद्यानिकी विभाग अधिकारी कोटा श्री साधूराम नाग मो0न0 9165490297, प्रभारी उद्यान अधीक्षक मस्तूरी श्रीमती निशा चंदेल मो0न0 7000441324, प्रबंधक प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमिटेड श्री संजीव गाईन मो0न0 9630053999 एवं प्रतिनिधि कंपनी क्षेत्रीय प्रतिनिधि प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमिटेड श्री शिव भास्कर मो0न0 9131004397 से संपर्क कर सकते है।

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4 thoughts on “फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने जिले में होगी ऑयल पाम की खेती

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