ग्राम्य संस्कृति के पुनः स्थापन से ही भारत आत्मनिर्भर हो सकेगा – अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती

0
IMG-20200516-WA0015

भुवन वर्मा, बिलासपुर 16 मई 2020

वाराणसी –शहरी संस्कृति हमें निर्भर होना सिखाती है जबकि ग्राम्य संस्कृति हमें आत्मनिर्भर बनाती है। यदि भारत को पुनः आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें ग्राम्य संस्कृति की की ओर लौटना ही होगा ।
उक्त उद्गार स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने आज आदि शंकराचार्य विरचित श्रीगणेश पञ्चरत्न स्तोत्र की व्याख्या के क्रम में व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि जब से शहर बने हैं तभी से हम दूसरों पर निर्भर हो गये हैं। सफाई के लिये सफाई वाले का, सब्जी के लिये सब्जी वाले का और दूध के लिये दूध वाले पर निर्भर हो गये हैं जबकि गाॅव में प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में गौमाता को रखता है जिससे उसे दूध मिल जाता है। सब्जी उगा लेता है तो उसे सब्जी की कमी नहीं होती। हर सुबह अपने घर और घर के बाहर की सफाई कर लेता है और कूडे का तत्काल निस्तारण भी गड्ढा खोदकर कर देता है। शहर में लोग अपना घर तो साफ करते हैं पर कूड़ा बाहर फेंक देते हैं और यदि सफाई वाला ना आये किसी कारण से तो गली और सड़क में गन्दगी पडी रहती है।

उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात की प्रशंसा करते हुये कहा कि भारत को आज सही अर्थों में आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए शहरी संस्कृति को समाप्त कर हजारों वर्षों से पुराने लोगों ने जो ग्राम्य व्यवस्था बनाई थी उसे पुनः स्थापित करना होगा। तभी भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा। है कि काशी के केंद्र क्षेत्र के शंकराचार्य घाट पर स्थित श्रीविद्यामठ में प्रतिदिन प्रांत सूर्योदय से एक घण्टे पर्यन्त पूज्य स्वामिश्रीः महाराज का प्रवचन चल रहा है जिसका स्वामिश्रीः के फेसबुक पेज पर सजीव प्रसारण किया जाता है। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान् श्रीगणेश, सूर्य और बदरिनाथ जी के सुप्रभात स्तोत्र से होता है। इसके अतिरिक्त नित्य सायंकाल 05:00 से 07:00 बजे तक भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी देवी का विशेष पूजन पूज्य स्वामिश्रीः के द्वारा सम्पन्न होता है। इसी समय विश्व कल्याण एवं कोरोना महामारी को भगाने के लिए कोटि चण्डी यज्ञ के अन्तर्गत पण्डितजन दुर्गा सप्तशती का विधि-विधान से पाठ करते हैं। 

अरविन्द तिवारी की रपट

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *