स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जतायी श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोगो पर आपत्ति

भुवन वर्मा, बिलासपुर 09 अप्रैल 2020
अयोध्या — श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपना लोगो जारी कर दिया है। इस लोगो को देखकर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कृपापात्र शिष्य एवं रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने उस पर कुछ आपत्तियाँ जताते हुये श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि हनुमान जयंती के पावन अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के लोगों को सार्वजनिक किया गया जिसे मीडिया के माध्यम से हमें भी देखने का अवसर मिला , इस लोगों में हमें कुछ आपत्तियांँ हैं। सर्वप्रथम लोगों में जो ध्येयवाक्य वाक्य लिखा है ” रामो विग्रहवान धर्म:” इसमें बहुत बड़ी त्रुटि है जिसे एक क्षण भी नहीं चलाया जा सकता। राम को अधर्म कहना निश्चित रूप से ना तो आप को अभीष्ट होगा और ना ही हमें। इसलिये तुरंत न के अंदर से अ को हटाकर न को हलन्त “न्” लिखते हुये उसे “रामो विग्रहवान् धर्म:” ऐसा लिखा जाना चाहिये।

दूसरी आपत्ति लोगों में हनुमान को भी स्थान दिया गया है। हनुमान जी श्रीराम जी के अनन्य भक्त हैं उनका बड़ा महत्व है। लेकिन जन्मभूमि में जहांँ श्रीराम का जन्म प्रसंग है वहांँ पर हनुमान जी का चित्र लोगों में रखने का कोई औचित्य नहीं आता। यदि रखना भी है तो एक हनुमान रखना चाहिये जबकि लोगों में हनुमान जी के दो दो चित्र दिखाई पड़ रहे हैं। तीसरी आपत्ति यह है कि लोगों के बीच में श्रीराम जी का धनुषबाण धारी चित्र मुकुटमंडित करके लगाया गया है। प्रश्न यह है कि जन्मभूमि में धनुषबाण धारण करने वाले वीर राम का क्या औचित्य है? और फिर राम जन्मभूमि का मुकदमा भी वीर राम ने नहीं बल्कि बाल राम ने “रामलला” ने लड़ा है। रामलला ने जिस मुकदमे को लड़कर विजय प्राप्त की , जब उनका ट्रस्ट बन रहा है तो उसमें युवा राम या वीर राम को दिखाया जा रहा है जो कि कहीं से भी उचित नहीं है। इस लोगों में बाल राम “रामलला” का चित्र होना चाहिये। चूकि बालक अकेले नहीं दिखाया जाता अपनी माता के साथ उसको प्रदर्शित किया जाता है इसलिये माता कौशल्या की गोद में रामलला को दिखाया जाना चाहिये। चौथी आपत्ति जो आभामंडल बनाया गया है उसमें कहा गया है कि वह सूर्यवंश का प्रतीक है सूर्य को दिखाया गया है। लेकिन जिस तरह से प्रदर्शित किया गया है सूर्य की किरणें उसमें कम दिखाई पड़ रही है और आग की लपटें ज्यादा दिखाई दे रही है। ऐसा लग रहा है कि जैसे श्रीराम जी आग की लपटों के बीच घिरे हुये हैं। रामालय ट्रस्ट के सचिव ने आगे लिखा है आशा है कि हमारी इन आपत्तियों को अन्यथा ना लेते हुये इस पर सहृदयता पूर्वक गहन विचार करेंगे और तदनुसार लोगों में संशोधन कर पुनः उसे संशोधित रूप में जारी करेंगे।
अरविन्द तिवारी की रपट
About The Author
