श्रीमद्भगवद्गीता-परमात्मा का परम प्रसाद जिससे दुख हो जाते हैं दूर “इस्कॉन प्रीचिंग सेंटर बिलासपुर ने गीता जयंती के अवसर पे निकाली कीर्तन यात्रा”
श्रीमद्भगवद्गीता-परमात्मा का परम प्रसाद जिससे दुख हो जाते हैं दूर “इस्कॉन प्रीचिंग सेंटर बिलासपुर ने गीता जयंती के अवसर पे निकाली कीर्तन यात्रा”
भुवन वर्मा बिलासपुर 23 दिसंबर 2023
श्रीमद्भगवद्गीता – इस एक ही ग्रन्थ में धर्म, कर्म, योग, जीवन, जगत और इनके गहन रहस्यों का अद्भुत समावेश है। यह एकमात्र स्रोत है, जिसमें ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग का अद्भुत समन्वय पाया जाता है। गीता का सबसे बड़ा सन्देश है कि चाहे कुछ भी हो जाए; हमारा विश्वास उस परमात्मसत्ता से डिगना नहीं चाहिए। दुख में या चुनौतियों के बीच परमात्मा की कृपा का जितना आधार हो, सुख में उसकी कृपा के प्रति उससे भी अधिक आभार रहना चाहिए। परमात्मा की सर्वव्यापकता और सर्वशक्तिमत्ता को भुलाकर हम कर्मफल की व्यवस्था को अपने वश में कर लेना चाहते हैं। ऐसा अहंकार सामान्य जनों ही नहीं, महापुरुषों तक को ले डूबता है। भगवद्गीता की लगभग पचास प्रतिशत ऊर्जा अकेले इसी भ्रम को निर्मूल करने में लगी है। भगवान कृष्ण ज्ञान, कर्म और भक्तियोग के समन्वय से जो तथ्य साफ कर देना चाहते हैं उनमें प्रमुख हैं; निजरूप का परिचय, कर्तव्य का बोध, आत्मा की नित्यता, शरीर की परिवर्तनशीलता, कर्म के प्रति दृढता, कर्मफल की परवशता और परमात्मसत्ता के प्रति अनन्य आस्था।
श्रीमद्भगवद्गीता जिसे सम्मान से गीतोपनिषद् भी कहा जाता है, भारतीय धर्म, दर्शन और अध्यात्म का सार है। जो वेदज्ञान नहीं पा सकते, दर्शन और उपनिषद् का स्वाध्याय नहीं कर सकते; भगवद्गीता उनके लिए अतुल्य सम्बल है। जीवन के उस मोड़ पर जब व्यक्ति स्वयं को द्वन्द्वों तथा चुनौतियों से घिरा हुआ पाता है और कर्तव्य-अकर्तव्य के असमंजस में फंस जाता है; भगवद्गीता उसका हाथ थामती है और मार्गदर्शन करती है।
गीता को लेकर आइंस्टाइन को इस बात का था अफसोस
कलेवर के मामले में गीता महज 700 श्लोकों में सीमित है, लेकिन अपने कथ्य और प्रभाव में यह किसी महाकाव्य से कम नहीं है। इस प्रभाव का वर्णन अल्बर्ट आइंस्टाइन से बेहतर कौन कर सकता है, जिन्हें अफसोस था कि वे अपने यौवन में इस ग्रन्थ के बारे में नहीं जान सके; नहीं तो उनके जीवन की दिशा कुछ और होती। उनका वक्तव्य है कि ‘जब मैं भगवद्गीता पढ़ता हूं तो इसके अलावा सबकुछ मुझे काफी उथला लगता है।’
हिंदू धर्म में सबसे पवित्र धर्मग्रंथ गीता कि जयंती है आज। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी, महाभारत के भीष्म पर्व में श्रीमद्भागवद्गगीता आती है, हिंदू धर्म मे चार वेद हैं और इन चारों वेद का सार गीता में है। यही कारण है कि गीता को हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ माना गया है। माना जाता है कि गीता को स्पर्श करने के बाद इंसान झूठ नहीं बोलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में खड़े होकर गीता का ज्ञान दिया था और श्रीकृष्ण और अजुर्न संवाद के नाम से ही इसे जाना जाता है। भले ही गीता का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था, लेकिन अर्जुन के माध्यम से ही उन्होंने संपूर्ण जगत को यह ज्ञान दिया था। श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस थे और उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सर्वप्रथम गीता का उपदेश दिया था और इसी उपदेश को भगवान ने अर्जुन को दिया था। गीता द्वापर युग में महाभारत के युद्ध के समय रणभूमि में किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन को समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कही गई थी, लेकिन इस वचनामृत की प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है।
श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें करीब 700 श्लोक हैं। गीता को अर्जुन के अलावा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से संजय ने सुना था और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया था। गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी। कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले इस ज्ञान को दिया गया था और संभवत: उस दिन रविवार था। कहते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान लगभग 45 मिनट तक दिया था। इसलिए ही इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है। प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।
गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म से जुड़ी कई ऐसे बातें बताई गईं है जो मनुष्य के लिए हर युग में महत्वपूर्ण हैं। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है। गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकास क्रम, हिन्दू संदेशवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म-कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, उपासना, प्रार्थना, यम-नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, प्रारब्ध, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है। गीता का मुख्य ज्ञान श्रेष्ठ मानव बनना, ईश्वर को समझना और मोक्ष की प्राप्ति है।
श्रीमद्भगवद्गीता के लाभ को बताने , गीता का प्रचार करने , इस्कॉन बिलासपुर ने देवकीनंदन चौक , सदर बाज़ार, गोल बाज़ार , तेलीपारा होते हुए पुराने बस स्टैंड तक महामंत्र “हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे ,हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे” का कीर्तन करते हुए स्कीर्तन यात्रा निकली गई.