अल्पसंख्यकों की पहचान का अधिकार केंद्र के पास : याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे के होंगे देशब्यापी व्यापक परिणाम – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलील को किया स्वीकार , लगभग दस राज्यों में हिंदु हैं अल्पसंख्यक

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अल्पसंख्यकों की पहचान का अधिकार केंद्र के पास : याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे के होंगे देशब्यापी व्यापक परिणाम – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलील को किया स्वीकार , लगभग दस राज्यों में हिंदु हैं अल्पसंख्यक

भुवन वर्मा बिलासपुर 11 मई 2022

दिल्ली । केंद्र सरकार ने 28 मार्च को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कानून में मुताबिक राज्य सरकारें भी अपने राज्य में धार्मिक और भाषाई समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती है या विषय समवर्ती सूची में आता है ।

इसलिए इस पर केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का हक है, लेकिन केंद्र सरकार ने 9 मई को इस मामले में एक ताजा हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा कि यह हलफनामा पुराने हलफनामे के ऊपर होगा । इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की पहचान का अधिकार केंद्र के पास है यह भी कहा कि याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे के देशब्यापी व्यापक परिणाम होंगे । इसलिए इस मामले में कोई भी निर्णय राज्यों और अन्य हित धारकों के साथ व्यापक जांच के बाद लिया जाएगा ।

कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा. सकता है. इस संदर्भ में केंद्र की मोदी सरकार ने बातचीत शुरू करने की योजना बनाई है. केंद्र सरकार राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ एक व्यापक परामर्श शुरू करेगी ताकि एक याचिका की जांच की जा सके कि क्या हिंदुओं को उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है जहां उनकी संख्या अन्य समुदायों की तुलना में कम है. शीर्ष अदालत मामले पर 10 मई को सुनवाई करेगी और उसने केंद्र सरकार को अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर अपना रुख रिकॉर्ड पर रखने को कहा है. केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया ।

कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई भी निर्णय राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा. अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 सी के तहत छह समुदायों को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में

अधिसूचित किया है. भविष्य में देश में के लिए अनपेक्षित जटिलताओं को दूर करने के लिए सरकार ने कहा कि वह 27 मार्च को दायर अपने पिछले हलफनामे के स्थान पर एक नया हलफनामा प्रस्तुत कर रही है. तब केंद्र ने रिट याचिकाओं के एक समूह को खारिज करने की मांग की थी और 1992 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) अधिनियम और • 2004 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (एनसीएमईआई) अधिनियम का बचाव किया था.

राज्यों और केंद्र शासित पर डाली जिम्मेदारी ,,,,
उस समय, केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) पर यह फैसला करने की जिम्मेदारी डाली कि जहां उनकी संख्या कम है वहां हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए या नहीं. इसने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों के पास अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर कानून बनाने की विधायी क्षमता है.

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