राजधानी रायपुर के आउटडोर स्टेडियम में 18 अप्रैल को बुढ़ादेव रथ यात्रा महाकुंभ : छत्तीसगढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा बुढ़ादेव रथ यात्रा का आयोजन

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राजधानी रायपुर के आउटडोर स्टेडियम में 18 अप्रैल को बुढ़ादेव रथ यात्रा महाकुंभ : छत्तीसगढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा बुढ़ादेव रथ यात्रा का आयोजन

भुवन वर्मा बिलासपुर 17 अप्रैल 2022

रायपुर : छत्तीसगढ़ को नया राज्य बने 21 वर्ष हो चुका है, और इतने वर्षो में किसी को शायद ही ज्ञात होगा कि किसी संगठन ( गैर-राजनैतिक) द्वारा राज्य के लगभग सभी 20 हजार गांव की सीमा को मात्र 20 दिनो में ही छु दिया हो। जी हां बात हो रही है छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना संगठन की, जिन्होने इस राज्य के कुल देवता बुढ़ादेव के यात्रा में बीते 20 दिनों से प्रदेश के किसी भी सड़क को अपने रथ से शायद ही खाली छोड़ा हो।

किसी नये नवेले संगठन (स्थापना वर्ष 2015) जो प्रदेश के कोने कोने का 20 दिनो में ही नाप दे तो स्वाभाविक सवाल बन जाता है कि आखिर उस संगठन के पास इतना ताकत कहां से आया ? और इस सवाल का जवाब आपके अनुभव में छिपा है। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ियों को लगा कि अब उनके हक अधिकार भाषा संस्कृति की रक्षा होगी लेकिन इन 15 वर्षों में ही यानी 2015 के आते आते छत्तीसगढ़ियों को लगने कि कही तो गड़बड़ है, कि देखते ही देखते नये नये सड़क, इमारत बनने लगी लेकिन मुल छत्तीसगढ़िया निवासी गायब होने लगी, रायपुर- कोरबा- दुर्ग – बिलासपुर से यहां के प्राण माने छत्तीसगढ़ी भाषा ही गायब। और इसी गड़बड़ी और अंसतोष ने जन्म दिया छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना को।

आप दुनियादारी से वाकिफ रहते है तो पाते है कि किसी भी समाज व्यक्ति का शोषण जैसे जैसे बढ़ता है वह संगठित होता जाता है, और यही एडवांटेज क्रांति सेना को मिला क्योकि इनके उद्देस्य साफ कि अंखड़ छत्तीसगढ़िया समाज का निर्माण अतः लोगो को लगने लगा कि क्रांति सेना ही एकमात्र वह संगठन है जो हमारे हितो का रक्षा कर सकता है और देखते ही देखते इसका संगठन विस्तार पुरे प्रदेश में हो गया। एक अनुमान है कि आज के दिनांक में संगठन के पास 10 लाख सेनानी है, उसमे से 10000 तो बेहद सक्रिय लड़के है, मतलब प्रदेश कोर कमेटी के एक आह्वान पर 6 घंटे के अंदर प्रदेश के किसी भी हिस्से में पहुच जाये।

यह संगठन के अनुशासन ही है अप्रैल के प्रचंड भारी गर्मी में भी बुढ़ादेव यात्रा पर इन सेनानियों ने मानो प्रदेश के 20 हजार गांवों तक पहुचने का किरिया ही खा लिया हो, इनके मेहनत के आगे प्रदेश की सड़के ही कम पड़ गई। क्योकि इन सेनानियों को पता है कि हमारे रोजगार ,भासा ,संस्कृति के लिए न तो पक्ष कुछ कर रही है और न ही विपक्ष मुखर है तो खुद ही अपनी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। बहरहाल पुरे प्रदेश के नजर 18 अप्रेल पर टिक गई है जब बुढ़ादेव यात्रा का निर्णायक समापन आउटडोर स्टेडियम राजधानी में होगा।

इस दिन होने वाला सम्मेलन कितना विशाल होगा इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि पहिली बार लाखों के क्षमता वाले एक खुला स्टेडियम में आयोजन के लिए बुक किया गया है जिसका तैयारी 6 दिन पहले से ही हो रहा है, साथ ही महत्वपुर्ण कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए राजधानी में अलग अलग दिशा से आने वाले लोगो को उनके दिशा अनुसार राजधानी को 5-6 कलस्टर में भी अभी से बांट दिया गया है, ठीक वैसे ही जब कोई बड़ी पार्टी अपने बड़े आयोजन के लिए रुट कलस्टर बनाते है।
18 अप्रेल को लेकर तरह तरह के कयास भी लगाये जा रहे है जैसे-

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना इस दिन क्या घोषणा करेगी ?
क्या छग के सबसे बड़े बुढ़ादेव मंदिर का निर्माण करेगी?
क्या बुढ़ादेव यात्रा, भाषा आंदोलन का पुर्वाअभ्यास है ? आदी आदी खैर मै अपने आकब के अनुसार कह सकता हूं कि 18 अप्रेल छत्तीसगढ़ियों के लिए निर्णायक होने वाला है और क्रांति सेना वही फैसला लेगी जो सर्व छत्तीसगढ़िया समाज के हित में हो, आप सब आये 18 को रायपुर और तौले अपने ( छत्तीसगढ़ियों) के ताकत को।

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