जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर सरकंडा ,कोनी से लेकर लोधी पारा, दयालबंद ,शनिचरी दोमुहानी, सेंदरी ,निरतु ,लमेर में सर्वाधिक अवैध रेत उत्खनन : आखिर कब तक होती रहेगी हमारी अरपा का चीरहरण

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जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर सरकंडा ,कोनी से लेकर लोधी पारा, दयालबंद ,शनिचरी दोमुहानी, सेंदरी ,निरतु ,लमेर में सर्वाधिक अवैध रेत उत्खनन : आखिर कब तक होती रहेगी हमारी अरपा का चीरहरण

भुवन वर्मा बिलासपुर 10 जनवरी 2022

बिलासपुर । अरपा नदी में दिन रात रेत खनन को देखकर मानो ऐसा लगता है की रेत माफिया के सामने जिला प्रशासन नतमस्तक है । प्रतिबंध के बावजूद भी अवैध रेत खनन की अरपा के तलहटी पर जोरों से जारी है । बिलासपुर से अंचल की जीवनदायिनी अर्पण नदी की सीने को रोज छलनी किया जा रहा है । अवैध खनन नदी पर निरंतर जारी है । अंचल के लोगो का मानना है कि अफसरों की मिलीभगत से रेत माफिया शहर से लेकर गांव तक अनवरत रेत खनन कर रहे हैं । जल स्तर के साथ पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है । क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की मौन सहमति से जीवनदायिनी अरपा में अनवरत अवैध रेत खनन जारी है । श्याम मोहन दुबे संस्थापक अरपा अर्पण अभियान सहित पदाधिकारी व भुवन वर्मा सयोंजक हरिहर ऑक्सीजन वृक्षारोपण के सदस्य गण ,अरपा के तट को बचाए रखने विगत अनेक वर्षों से बिलासपुर से सेंदरी अरपा के किनारे उद्यान बनाकर लगभग 5 हजार पौधा का रोपण कर कटाव रोकने और पर्यावरण संतुलन में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं ।

उन्हें भी अब डर लगने लगा है देर सवेर उनके पौधे भी नदी के कटाव बढ़ने पर अरपा में समाहित होकर खत्म न हो जाय ।

पिछले बरसात में लगभग 5 सौ पौधे किनारे के बह गये । पौधारोपण कर नदी और पर्यावरण को संतुलित करने में लगे संगठन के सदस्यों ने गंभीर चिंता करते हुए शासन प्रशासन को अनेकों बार ज्ञापन सौंप चुके हैं । अब अरपा के अवैध खनन को रोकना ही होगा । विदित हो कि शहर से लगे नदी किनारे पर रेत खनन कर परिवहन पर प्रतिबंध है । इसके बावजूद बगैर कोई अड़चन की अवैध खनन कर परिवहन किया जा रहा है ।

भोर सुबह से सेंदरी- कोनी अरपा साइड में सैकड़ों ट्रक- ट्रैक्टर रेत शहर के बाईपास मार्ग से होते हुए माफियाओं के डंपयार्ड में डंप किया जा रहा है । जल स्तर बनाए रखने वाला नदी का स्पंजी सिस्टम समाप्त होते जा रहा है नदी में रेत गायब और मिट्टी के टीले बंजर जमीन नजर आने लगी है सरकंडा ,कोनी से लेकर लोधी पारा, दयालबंद ,शनिचरी दोमुहानी, बूटापारा सेंदरी और निरतु लमेर में सर्वाधिक उत्खनन देखा जा सकता है । माइनिंग अधिकारी दो-चार ट्रेक्टर जप्ती कर अपनी खानापूर्ति कर लेते हैं । इसके चलते तुर्काडीह पुल का पाया। फिर कमजोर होने लगा है । जिससे करोड़ों के खर्चे कर कर पुनः बनाया गया था, एक बार फिर रेत का अवैध खनन तुर्का पुल के दाएं और बाएं जोरों पर जारी है ।

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