शासन और प्रशासन के मध्य परस्पर संवाद आवश्यक : शासन की योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ आमजनों तक पहुंचे – मुख्यमंत्री भूपेश

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शासन और प्रशासन के मध्य परस्पर संवाद आवश्यक : शासन की योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ आमजनों तक पहुंचे – मुख्यमंत्री भूपेश

भुवन वर्मा बिलासपुर 21 अक्टूबर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर – मंत्रालय से लिये गये निर्णय को धरातल पर पहुँचाने का बीड़ा ज़िला प्रशासन की है। इसकी समीक्षा आँकड़ों से नहीं , छत्तीसगढ़ के नागरिकों को इन योजनाओं से पहुँचे प्रत्यक्ष लाभ से किया जायेगा। विरोध प्रदर्शन से मुझे परहेज नहीं है , लेकिन योजनाबद्ध रूप से माहौल बिगाड़ने की साजिश को सफल नहीं होने दिया जाना है। इसके लिये जिले का सूचना तंत्र विकसित करें , हर हाल में सौहार्द्र का वातावरण बना रहना चाहिये। सांप्रदायिक सद्भाव छत्तीसगढ़ी संस्कृति की पहचान है , किसी भी व्यक्ति या संस्था को इसे बिगाड़ने नहीं दिया जायेगा। राजस्व प्रशासन के कार्य सीधे तौर पर किसानों , आम नागरिकों से जुड़े हुये हैं , ज़िला प्रशासन इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दे। शासन और प्रशासन के मध्य परस्पर संवाद आवश्यक है , इसीलिये आज हम सब यहाँ एक परिवार की भाँति उपस्थित हैं।
उक्त बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी स्थित न्यू सर्किट हाउस के आडिटोरियम में कलेक्टर्स कान्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुये कही। उन्होंने ग्रास रूट पर अधिकतम ध्यान केन्द्रित करने को कहते हुये कांफ्रेंस के दौरान लॉ-एंड आर्डर को लेकर कई जिलों के कामकाज पर नाराजगी जतायी। मुख्यमंत्री की नाराजगी कवर्धा के हालिया प्रकरण को लेकर ज्यादा थी , उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में साफ कहा कि कबीरधाम जिला प्रशासन ने ठीक ढंग से काम नहीं किया। वहीं बीजापुर के सिलगेर प्रकरण , सुकमा के एसपी के पत्र प्रकरण को लेकर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी नाराजगी जतायी। इससे पहले उन्होंने रेवन्यू डिपार्टमेंट के कामकाज को लेकर भी नराजगी जतायी थी।मुख्यमंत्री ने लॉ एंड आर्डर की समीक्षा में धर्मांतरण का भी जिक्र करते हुये कहा कि रायपुर में धर्मांतरण के एक मामले में थाने में पिटाई हुई , उसमें प्रशासन की तरफ से बहुत लेट रिस्पांस किया गया।


कोरोना संकटकाल में जिलों के कामकाज पर मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों की तारीफ करते हुये कहा कि कोविड महामारी में प्रशासन ने बहुत बेहतर ढंग से कार्य किया है। आज छतीसगढ़ की अभिनव परियोजनाओं के कारण छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश में हो रही है। मुख्यमंत्री ने शहरीकरण के बढ़ते दबाव और शहरों में उपलब्ध सीमित संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुये अर्थव्यवस्था के विकेंद्रीकरण को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार ग्राम स्तर पर विश्व स्तरीय आधारभूत अधोसंरचना , बेहतर स्कूल शिक्षा और आजीविका के नये साधन सृजित करने हेतु संकल्पित है। अब इस दिशा में आगे बढ़ना है , इसलिये कलेक्टर ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाने हेतु कमर कस लें। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना छत्तीसगढ़ शासन की विशिष्ट परियोजना है , यह देश में अपने तरह की पहली योजना है। इस योजना के क्रियान्वयन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेज होगी। इस योजना अंतर्गत अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हों , इसके लिये ग्राम वृहद् प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है। कलेक्टर इसके लिये जिला स्तर से पंचायत वार टीम बना कर मिशन मोड़ पर काम करें। सीएम ने कहा कि गोठान तेज़ी से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु बन रहे हैं। प्रथम चरण में छह हज़ार से अधिक गोठानों के निर्माण पर युद्ध स्तर पर काम किया गया। द्वितीय चरण में इनके संचालन , संधारण हेतु प्रभावी कार्ययोजना बना कर हज़ार गोठानों को स्वालंबी बनाये जाने का कार्य किया गया। तृतीय चरण में गोठानों को केंद्र बिंदु रख कर ग्रामीण औद्योगिक पार्क विकसित किया जाना शासन का हत्वकांक्षी लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमें टीम भावना से कार्य करते हुये ग्रामवासियों में उद्यमिता की भावना विकसित करने का कार्य करना है। इससे आजीविका के नये साधन सृजन किये जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने आगे कहा कि रोका छेका अभियान एक जन आंदोलन के रूप में स्थापित हुआ है। कलेक्टर यह सुनिश्चित करें रोका छेका अभियान केवल धान कटाई तक सीमित ना रहे , बल्कि उतेरा के चक्र पूर्ण होते तक यह सतत् रूप से चलता रहे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना अंतर्गत अन्य फसलों को शामिल किये जाने के शासन के निर्णय के आलोक में इसके प्रचार-प्रसार और किसानों को इस हेतु प्रोत्साहित करने की दिशा में कलेक्टर कृषि विभाग के समन्वय से व्यक्तिगत रुचि लेकर कार्य करें। कलेक्टर क्लस्टर चिन्हांकित कर एक-एक विकासखंड में पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में अन्य फसलों को प्रोत्साहित करने प्रभावी कदम उठायें।मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि क़ानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी जिला दंडाधिकारी की है , प्रशासन की सजगता से ही कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो सकती है। जिला दंडाधिकारी को टीम लीडर के रूप में कार्य करना है। संचार क्रांति के इस दौर में एक स्थान की घटना का असर प्रदेश और देशव्यापी होता है , इसलिये जिम्मेदारी बहुत अधिक है। सोशल मीडिया पर उचित पर्यवेक्षण के साथ क़ानून व्यवस्था की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करते हुये सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रहे अफ़वाह और दुष्प्रचार का कठोरता से खंडन ज़रूरी है। ज़िला दंडाधिकारी साप्ताहिक समीक्षा बैठक के पूर्व पुलिस अधीक्षक , कार्यपालिक दंडाधिकारियों के साथ क़ानून-व्यवस्था की समीक्षा करें। इस बैठक में पिछले सप्ताह की स्थिति की समीक्षा की जाये और आने वाले सप्ताह में क़ानून-व्यवस्था की स्थितियों का पूर्वानुमान लगाते हुये रणनीतिक योजनायें बनायें। शासन प्रशासन की पैठ स्थापित होनी चाहिये। छत्तीसगढ़ शांति का टापू है , कानून व्यवस्था को बनाये रखना हमारी प्राथमिकता है। इस बैठक में कृषिमंत्री रविंद्र चौबे , मुख्य सचिव अमिताभ जैन , पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले , मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू सहित प्रमुख सचिव , विभिन्न विभागों के सचिव , कमिश्नर , जिलों के कलेक्टर तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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